उत्तर प्रदेश के मौसम में अचानक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। बंगाल की खाड़ी में सक्रिय हुआ चक्रवाती तूफान ‘मोन्था’ अब राज्य की ओर बढ़ रहा है। लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली सहित 31 जिलों में आंधी-बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। बुधवार सुबह से ही राजधानी लखनऊ में आसमान पर घने बादल छाए हैं और सर्द हवा के झोंकों ने तापमान को नीचे धकेल दिया है। सड़कों पर हल्की चहल-पहल है, वहीं लोग अलाव जलाकर ठंड से बचने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। मौसम विभाग के लखनऊ केंद्र के वैज्ञानिक अतुल सिंह ने बताया कि तूफान मोन्था बुधवार सुबह ओडिशा तट से टकरा गया है और अब इसका असर 30 अक्टूबर से लेकर 1 नवंबर तक यूपी के कई जिलों में देखने को मिलेगा। इस दौरान 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं और कई इलाकों में भारी बारिश की संभावना है।
तापमान में रिकॉर्ड गिरावट, किसानों की बढ़ी चिंता
राज्य के कई हिस्सों में तापमान अचानक गिरा है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इटावा इस समय सबसे ठंडा जिला रहा, जहां अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो औसत से करीब 9 डिग्री कम है। वहीं आगरा में अधिकतम तापमान 21.4 डिग्री दर्ज हुआ, जो सामान्य से 10.3 डिग्री नीचे है। हरदोई, बहराइच और फतेहपुर में भी तापमान औसत से 8 से 10 डिग्री तक कम रहा। मंगलवार को लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर और झांसी सहित 10 से अधिक शहरों में बारिश हुई जबकि जौनपुर, भदोही, और बलिया जैसे जिलों में पूरे दिन घने बादल छाए रहे। तापमान गिरने के साथ किसानों की चिंता भी बढ़ गई है। कई इलाकों में धान की फसल अभी खेतों में पड़ी है या कटाई की प्रक्रिया में है। ऐसे में तेज हवाओं और बारिश से फसल के भीगने और खराब होने का खतरा बढ़ गया है। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि फसलों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाएं और खुले खेतों में रखे अनाज को ढककर रखें ताकि नुकसान से बचा जा सके।
मोन्था के बाद बढ़ेगी सर्दी, ला नीना देगा ठिठुरन को और धार
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि अच्छी बारिश के बाद ठंड और तेज पड़ती है। बारिश से जमीन का तापमान गिर जाता है जिससे हवाएं और ठंडी हो जाती हैं। इस बार की ठंड में एक और अहम कारण जुड़ गया है – ला नीना प्रभाव। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना के बनने की संभावना 71% है, जबकि दिसंबर से फरवरी के बीच यह संभावना 54% रहेगी। यह घटना वेस्टर्न डिस्टरबेंस यानी पश्चिमी विक्षोभ को और मजबूत करेगी, जिससे उत्तर भारत के पर्वतीय इलाकों में अधिक बर्फबारी और मैदानी हिस्सों में घना कोहरा और ठंडी हवाएं देखने को मिलेंगी। यही कारण है कि इस साल सर्दी सामान्य से ज्यादा लंबी और तीखी रहने का अनुमान है। गोरखपुर और आसपास के इलाकों में मंगलवार को हुई बारिश ने पहले ही लोगों को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया है। वहीं लखनऊ और कानपुर में दो दिन की लगातार बारिश के बाद सर्द हवाओं ने ठंड का एहसास और बढ़ा दिया है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 48 घंटे राज्य के लिए अहम होंगे क्योंकि मोन्था का असर धीरे-धीरे पश्चिमी यूपी की ओर भी बढ़ेगा। इसके बाद जब आसमान साफ होगा, तो रात का तापमान और नीचे जाएगा और नवंबर के शुरुआती हफ्तों में राज्यभर में ठंड अपने पूरे असर में होगी।




