उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में बुधवार शाम एक दर्दनाक हादसा हुआ जब 22 लोगों को लेकर जा रही नाव कौड़ियाला नदी में पलट गई। हादसा कतर्नियाघाट वन्यजीव रेंज के भरथापुर गांव के पास हुआ। नाव में सवार ग्रामीण बाजार से सामान खरीदकर अपने घर लौट रहे थे। गांववालों के अनुसार, घटना के समय नदी का बहाव बेहद तेज था क्योंकि चौधरी चरण सिंह घाघरा बैराज के गेट खोले गए थे। तेज धारा में बह रही नाव नदी के बीच मझधार में एक पुराने पेड़ की टहनी से टकरा गई, जिससे उसका संतुलन बिगड़ गया और नाव पलट गई। नाव में 5 बच्चे समेत कुल 22 लोग सवार थे। चीख-पुकार मचते ही आस-पास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे और तत्काल बचाव कार्य शुरू किया। हादसे के बाद 5 लोग तैरकर किनारे पहुंच गए, जबकि ग्रामीणों की मदद से 8 लोगों को जीवित बाहर निकाला गया। लेकिन महिला मजेई (60) का शव बरामद हुआ, वहीं 8 लोग अब भी लापता हैं। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और एसएसबी की टीमें मौके पर पहुंचीं और देर रात तक सर्च ऑपरेशन चलाया। प्रशासन ने बताया कि लापता लोगों की खोज के लिए गोताखोरों की सहायता से 5 किलोमीटर के दायरे में गहन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। रातभर नदी किनारे रोते-बिलखते परिवारजन अपने परिजनों के लौटने की आस में डटे रहे।
प्रशासन सतर्क, आईजी और कमिश्नर ने मौके पर पहुंचकर किया निरीक्षण
हादसे की सूचना मिलते ही देवीपाटन मंडल के कमिश्नर शशि भूषण लाल और आईजी अमित पाठक देर रात घटनास्थल पर पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने बचाव अभियान का जायजा लिया और पीड़ित परिवारों से बातचीत की। आईजी अमित पाठक ने बताया कि भरथापुर गांव नेपाल सीमा से सटा इलाका है और यह पूरी तरह से वन क्षेत्र में आता है। यहां पक्के निर्माण पर रोक है, जिसके चलते ग्रामीणों का आवागमन पूरी तरह नाव पर निर्भर है। उन्होंने बताया कि कौड़ियाला और गेरुआ दो नदियां समानांतर बहती हैं, जिनके संगम के पास यह हादसा हुआ। तेज बहाव के कारण नाव नदी में पेड़ की टहनी से टकरा गई और तुरंत पलट गई। बहराइच के डीएम अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि फिलहाल एक महिला की मौत की पुष्टि हुई है जबकि 8 लोग अभी लापता हैं। एसपी रामनयन सिंह ने बताया कि नाव में सवार 22 में से 13 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। लापता लोगों में नाविक मिहिलाल यादव (38), शिवनंदन मौर्य (50), सुमन (28), सोहनी (5), शिवम (9), रमजैया के दो पोते (7 और 10 वर्ष) और शांति (5) शामिल हैं। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है और कहा है कि किसी भी लापरवाही की जांच की जाएगी। एडीएम अमित कुमार, एसपी रामनयन सिंह समेत जिला प्रशासन के अधिकारी पूरी रात घटनास्थल पर मौजूद रहे। राहत और बचाव कार्य में एसएसबी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें लगातार जुटी हुई हैं।
ग्रामीणों की व्यथा और राहत दलों का संघर्ष, रातभर चलता रहा सर्च ऑपरेशन
हादसे के बाद भरथापुर गांव और आसपास के इलाकों में मातम पसरा हुआ है। लापता लोगों के परिजन पूरी रात नदी किनारे टकटकी लगाए बैठे रहे। कई लोगों ने नदी किनारे दीप जलाकर अपने परिजनों की सुरक्षित वापसी की प्रार्थना की। बचाई गई महिला सोनापति ने बताया कि “हम लोग बाजार से लौट रहे थे, पानी का बहाव बहुत तेज था। अचानक नाव पेड़ की टहनी से टकराई और कुछ ही पलों में उलट गई। मेरे परिवार के चार बच्चे अभी तक नहीं मिले हैं।” रेस्क्यू टीम ने रातभर लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया। गोताखोर नदी की गहराई में तलाश करते रहे, वहीं एसएसबी और स्थानीय पुलिस ने दोनों किनारों पर टॉर्च की रोशनी में खोजबीन जारी रखी। प्रशासन ने गुरुवार सुबह तक भी ऑपरेशन जारी रखने का निर्णय लिया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस इलाके में नदी पार करने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों ने शासन से पुल निर्माण की मांग की ताकि ऐसे हादसे दोबारा न हों। एसडीआरएफ अधिकारियों के अनुसार, तेज बहाव और नदी में गाद जमा होने के कारण सर्च ऑपरेशन में कठिनाइयां आ रही हैं, लेकिन टीम हरसंभव प्रयास कर रही है कि सभी लापता लोगों को जल्द से जल्द खोज निकाला जाए। फिलहाल प्रशासन ने राहत शिविर स्थापित कर पीड़ित परिवारों के लिए भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था की है। पूरे क्षेत्र में शोक और चिंता का माहौल है जबकि बचावकर्मी अब भी नदी के तेज प्रवाह में अपनी जान जोखिम में डालकर राहत कार्य जारी रखे हुए हैं।




