सीएम योगी आदित्यनाथ की रैलियों की सबसे ज्यादा मांग
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही सियासी हलचल तेज हो गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय नेतृत्व के अनुसार, इस बार बिहार में सबसे ज्यादा डिमांड सीएम योगी आदित्यनाथ की रैलियों, सभाओं और रोड शो की रही है।
मुख्यमंत्री योगी 24 से अधिक चुनावी सभाएं करेंगे और 50 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं तक अपने संदेश पहुंचाएंगे। उनके प्रभाव, फायर ब्रांड हिंदुत्व और बुलडोजर बाबा की छवि के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने सीएम योगी की सभा की मांग की है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उनकी सभाओं में भगवा वोट बैंक को एकजुट करने में मदद मिलती है और भीड़ जुटाने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करना पड़ता। यही वजह है कि बिहार चुनाव में सीएम योगी की रैलियों की सबसे ज्यादा मांग रहती है।
यूपी के वरिष्ठ नेताओं को मिली चुनावी जिम्मेदारी
भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार में आक्रामक और प्रभावी चुनावी रणनीति के लिए यूपी के अनुभवी नेताओं को जिम्मेदारी दी है। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को सह प्रभारी बनाया गया है, जबकि पूर्व मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह को लगभग 40 विधानसभा क्षेत्रों का प्रभार सौंपा गया है।
इसके अलावा, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, सांसद डॉ. महेश शर्मा, भोला सिंह, राजकुमार चाहर और अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी प्रचार और रैलियों के प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई है।
बिहार में चुनाव प्रचार के लिए यूपी से सौ से अधिक विधायक, विधान परिषद सदस्य और महिला कार्यकर्ता प्रवासी के रूप में वहां जा रहे हैं। महिला कार्यकर्ता स्थानीय महिला टीम के साथ घर-घर जनसंपर्क करेंगी और मतदाताओं तक भाजपा की नीति और कार्यक्रम पहुंचाएंगी।
सहयोगी दल और रणनीति का प्रभाव
भाजपा ने बिहार चुनाव में अपने सहयोगी दलों-सुभासपा, अपना दल (एस) और निषाद पार्टी-का भी इस्तेमाल किया है। इन दलों के नेताओं को उनके जातीय और क्षेत्रीय प्रभाव वाले क्षेत्रों में भेजा जाएगा।
पार्टी की चुनाव समिति तय करेगी कि किन विधानसभा क्षेत्रों में किस नेता की सभा या रोड शो कराना है। पिछली चुनावी रणनीतियों के अनुभव से यह स्पष्ट है कि पीएम नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ज्यादा मांग सीएम योगी आदित्यनाथ की सभाओं की रहती है।
प्रत्याशी अपने क्षेत्र के जातीय समीकरण के अनुसार भी नेताओं की सभा या रैली कराने की मांग करते हैं। इस रणनीति के तहत बिहार में भाजपा की प्रभावी चुनावी मुहिम सुनिश्चित करने के लिए यूपी के अनुभवी नेताओं और केंद्रीय नेतृत्व का योगदान महत्वपूर्ण रहेगा।