उत्तर प्रदेश में 14 साल के लंबे अंतराल के बाद होमगार्ड विभाग में बंपर भर्ती की तैयारी शुरू हो चुकी है। राज्य सरकार ने 41,424 से अधिक पदों पर नियुक्ति का निर्णय लेते हुए यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) को इसकी पूरी जिम्मेदारी सौंपी है। प्रमुख सचिव (होमगार्ड) राजेश कुमार सिंह के अनुसार जिलों से खाली पदों की जानकारी प्राप्त होने के बाद एनरोलमेंट और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। यह निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर लिया गया, जिन्होंने जून 2025 में बड़े पैमाने पर भर्ती कराने के आदेश दिए थे। मौजूदा समय में राज्य में कुल 1.18 लाख स्वीकृत पद हैं, जिनमें से केवल 71 हजार पदों पर तैनाती है, जबकि शेष रिक्तियां लंबे समय से भरने की प्रतीक्षा में थीं। 2011 के बाद इस स्तर की कोई व्यापक भर्ती नहीं हुई थी। अब शासनादेश के अनुसार, पात्रता, शैक्षिक योग्यता, आयु सीमा और चयन के मानक तय कर दिए गए हैं। एनरोलमेंट 1 जुलाई के आधार पर की जाएगी, जब तक की स्थिति में कितनी रिक्तियां बची हैं, यह तय किया जाएगा। आरक्षण संबंधी नियमों का भी पूरी तरह पालन किया जाएगा ताकि सभी वर्गों के उम्मीदवारों को समान अवसर मिल सके। इस बार भर्ती प्रक्रिया में दो बड़े बदलाव हुए हैं-पहला, चयन की जिम्मेदारी यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड को दी गई है, और दूसरा, इस बार 10वीं पास उम्मीदवार आवेदन कर सकेंगे।
परीक्षा पैटर्न, योग्यता और शारीरिक मानक: उम्मीदवारों के लिए नई दिशानिर्देश
इस भर्ती में लिखित परीक्षा पहली बार एक प्रमुख चरण के रूप में शामिल की गई है। परीक्षा 100 अंकों की होगी, जिसमें 100 बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाएंगे। परीक्षा अवधि दो घंटे की होगी और इसमें सामान्य ज्ञान तथा सामान्य विज्ञान के विषयों से प्रश्न आएंगे। पहले की भर्तियों में केवल शारीरिक दक्षता परीक्षण (PET) और दस्तावेज़ सत्यापन के आधार पर चयन किया जाता था, लेकिन अब लिखित परीक्षा के साथ मेरिट सूची बनाई जाएगी। पात्रता के तहत अभ्यर्थी का उसी जिले का मूल निवासी होना आवश्यक है, जिसके लिए आवेदन किया जा रहा है। न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम 30 वर्ष निर्धारित की गई है, जिसकी गणना 1 जुलाई के आधार पर की जाएगी। आरक्षित वर्गों को नियमानुसार आयु में छूट दी जाएगी-ओबीसी को 3 वर्ष और एससी-एसटी को 5 वर्ष तक की छूट मिलेगी। शैक्षिक योग्यता के लिए 10वीं पास अनिवार्य रखी गई है। जो अभ्यर्थी परीक्षा में सम्मिलित हैं लेकिन परिणाम घोषित नहीं हुआ है, वे पात्र नहीं माने जाएंगे। साथ ही सरकारी या अर्द्धसरकारी सेवा में कार्यरत व्यक्ति आवेदन नहीं कर सकेंगे। यदि किसी अभ्यर्थी पर कोई आपराधिक मामला विचाराधीन है, तो वह भी चयन से वंचित रहेगा। शारीरिक दक्षता परीक्षण में पुरुष उम्मीदवारों को 4.8 किलोमीटर की दौड़ 28 मिनट में और महिला उम्मीदवारों को 2.4 किलोमीटर की दौड़ 16 मिनट में पूरी करनी होगी। निर्धारित समय में दौड़ पूरी न करने पर अभ्यर्थी अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे। मेरिट निर्धारण में लिखित परीक्षा के अंक, एनसीसी प्रमाण पत्र, स्काउट-गाइड अनुभव, आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण या वैध ड्राइविंग लाइसेंस जैसी अतिरिक्त योग्यताओं के लिए बोनस अंक जोड़े जाएंगे, जिससे उम्मीदवारों की जिलावार सूची तैयार की जाएगी।
चयन के बाद मानदेय, भत्ते और ड्यूटी व्यवस्था: होमगार्डों को मिलेगा स्थायित्व और सम्मान
चयनित अभ्यर्थियों को नियमित ड्यूटी के आधार पर प्रतिदिन लगभग 900 रुपये से अधिक मानदेय दिया जाएगा, जिसे ड्यूटी अलाउंस कहा जाता है। यह राशि महीने के अनुसार भुगतान की जाती है और ड्यूटी के दिनों के आधार पर तय होती है। जितने दिन ड्यूटी लगेगी, उतने दिनों का भुगतान होगा। 2017 से पहले यह व्यवस्था नियमित नहीं थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में सुधार हुआ और अब होमगार्डों को प्रतिदिन ड्यूटी दी जाती है। होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति के अनुसार, पहले ट्रेनिंग भत्ता केवल 260 रुपये प्रतिदिन था, पर अब ट्रेनिंग और डेली भत्ता दोनों समान कर दिए गए हैं। पहले अंतरजनपदीय जिले में ड्यूटी पर 30 रुपये का भत्ता दिया जाता था, जो अब बढ़ाकर 120 रुपये कर दिया गया है। वर्दी भत्ता और यातायात भत्ता भी सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाता है। ड्यूटी ऑनलाइन लगने की प्रणाली ने पारदर्शिता और नियमितता दोनों सुनिश्चित की है। यह भर्ती न केवल युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा अवसर है बल्कि राज्य सरकार की सुरक्षा और नागरिक सहयोग व्यवस्था को भी मज़बूती देगी। लगभग साढ़े चार दशक पुराने इस विभाग में नई भर्ती से न केवल सुरक्षा तंत्र को बल मिलेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर आर्थिक स्थिरता और रोजगार सृजन की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। इस निर्णय से यह साफ़ संदेश गया है कि सरकार जनता से जुड़ी हर इकाई को तकनीकी, पारदर्शी और आधुनिक प्रशासनिक ढांचे से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि आने वाले समय में राज्य की सुरक्षा व्यवस्था अधिक संगठित और प्रभावशाली रूप में सामने आए।




