Hindi News / State / Uttar Pradesh / Gorakhpur News : देश के विभाजन से मिली गुलामी की सीख, अब विकसित भारत का संकल्प जरूरी – गोरखपुर में बोले योगी आदित्यनाथ

Gorakhpur News : देश के विभाजन से मिली गुलामी की सीख, अब विकसित भारत का संकल्प जरूरी – गोरखपुर में बोले योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री ने कहा – विरासत का सम्मान, कर्तव्यों का पालन और आत्मनिर्भरता से ही भारत को पुनः विश्वगुरु बनाया जा सकता है

Yogi Adityanath addressing workshop in Gorakhpur

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – गोरखपुर में आयोजित ‘विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश-2047’ कार्यशाला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि भारत विभाजित होने के कारण गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा गया था। उन्होंने आगाह किया कि समाज को किसी भी परिस्थिति में जाति, पंथ या विचारधारा के आधार पर विभाजित नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए ‘पंच प्रण’ का पालन ही हमें एक सशक्त राष्ट्र बना सकता है। इनमें गुलामी की मानसिकता और हीन भावना का त्याग, अपनी महान विरासत का सम्मान, सैनिकों के प्रति आदर और नागरिक कर्तव्यों के निर्वहन को प्रमुख बताया गया। योगी ने कहा कि भारत को यूं ही ‘सोने की चिड़िया’ नहीं कहा जाता था, बल्कि यह उपाधि हमारे मजबूत कृषि, उद्योग और व्यापारिक क्षमता के कारण मिली थी। 17वीं सदी में भारत कृषि और औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी था। किंतु समय के साथ जब विदेशी आक्रांताओं ने आक्रमण किए और औपनिवेशिक शासन स्थापित हुआ तो हमारी समृद्ध अर्थव्यवस्था क्रमशः ध्वस्त हो गई। उन्होंने स्मरण कराया कि भारत की हिस्सेदारी कभी वैश्विक अर्थव्यवस्था में 25 प्रतिशत से अधिक थी, लेकिन 1947 में आजादी के समय यह मात्र 3 प्रतिशत पर सिमट गई। यही कारण है कि आज हमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़कर देश को फिर से एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित करना होगा।

उत्तर प्रदेश की भूमिका और विकास की राह

मुख्यमंत्री ने कार्यशाला के दौरान विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की भौगोलिक और ऐतिहासिक विशेषताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह राज्य भारत का हृदय स्थल है, जहां सबसे बड़ी आबादी निवास करती है। यहां की उर्वर भूमि और प्रचुर जल संसाधन इसे कृषि की दृष्टि से अद्वितीय बनाते हैं। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता के शुरुआती वर्षों में उत्तर प्रदेश का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में लगभग 14 प्रतिशत योगदान था, किंतु समय के साथ इसमें गिरावट आती गई। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस गिरावट के कारणों की खोज शुरू की और विदेशी मॉडल से प्रेरणा लेकर ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP)’ योजना की शुरुआत की। जापान और थाईलैंड जैसे देशों में प्रत्येक प्रांत या क्षेत्र को विशिष्ट उत्पादों के लिए पहचान दी गई है, जिससे वहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था सशक्त हुई। इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में विशिष्ट उत्पादों की पहचान की गई और उन्हें वैश्विक बाजार से जोड़ने का प्रयास किया गया। योगी ने कहा कि जब तक हम अपने कारीगरों और शिल्पकारों का सम्मान नहीं करेंगे, तब तक वास्तविक विकास संभव नहीं होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल, गोरखपुर का टेराकोटा और मुजफ्फरनगर का गुड़ अब वैश्विक पहचान बना रहे हैं। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि ODOP योजना भविष्य में प्रदेश की आर्थिक रीढ़ साबित होगी और रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी।

नागरिक कर्तव्यों की अनदेखी और 2047 का लक्ष्य

योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि अक्सर नागरिक अधिकारों की चर्चा होती है, लेकिन नागरिक कर्तव्यों पर कोई बात नहीं करता। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश तभी प्रगति कर सकता है जब हर नागरिक अपने दायित्वों और जिम्मेदारियों का पालन ईमानदारी से करे। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 में आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान नागरिक कर्तव्यों पर बल दिया था और अब समय आ गया है कि इसे जनांदोलन का रूप दिया जाए। इसी सोच के तहत उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहली बार ‘विकसित उत्तर प्रदेश’ विषय पर 24 घंटे निरंतर चर्चा कराई गई, जिसमें अभूतपूर्व रूप से 300 से अधिक विधायक शामिल हुए। यह पहल दर्शाती है कि यदि राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर विकास पर केंद्रित चर्चा हो तो सार्थक परिणाम मिल सकते हैं। योगी ने यह भी कहा कि हमारे पूर्वजों ने आजादी के लिए सब कुछ कुर्बान किया था और उनका सपना था कि भारत विश्व की अग्रणी शक्ति बने। 2047 में जब देश अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, तब आने वाली पीढ़ी हमसे यही अपेक्षा करेगी कि हमने उन्हें एक समृद्ध, आत्मनिर्भर और सशक्त भारत सौंपा। इसलिए आज प्रत्येक नागरिक को यह संकल्प लेना होगा कि वह जातिगत, क्षेत्रीय और वैचारिक भेदभाव से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में कार्य करेगा। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण का समापन इस विश्वास के साथ किया कि यदि हम विरासत का सम्मान करें, आत्मनिर्भरता को अपनाएं और कर्तव्यों का पालन करें तो भारत न केवल विकसित राष्ट्र बनेगा बल्कि पुनः ‘सोने की चिड़िया’ के रूप में पूरी दुनिया में अग्रणी होगा।

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