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सहारनपुर में करोड़ों की संपत्ति का खुलासा: रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर राणा के घर विजिलेंस की छापेमारी, चार मकान और लग्जरी फार्महाउस मिले

आय से अधिक संपत्ति के मामले में रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर राणा के ठिकानों पर विजिलेंस की बड़ी कार्रवाई, करोड़ों की संपत्तियों और संदिग्ध बैंक खातों का पर्दाफाश, राणा बोले- राजनीतिक बदले की कार्रवाई

Vigilance raid at retired inspector Premveer Rana’s house in Saharanpur | UP News

सहारनपुर में विजिलेंस विभाग की एक बड़ी कार्रवाई ने सभी को चौंका दिया है। रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर प्रेमवीर राणा के ठिकानों पर हुई छापेमारी में जांच टीम को लगभग 14.38 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियों का पता चला है। यह कार्रवाई 1 नवंबर को की गई थी, जब मेरठ सेक्टर की 31 सदस्यीय टीम ने राणा के घरों और फार्महाउस पर सर्च ऑपरेशन चलाया। टीम के साथ भवन और ज्वेलरी वैल्यूअर भी मौजूद थे, जिन्होंने मौके पर संपत्तियों का मूल्यांकन किया। विजिलेंस जांच में सामने आया कि राणा ने सहारनपुर के ब्रजेश नगर में एक ही गली में चार आलीशान मकान बनाए हुए हैं। इनमें से एक मकान में वे अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहते हैं, जबकि बाकी मकानों में किरायेदार, सामान और बंद घर शामिल हैं। इसके अलावा शेखपुरा कदीन गांव में 12 बीघे जमीन पर फैला फार्महाउस मिला है, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 10.5 करोड़ रुपए आंकी गई है। इस फार्महाउस में अत्याधुनिक सुविधाओं वाला बड़ा हॉल भी मिला जिसकी लागत करीब 70 लाख बताई गई। जांच टीम ने 23 बैनामा प्लॉट, एक स्कॉर्पियो, एक डिजायर कार और एक बाइक भी जब्त की। साथ ही विजिलेंस को 12 बैंक खातों के दस्तावेज मिले, जिनमें वर्षों से संदिग्ध लेन-देन का संदेह है। अधिकारियों के अनुसार, इन खातों के माध्यम से कई संदिग्ध ट्रांजैक्शन हुए हैं जिनकी गहराई से जांच जारी है। सूत्रों के मुताबिक, अब तक की जांच में यह सामने आया है कि राणा की घोषित आय की तुलना में उनकी संपत्ति कई गुना अधिक है।

रिटायर्ड इंस्पेक्टर का बचाव: राजनीतिक साजिश का आरोप और पुराना विवाद

रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर राणा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई राजनीतिक दबाव और बदले की भावना के तहत की जा रही है। राणा का कहना है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई प्रभावशाली नेताओं और विधायकों के गलत कार्यों पर अंकुश लगाया था, जिसके कारण अब उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश लोकायुक्त ने पहले ही उनके खिलाफ जांच कर उन्हें क्लीनचिट दे दी थी। राणा ने कहा कि उनके पास सिर्फ एक ही मकान है, जो उनके पिता ने 2004 में खरीदा था। उनका परिवार संपन्न है, बेटा सेना में उच्च पद पर कार्यरत है, दूसरा बेटा डॉक्टर है और बेटी प्रोफेसर। उन्होंने कहा कि उनके बच्चों की वैध आय और पारिवारिक संपन्नता को गलत तरीके से उनके खिलाफ पेश किया जा रहा है। राणा ने बताया कि उनके खिलाफ अब तक 26 मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें से 19 में वे बरी हो चुके हैं। उन्होंने सहारनपुर और कैराना में अपनी तैनाती के दौरान सपा विधायक नाहिद हसन से विवाद की बात स्वीकार की और कहा कि उन्होंने कई विधायकों के गैरकानूनी कामों पर रोक लगाई थी, जिसके कारण यह साजिश रची गई है। राणा को 2007 में उत्कृष्ट सेवा चिन्ह और 2016 में राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार भी मिल चुका है। बावजूद इसके, अब उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में घेरा जा रहा है, जिससे वे व्यथित हैं।

जांच में कई नए खुलासे की संभावना, गांव में मना जश्न

विजिलेंस की इस कार्रवाई के बाद न केवल सहारनपुर बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चर्चा का माहौल है। सूत्रों के अनुसार, राणा के खिलाफ मेरठ सतर्कता अधिष्ठान थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था। प्राथमिक जांच में लगभग 2.92 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति का मामला सामने आया था, जिसके बाद विस्तृत जांच शुरू हुई। अब यह आंकड़ा 14.38 करोड़ तक पहुंच चुका है। विजिलेंस टीम राणा की संपत्तियों, बैंक खातों और लेन-देन से जुड़े दस्तावेजों का बारीकी से विश्लेषण कर रही है। अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि जांच के अगले चरण में और भी कई संपत्तियों का पता चल सकता है। उधर, राणा के पैतृक गांव में इस कार्रवाई के बाद दो विपरीत प्रतिक्रियाएं सामने आईं-एक ओर कुछ ग्रामीणों ने विजिलेंस की कार्रवाई को न्याय की जीत बताया और भोज का आयोजन किया, वहीं राणा के समर्थकों ने इसे साजिश करार दिया। गांव में लोगों ने दावा किया कि राणा के खिलाफ शिकायत करने वाला व्यक्ति उसी गांव का निवासी है जिसने सरकारी विज्ञापन देखकर भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। प्रशासन ने फिलहाल सभी संपत्तियों को सील कर लिया है और जांच रिपोर्ट को शासन को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। राणा की पूर्व तैनातियां मेरठ, नोएडा, शामली और कैराना में रही हैं, जहां उनके खिलाफ पहले भी विवाद उठे थे-जिनमें 2012 में छात्रसभा अध्यक्ष से झड़प, 2020 में विधायक नाहिद हसन से बहस और 2021 में गैंगस्टर एक्ट लगाने जैसी घटनाएं शामिल हैं। विजिलेंस अधिकारियों ने बताया कि जब तक धन के स्रोत का पूरा खुलासा नहीं होता, तब तक जांच जारी रहेगी। यह मामला एक बार फिर इस सवाल को उठाता है कि पुलिस विभाग में सेवा के दौरान पारदर्शिता और जवाबदेही कितनी जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।

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