उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में आउटसोर्सिंग सेवाओं की व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए ऐतिहासिक फैसला लिया है। कैबिनेट की बैठक में कम्पनीज एक्ट 2013 की धारा 8 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन को मंजूरी दी गई है। यह एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी होगी, जिसे गैर-लाभकारी संस्था के रूप में संचालित किया जाएगा। अब तक विभाग सीधे एजेंसियों का चयन करते थे, लेकिन नई व्यवस्था में निगम जेम पोर्टल के माध्यम से निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाकर एजेंसी का चयन करेगा। इस कदम से सरकार का उद्देश्य है कि कर्मचारियों को नियमित और पूर्ण मानदेय मिले तथा पीएफ और ईएसआई जैसी सुविधाएं उनके खातों में सीधे पहुंचें। निगम के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को 16 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा और सेवा की अवधि तीन साल तय की गई है। वेतन हर माह की पहली से पांच तारीख के बीच सीधे कर्मचारियों के बैंक खातों में जमा होगा। इस फैसले से प्रदेश में लाखों युवाओं को बेहतर रोजगार अवसर मिलने की उम्मीद है और सरकार का दावा है कि यह सुशासन और पारदर्शिता का नया मॉडल स्थापित करेगा।
कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा और शिकायतों का समाधान
वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि लंबे समय से राज्य के विभिन्न विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं ली जा रही थीं, लेकिन शिकायतें लगातार सामने आ रही थीं कि उन्हें स्वीकृत मानदेय पूरा नहीं मिलता। कई बार एजेंसियां ईपीएफ और ईएसआई जैसी अनिवार्य सुविधाओं का अंशदान भी नहीं करती थीं, जिससे कर्मचारियों को नुकसान उठाना पड़ता था। इन अनियमितताओं को समाप्त करने और कर्मचारियों को न्याय दिलाने के लिए निगम का गठन आवश्यक था। नई व्यवस्था में यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या अनियमितता पाए जाने पर एजेंसी की सेवाएं तुरंत समाप्त की जा सकेंगी। इसके अलावा, भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार शामिल किया गया है, ताकि योग्य और कुशल अभ्यर्थियों का चयन हो सके। इससे प्रदेश में न केवल रोजगार का स्तर सुधरेगा बल्कि सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी। सरकार का मानना है कि इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी और आउटसोर्सिंग तंत्र पूरी तरह पारदर्शी हो जाएगा।
सामाजिक सुरक्षा और आरक्षण के प्रावधान
नई व्यवस्था में कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा और अधिकारों को विशेष महत्व दिया गया है। सरकार ने संवैधानिक प्रावधानों के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, दिव्यांगजन, भूतपूर्व सैनिक और महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया है। महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश का अधिकार मिलेगा, वहीं उनकी कार्यक्षमता और दक्षता बढ़ाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। सेवा अवधि के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को अंतिम संस्कार सहायता के रूप में 15 हजार रुपये दिए जाएंगे। साथ ही, कर्मचारियों से महीने में 26 दिन तक सेवा ली जाएगी और वेतन सीधे खातों में आने से उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। सरकार का दावा है कि यह निर्णय राज्य में रोजगार और पारदर्शिता को बढ़ावा देगा और आउटसोर्स कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से युवाओं को स्थायी और सम्मानजनक अवसर मिलेंगे तथा रोजगार प्रणाली में नई विश्वसनीयता स्थापित होगी।