अयोध्या में राम महायज्ञ में शामिल हुए अनिरुद्धाचार्य महाराज
वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज गुरुवार को अयोध्या पहुंचे और चारुशिला कुंज में आयोजित श्रीराम महायज्ञ में भाग लिया। महाराज ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनका उद्देश्य लोगों को समझाना है, जबरदस्ती नहीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो बातें लोगों को अच्छी लगती हैं, उन्हें अपनाना चाहिए, जो पसंद न आए, उसे छोड़ देना चाहिए। उनका कहना था कि कोई हाथ पकड़कर किसी को भक्ति की राह पर नहीं ले जाएगा, यह व्यक्तिगत अनुभव और आस्था पर निर्भर करता है।
स्वामी अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि अयोध्या की यह भूमि अत्यंत पवित्र है क्योंकि यहीं भगवान श्रीराम और उनके भाई भरत प्रकट हुए थे। उन्होंने बताया कि रामलला के अयोध्या में विराजने से राजनीतिक संघर्ष समाप्त हो गया है और अब सभी चीजें ठीक होंगी।
महाराज ने विश्वास जताया कि जैसे ही राम आए, कृष्ण भी आएंगे और यह समय धैर्य और भगवान पर भरोसा रखने का है।
राम का निमंत्रण और सनातन धर्म
अनिरुद्धाचार्य महाराज ने राम मंदिर उद्घाटन में शामिल नहीं हुए लोगों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राम का निमंत्रण ठुकराना सनातन धर्म को ठुकराने के बराबर है। उन्होंने बताया कि राम किसी एक समुदाय या व्यक्ति के नहीं, बल्कि सभी के हैं।
उन्होंने भक्तों से आग्रह किया कि इस दीपावली प्रेम, भक्ति और एकता के दीपक जलाएं और किसी का दीपक बुझने न दें। महाराज ने यह भी कहा कि उनके विचारों से जरूरी नहीं कि हर कोई सहमत हो, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अपने अनुसार सही आचरण अपनाए।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनका धर्म समाज को सही मार्ग दिखाना है, जिसमें यह शामिल है कि लोग नशे, लिव-इन रिश्ते या अन्य गलत कामों से दूर रहें। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका कर्तव्य केवल समझाना है, किसी को मजबूर करना नहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि जिन्होंने राम मंदिर बनवाया और राम को जन-जन तक पहुंचाया, उन्हें हार का सामना करना पड़ा जबकि जो राम और भक्तों को नकारते रहे, वे जीत गए।
भक्ति, एकता और दीपोत्सव का संदेश
स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज ने अयोध्या में दीपोत्सव और दीपावली के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि केवल घरों को सजाने का नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और एकता के दीपक जलाने का समय है। उन्होंने कहा कि सभी मिल-जुलकर दीपक जलाएं और किसी का दीपक न बुझने दें।
उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति और मतभेद अब पिछली बात है, और भगवान पर भरोसा रखकर जीवन में सही मार्ग अपनाना चाहिए।
अनिरुद्धाचार्य महाराज का संदेश सरल और स्पष्ट है: भक्ति और धर्म का मार्ग व्यक्तिगत अनुभव और आस्था पर आधारित है, और राम के प्रेम और आशीर्वाद को अपनाना हर सनातनी का कर्तव्य है। उनका यह संदेश न केवल अयोध्या, बल्कि पूरे देश में भक्ति, एकता और धार्मिक चेतना को बढ़ावा देने वाला माना जा रहा है।