दिल्ली के एक फ्लैट में UPSC की तैयारी कर रहे युवा रामकेश मीणा की 5 अक्टूबर की रात दर्ज हुई निर्मम हत्या ने इलाके में सनसनी फैला दी। पुलिस की शुरुआती जानकारी के अनुसार, रामकेश को गला घोंटकर मारा गया और बाद में शव को कमरे में बिछाए गए भारी-भारी किताबों से घेरकर उनकी राख बनाने की कोशिश की गई, इस आग में शराब और रसोई का देसी घी भी इस्तेमाल किया गया-जिसका निशान घटनास्थल पर पाया गया। मामले में मुरादाबाद निवासी अमृता चौहान और उसके पहले से परिचित युवक सुमित कश्यप तथा एक तीसरे सहयोगी संदीप का नाम सामने आया है। पुलिस की तफ्तीश में यह भी उजागर हुआ कि मौके पर सिलेंडर की पाइपिंग हटाकर रखी गई थी, जिससे आग दुर्घटना नहीं बल्कि जानबूझकर लगाई गई आशंका और मजबूत हुई। घटनास्थल की फॉरेंसिक विवेचना और फुटप्रिंट, किताबों पर बरामद दाग-धब्बे व पाए गए अन्य साक्ष्यों की जांच में यही संकेत मिलता है कि हत्या के बाद शव को छिपाने व जलाने का कदम योजनाबद्ध था। परिजनों ने बताया कि रामकेश और अमृता मई, 2025 से आपसी रिश्ते में रह रहे थे और कुछ समय से वे लिव-इन में थे; इसी बीच जानकारी मिली कि अमृता का पुराना सम्बन्ध सुमित से भी लगातार बना रहा, जिसके चलते आपसी तनाव और विवाद भी हुए। घटनाक्रम के एक रुख के मुताबिक सुमित ने जब रिश्ते की चाल में सेंध लगाई और दोनों पुरुषों के बीच तनाव गहरा हुआ तो षड्यंत्र ने जान ले ली। दिल्ली पुलिस ने जब मुरादाबाद-आधार पर छानबीन की तो परिवार और आसपास के लोगों ने भी घटनापूर्व के कई संकेत बताए-जैसे अमृता का सोशल मीडिया पर रील्स बनाना, पारिवारिक खींचतान और सुमित के साथ पुराना अफेयर-जो मामले को व्यक्तिगत विवाद से अपराध की दिशा में ले जाते हैं।
पृष्ठभूमि, परिवार और आरोपी का चरित्रांकन
मामले की गंभीरता समझने के लिए मृतक व आरोपी दोनों की पारिवारिक और सामाजिक पृष्ठभूमि अहम हैं। अमृता चौहान मुरादाबाद की प्रतिष्ठित परिवार में पली-बढ़ी हैं, उसके पिता-माँ शहर में एक स्कूल चलाते हैं और परिवार स्थानीय समुदाय में जाना-पहचाना माना जाता है। परिजनों के बयानों में एक चौंकाने वाली बात यह आई कि पिछले कुछ वर्षों में अमृता के व्यवहार में बदलाव आया-वह अपने घर से दूर रहने लगी, पढ़ाई में अनियमित हुई और सोशल सर्कल के साथ विवादों में उलझी रही। पिता ने बताया कि अमृता का पहला सम्बन्ध लगभग 17 की उम्र में शादीशुदा गैस डिलीवरी बॉय सुमित से जुड़ा, जो बाद में जीवन में बार-बार लौटकर आया। परिवार ने पहले भी सार्वजनिक स्तर पर दूरी का बयान जारी किया था और कई बार पुलिस-एफिड के माध्यम से समस्याओं का सामना करना पड़ा। पुलिस रेकॉर्ड और परिजनों के बयानों से यह भी संकेत मिलता है कि अमृता ने कुछ समय पहले सुमित के खिलाफ रेप व ब्लैकमेल की आशंका भी जताई थी-लेकिन कानूनी प्रक्रिया के दौरान शिकायतों और बैकग्राउंड की वजह से मामला परिसर में उलझा रहा और सुमित जमानत पर रिहा भी हो चुका था। घटनाक्रम के बाद परिजनों ने बताया कि अमृता दिल्ली में फोरेन्सिक साइंस या डेटा एनालिसिस कोर्स के बहाने गई थी, जहां उसकी मुलाकात रामकेश से हुई; दोनों का लिव-इन संबंध शुरू हुआ और परिवार की मानें तो वे एक-दूसरे के साथ खुश भी दिखते थे। फिर भी परिजनों की बातों में एक विरोधाभास नजर आता है-कभी वे बताते हैं कि बेटी खुश थी और रामकेश अच्छा लड़का था, तो वहीं दूसरी ओर वे स्वीकारते हैं कि सुमित की मौजूदगी और उसके दबाव ने रिश्ते में दरार डाल दी और आखिरकार 6 अक्टूबर के आसपास कथित षड्यंत्र की रेखा सामने आई। आरोपी सुमित की शैक्षिक पृष्ठभूमि औपचारिक रूप से सीमित बताई जाती है-वह दसवीं तक पढ़ा-लिखा, गैस डिलीवरी से जुड़ा और पहले भी विवादित घटनाओं से जुड़ा रहा; वहीं तीसरा नाम संदीप का है, जो पुलिस ट्रेनिंग संस्थान में आउटसोर्स कर्मचारियों के रूप में जुड़ा बताया जा रहा है और उसके सहयोग की प्रकृति अभी तफ्तीश का विषय है। परिवारिक बयान, पहले दर्ज शिकायतें, और सोशल मीडिया पर दिखाई देने वाले व्यवहार की पड़ताल से मामला व्यक्तिगत जलन, नियंत्रण और पुरानी गतिशीलता के साथ-साथ योजनाबद्ध हत्या की दिशा में बढ़ता दिखाई देता है।
जांच, सफाई और कानूनी प्रक्रिया का हाल-चाल
घटना के तीन हफ्ते के भीतर ही दिल्ली पुलिस और मुरादाबाद पुलिस की संयुक्त कार्रवाई ने मामले में निर्णायक कदम उठाए-अमृता को गिरफ्तार कर लिया गया और उसके परिजनों ने बाद में स्वयं अमृता को सरेंडर कराया। अपराध के मौक़े पर मिले साक्ष्य, फॉरेंसिक रिपोर्ट, मोबाइल-कॉल डिटेल्स व गवाहों के बयान अब जांच अधिकारी प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि अदालत में मजबूत चार्जशीट दायर की जा सके। आरोपी पर लगे गंभीर आरोपों में गला घोंटना (हत्या), शव छुपाना-जलाना, साथ ही षड्यंत्र व आपराधिक साज़िश के प्रावधान शामिल हो सकते हैं; साथ ही दोषियों के पास मौजूद सामग्री-शराब, घी, किताबें और सिलेंडर पाइप-को भी सबूत के रूप में अदालत में पेश किया जाएगा। परिजनों की आपबीती और विभिन्न जोड़ों के बयानों के कारण मामले की संवेदनशीलता और बढ़ गई है; अमृता की माँ का कहना कि बेटी घटनाक्रम के बाद घर आई और रोकर बताती रही कि “वो अच्छा लड़का था”, यह भावनात्मक जटिलता और मनोवैज्ञानिक दुःख को दर्शाता है। जबकि परिवार की ओर से सुमित को मास्टरमाइंड बताकर आरोपित किया जा रहा है, पुलिस को भी यह साबित करना होगा कि किसने किस भूमिका में हत्या अंजाम दी और किसके इशारे पर शव जलाया गया। वर्तमान स्थिति में आरोपियों के विरुद्ध हालिया गिरफ्तारी, घटनास्थल के वैज्ञानिक परीक्षण और गवाहियों के आधार पर आगे की कानूनी प्रकिया चल रही है; दोष सिद्ध होने पर आरोपियों पर सख्त दंड के प्रावधान लागू होंगे। समाज तथा न्याय व्यवस्था के लिए यह मामला न केवल एक हत्याकांड का विवरण है बल्कि युवा-लिंकेज, सोशल मीडिया-प्रवृत्तियों और पारिवारिक पतन के बीच जन्मे ऐसे विवादों की भी कहानी बयां करता है, जिनके परिणाम भयावह और अपरिवर्तनीय हो सकते हैं। जांच अधिकारी और सत्य की खोज में लगी पुलिस अब हर संभव तकनीकी, कानूनी और गवाहों के माध्यम से सच को अदालत में पेश करने की कोशिश कर रही है, ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए पाठ भी मिल सके।




