उत्तर प्रदेश में मानसून विदाई से पहले एक बार फिर सक्रिय हो गया है। शुक्रवार सुबह वाराणसी और भदोही में तेज बारिश हुई, जबकि कई अन्य जिलों में रुक-रुक कर बूंदाबांदी देखने को मिली। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने राज्य के 10 जिलों में भारी बारिश और 47 जिलों में हल्की वर्षा का अलर्ट जारी किया है। विभाग के अनुसार, अगले चार से पांच दिनों तक ऐसा ही मौसम बने रहने की संभावना है। लखनऊ स्थित मौसम केंद्र के वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव क्षेत्र और गुजरात तट पर बने वेदर सिस्टम का असर यूपी में दिख रहा है। इसके चलते विभिन्न इलाकों में अगले कुछ दिनों तक लगातार वर्षा होती रहेगी। इससे पहले गुरुवार को भी वाराणसी, नोएडा, कन्नौज, संभल, रामपुर, फतेहपुर और मऊ समेत कई जिलों में झमाझम बारिश दर्ज की गई थी। बारिश की वजह से दशहरा पर बनाए गए कई रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले भीगकर गिर पड़े।
बारिश से प्रभावित हालात
राज्य के कई जिलों में अचानक हुई बारिश से आमजन को परेशानी झेलनी पड़ी। झांसी से एक वीडियो सामने आया जिसमें लोग नाव की मदद से ट्रैक्टर को नदी पार ले जाते नजर आए। यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ और बारिश से प्रभावित ग्रामीण इलाकों की स्थिति को उजागर करता है। वहीं, शहरों में जलभराव से यातायात अवरुद्ध हो गया और कई बाजारों में भीगते हुए खरीदारों को देखा गया। प्रशासन ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए संवेदनशील क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग का कहना है कि फिलहाल मानसून की विदाई टल गई है और मौजूदा परिस्थितियों में प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में रुक-रुककर बारिश होती रहेगी।
मानसून सीजन का आकलन और अक्टूबर का अनुमान
इस साल यूपी में 1 जून से 30 सितंबर तक सामान्य श्रेणी की वर्षा दर्ज की गई। आंकड़ों के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 12 प्रतिशत अधिक यानी 752.5 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि पूर्वी यूपी में यह 17 प्रतिशत कम यानी 666 मिलीमीटर दर्ज की गई। पूरे प्रदेश की औसत वर्षा 701.6 मिलीमीटर रही, जो सामान्य 746.2 मिलीमीटर से 6 प्रतिशत कम है। मौसम विभाग ने बताया कि प्रदेश के 3 जिलों में सामान्य से बहुत कम, 27 जिलों में सामान्य से कम, 13 जिलों में सामान्य से अधिक और 2 जिलों में सामान्य से बहुत अधिक बारिश हुई। वहीं, 30 जिलों में वर्षा सामान्य रही। अब विभाग का अनुमान है कि अक्टूबर में उत्तर प्रदेश में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि देर से सक्रिय हुआ यह सिस्टम खरीफ फसलों के लिए वरदान साबित हो सकता है, वहीं बारिश से जनजीवन में अव्यवस्था भी बढ़ सकती है।