उत्तर प्रदेश में इस वर्ष सर्दी का मौसम सामान्य रहने का अनुमान है। नोएडा स्थित स्काई-मेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने बताया कि सोशल मीडिया और कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म पर चल रही कड़ाके की ठंड की चर्चाएं पूरी तरह से अफवाह हैं। महेश पलावत ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में ला नीना की स्थिति को लेकर विभिन्न भविष्यवाणियां की जा रही हैं, लेकिन यह पूरी तरह सटीक नहीं हैं।
पिछले तीन सालों में लगातार ला नीना का प्रभाव रहा है और उसके बावजूद उत्तर प्रदेश में सामान्य सर्दी ही देखी गई। विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी और मध्य यूपी में दिसंबर और जनवरी में तापमान 6°C से 8°C तक गिर सकता है, जबकि पूर्वी यूपी में यह 10°C से 12°C के बीच रहेगा। नवंबर में राज्य का दिन का तापमान लगभग 15°C से 25°C के बीच सामान्य स्तर पर रहेगा।
ला नीना का प्रभाव और ठंड की स्थिति
ला नीना एक वैश्विक जलवायु पैटर्न है जो समुद्र के पानी को ठंडा करता है और वर्षा तथा ठंड की संभावनाओं को प्रभावित करता है। भारत में इसकी वजह से सर्दी और बारिश के पैटर्न में बदलाव देखा जाता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से उत्तर-पश्चिमी हवाओं के माध्यम से हल्की ठंड का अनुभव होने लगेगा। पश्चिमी विक्षोभ 22 अक्टूबर से सक्रिय होने की संभावना है, जो अगले तीन दिनों तक प्रभावी रहेगा।
इससे उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी होने की संभावना है और मैदानी इलाकों में भी ठंड में हल्का इजाफा देखा जा सकता है। हालांकि अधिकतम और न्यूनतम तापमान में यह गिरावट 0.5 से 1 डिग्री सेल्सियस तक ही रहेगी। बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक मनोज श्रीवास्तव के अनुसार, नवंबर में दिन का तापमान सामान्य रहेगा और सुबह-सांझ हल्की ठंड अनुभव होगी।
पिछले वर्ष की ठंड और संभावित कृषि-स्वास्थ्य प्रभाव
पिछले वर्ष यानी 2024 में उत्तर प्रदेश में ठंड दिसंबर के अंत से अधिक तेज़ हुई थी। IMD के आंकड़ों के अनुसार, पश्चिमी यूपी में रात का तापमान 5°C या उससे नीचे चला गया था। लखनऊ और वाराणसी में नवंबर के अंत से हल्का और मध्यम कोहरा देखा गया। विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य से अधिक ठंड में कोल्ड वेव की स्थिति तब बनती है जब मैदानी इलाकों में तापमान 10°C से नीचे चला जाए।
अत्यधिक ठंड के दौरान गेहूं की फसल को लाभ होता है, जबकि सब्जियों और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। लगातार कम तापमान से प्रतिरोध क्षमता कम हो जाती है और डिहाइड्रेशन, बुखार व खांसी जैसे रोग बढ़ सकते हैं। इस वर्ष अक्टूबर के अंत से हल्की ठंड शुरू होगी और नवंबर में धीरे-धीरे तापमान में गिरावट आएगी। दिसंबर और जनवरी में ठंड तेज़ होगी, लेकिन इस बार कड़ाके की ठंड की संभावना नहीं है।