ललितपुर के बानपुर थाना क्षेत्र के ग्राम बरायो में मंगलवार शाम करीब साढ़े सात बजे एक सनसनीखेज घटना घटी। स्थानीय महिला आरती राजा उर्फ मन्नू राजा (30) ने अपने पति संजू राजा के विरोध के बाद खुद को आग लगा ली। जानकारी के अनुसार, महिला भाईदूज पर अपने मायके जाने की इच्छा रखती थी, लेकिन पति ने इसका विरोध किया और गुस्से में पत्नी और उसके परिवार को गालियां देने लगा।
इस विवाद के दौरान आहत होकर महिला ने कमरे में रखा डीजल अपने ऊपर छिड़ककर आग लगा ली। परिवार के लोग उसकी चीख-पुकार सुनकर तुरंत मौके पर पहुंचे और कंबल की मदद से आग पर काबू पाया।
अस्पताल में इलाज और परिजनों की प्रतिक्रिया
महिला को गंभीर हालत में तत्काल ललितपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद उसे झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। आरती के परिजनों का कहना है कि शादी के बाद से ही वह मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का शिकार रही हैं। मायके पक्ष का आरोप है कि पति और ससुराल के लोग लगातार उसकी परेशानियां बढ़ाते थे और मायके जाने नहीं देते थे।
इसी कारण महिला को भाईदूज पर अपने माता-पिता के घर जाने से रोकने के बाद इतना गहरा आघात लगा कि उसने आत्मदाह की कोशिश की। परिजनों ने बताया कि महिला को बचाने के लिए समय पर कार्रवाई करना जरूरी था, नहीं तो गंभीर परिणाम हो सकते थे।
पुलिस प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई
थानाध्यक्ष बानपुर अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि उन्हें इस घटना की जानकारी मिली है, लेकिन अभी तक महिला या उसके परिवार की ओर से कोई लिखित तहरीर नहीं मिली है। तहरीर मिलने के बाद ही एफआईआर दर्ज की जाएगी और मामले की पूरी जांच शुरू की जाएगी। पुलिस ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाओं में सामाजिक और मानसिक तनाव की भूमिका अहम होती है, इसलिए परिवार और समाज की सावधानी आवश्यक है।
वहीं, स्थानीय प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने की बात कही है कि पीड़ित महिला को हर संभव चिकित्सीय सहायता प्रदान की जाएगी। घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को सकते में डाल दिया है, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी यह सवाल खड़ा करता है कि घरेलू विवादों और मानसिक प्रताड़ना के कारण कितनी महिलाओं को गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
इस पूरी घटना ने एक बार फिर घरेलू विवादों और महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि परिवार में संवादहीनता और मानसिक प्रताड़ना ऐसे खतरनाक कदमों के लिए उत्प्रेरक बन सकती है। सामाजिक और कानूनी संस्थाओं को चाहिए कि वे इस तरह के मामलों में समय रहते हस्तक्षेप करें और पीड़ित महिला को मानसिक व चिकित्सीय सहारा दें, ताकि कोई अनहोनी घटना दोबारा न हो।