वाराणसी के दालमंडी क्षेत्र में रविवार की शाम प्रशासन ने अवैध निर्माणों पर कार्रवाई करते हुए एक इमारत के ऊपर बने दो मंजिलों को ढहा दिया। नगर निगम और पुलिस की संयुक्त टीम शाम करीब छह बजे क्षेत्र में पहुंची और माइक से दुकानदारों को अपनी दुकानें खाली करने का आदेश दिया। आदेश सुनते ही क्षेत्र में हड़कंप मच गया। कई दुकानदारों ने तुरंत सामान समेटना शुरू कर दिया, जबकि कुछ ने विरोधस्वरूप अपनी दुकानों में ताला जड़ दिया। इसी दौरान कोतवाली सर्किल के एसीपी अतुल अंजान त्रिपाठी मौके पर पहुंचे और नाराज होकर एक दुकानदार को धक्का देते हुए सवाल किया कि ताला क्यों लगाया गया। इससे वहां मौजूद व्यापारियों और पुलिसकर्मियों के बीच बहस छिड़ गई, जिसे बाद में अन्य अधिकारियों ने हस्तक्षेप कर शांत कराया। इस पूरी कार्रवाई के दौरान दालमंडी की गलियां पुलिस और प्रशासनिक अफसरों से भर गई थीं। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए छह थानों की पुलिस, सीओ रैंक के अफसरों और नगर निगम की टीमों को तैनात किया गया था। एहतियातन इलाके में बैरिकेडिंग की गई और बाहरी लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई। चार घंटे तक चले इस ध्वस्तीकरण अभियान के दौरान बिजली कनेक्शन भी काट दिया गया ताकि किसी भी हादसे की संभावना न रहे। देर रात तक चली कार्रवाई के बाद मजदूरों को वापस बुला लिया गया, लेकिन प्रशासन ने साफ कर दिया कि सोमवार को फिर से यह अभियान जारी रहेगा और बाकी दुकानों को भी तोड़ा जाएगा।
प्रशासन का दावा- कानूनी प्रक्रिया पूरी, मुआवजे की व्यवस्था भी की गई
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नितिन कुमार ने बताया कि दालमंडी रोड का चौड़ीकरण उत्तर प्रदेश सरकार की प्राथमिकता परियोजनाओं में से एक है। इस सड़क का वाणिज्यिक और यातायात के लिहाज से अत्यधिक महत्व है, लेकिन वर्षों से अवैध निर्माणों के कारण यहां जाम की स्थिति बनी रहती थी। प्रशासन का कहना है कि प्रभावित दुकानदारों को दो हफ्ते पहले नोटिस जारी कर दिया गया था और लगातार कैंप लगाकर उन्हें स्थिति समझाई गई। उन्होंने यह भी कहा कि जिन इमारतों को ध्वस्त किया जा रहा है, वे या तो जर्जर हैं या बिना नक्शे के बनी हुई हैं, जिससे सुरक्षा खतरा बढ़ रहा था। अधिकारियों के अनुसार, प्रत्येक दुकानदार को उचित मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और कई व्यापारी स्वयं अपनी दुकानें खाली कर चुके हैं। हालांकि, कुछ व्यापारी अब भी विरोध पर अड़े हुए हैं। नगर निगम के इंजीनियरों ने बताया कि रविवार को की गई कार्रवाई में लगभग 14 दुकानों के ऊपरी हिस्से को गिराया गया, जबकि निचली मंजिलों से व्यापारी अपना सामान समेट रहे थे। शाम छह बजे शुरू हुआ ऑपरेशन रात दस बजे के आसपास समाप्त हुआ। मौके पर मौजूद पीडब्ल्यूडी और निगम कर्मचारियों ने बताया कि सभी सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए ही ध्वस्तीकरण किया गया है।
दुकानदारों का आरोप- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं दी मोहलत
वहीं दूसरी ओर, दुकानदारों ने प्रशासन की कार्रवाई को ‘एकतरफा’ बताया। घड़ी की दुकान चलाने वाले मोहम्मद शोएब ने आरोप लगाया कि उनके पास सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के बावजूद अधिकारियों ने कोई सुनवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि सुबह से ही वे दस्तावेज लेकर दौड़ रहे थे, लेकिन किसी अधिकारी ने बात तक नहीं सुनी। दुकानदारों का कहना है कि उन्होंने सिर्फ एक दिन की मोहलत मांगी थी ताकि वे अपना माल सुरक्षित निकाल सकें, मगर पुलिस ने बलपूर्वक उन्हें बाहर निकाल दिया। कई व्यापारियों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासनिक टीम ने बिना किसी लिखित अनुमति के दुकानें खाली कराईं और मलबा गिराने से पहले बिजली कनेक्शन तक नहीं काटा, जिससे जानमाल का खतरा बढ़ गया। हालांकि, प्रशासन का पक्ष बिल्कुल स्पष्ट है-यह कार्रवाई पूरी तरह कानूनी है और सार्वजनिक हित में की जा रही है। सोमवार को फिर से निगम की टीमें मौके पर पहुंचेंगी और बाकी संरचनाओं को गिराने का काम जारी रखेंगी। पुलिस ने बताया कि दालमंडी में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात रहेगी और सीसीटीवी कैमरों से पूरी गतिविधि की निगरानी की जाएगी। फिलहाल, इलाके में तनाव का माहौल है और स्थानीय व्यापारी संगठन ने इस कार्रवाई के विरोध में जिला प्रशासन से बैठक की मांग की है। शहरवासियों के लिए यह मुद्दा अब विकास बनाम विस्थापन की बहस में बदल गया है, जहां एक ओर सरकार इसे शहर के चौड़ीकरण के लिए जरूरी बता रही है, वहीं दूसरी ओर व्यापारी अपने रोज़गार और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।




