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यूपी में ईवी खरीद पर टैक्स और फीस पूरी तरह माफ: 2027 तक जारी रहेगी छूट, सब्सिडी से बढ़ेगा इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन

यूपी सरकार ने ईवी को बढ़ावा देने के लिए बड़ा फैसला लिया, अब रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस नहीं देनी होगी, सब्सिडी के साथ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस

Electric vehicles charging at a public charging station in Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। अब ईवी खरीदने वालों को रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस नहीं देनी होगी। परिवहन विभाग ने अपने पोर्टल को अपडेट करते हुए इस नीति को तत्काल लागू कर दिया है, जो 13 अक्टूबर 2027 तक प्रभावी रहेगी। यानी आने वाले दो वर्षों तक यूपी में इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदना पहले से कहीं ज्यादा सस्ता हो गया है। इस राहत के तहत 10 लाख रुपए की इलेक्ट्रिक कार पर तकरीबन 90 हजार रुपए की सीधी बचत होगी। सरकार ने घोषणा की है कि धनतेरस और दीपावली के दौरान जिन वाहन स्वामियों ने टैक्स या शुल्क का भुगतान किया था, उन्हें वह राशि वापस की जाएगी। इसके लिए खरीदारों को संबंधित एआरटीओ कार्यालय में रिफंड आवेदन देना होगा। यह छूट सभी श्रेणियों के ईवी पर लागू है, जिसमें टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर, फोर-व्हीलर, ई-बस, ई-ऑटो, ई-रिक्शा और ई-गुड्स वाहन शामिल हैं। पहले जहां 10 लाख रुपए की कार पर 9 से 11 फीसदी रोड टैक्स देना पड़ता था, वहीं अब यह पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। दोपहिया वाहनों के लिए पहले 300 रुपए और चारपहिया के लिए 600 रुपए का पंजीकरण शुल्क लिया जाता था, लेकिन अब वह भी शून्य कर दिया गया है। इससे न केवल निजी खरीदार बल्कि व्यावसायिक वाहन मालिकों को भी बड़ा लाभ मिलेगा। परिवहन विभाग ने अपने पोर्टल में ऐसा संशोधन किया है कि ईवी चयन होते ही टैक्स जीरो दिखाई देगा, जिससे रजिस्ट्रेशन के समय ही छूट का लाभ मिल जाएगा। यह नीति यूपी की “इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और गतिशीलता नीति 2022” का हिस्सा है, जिसके तहत राज्य में ईवी अपनाने और निवेश को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति के चलते यूपी देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में अग्रणी राज्य बन गया है। अप्रैल 2019 से मार्च 2024 के बीच राज्य में 6 लाख 65 हजार से अधिक ईवी की बिक्री दर्ज की गई, जबकि 2024-25 वित्तीय वर्ष में अब तक लगभग 3 लाख 77 हजार ईवी बेचे जा चुके हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि राज्य में ईवी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और नीति का सीधा असर उपभोक्ताओं पर दिख रहा है।

सब्सिडी, चार्जिंग स्टेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस

टैक्स और रजिस्ट्रेशन छूट के साथ यूपी सरकार ने ईवी सब्सिडी योजना को भी सशक्त किया है। संशोधित ईवी नीति के तहत अब दोपहिया पर 5,000 रुपए, चारपहिया पर 1 लाख रुपए और ई-बस पर 20 लाख रुपए तक की सब्सिडी दी जा रही है। यह सब्सिडी 2027 तक लागू रहेगी। परिवहन और ऊर्जा विभाग ने इसके साथ-साथ चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने पर भी विशेष ध्यान दिया है। विद्युत मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 1 अगस्त 2025 तक राज्य में कुल 2,326 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अलावा शहरी परिवहन निदेशालय ने पीपीपी मॉडल पर 16 प्रमुख शहरों में 320 नए चार्जिंग स्टेशन बनाने की योजना शुरू की है। इसमें लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, अयोध्या, वाराणसी, मेरठ, आगरा और झांसी जैसे शहर शामिल हैं। लखनऊ में सबसे अधिक 27, जबकि अयोध्या में 28 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की तैयारी है। प्रत्येक स्टेशन के लिए 180 वर्ग फुट भूमि उपलब्ध कराई जाएगी, जहां फास्ट और स्लो दोनों प्रकार के चार्जर लगाए जाएंगे। ये स्टेशन दोपहिया से लेकर चारपहिया तक सभी श्रेणी के ईवी के लिए उपयुक्त होंगे। सरकार की इस पहल का उद्देश्य न केवल ईवी उपयोग को बढ़ावा देना है बल्कि रोजगार सृजन और ऊर्जा दक्षता में सुधार लाना भी है। फिलहाल राज्य में बिजली उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने के लिए भी काम किया जा रहा है ताकि ईवी चार्जिंग से बिजली आपूर्ति पर कोई असर न पड़े। ऊर्जा विभाग ने स्पष्ट किया है कि आने वाले समय में सोलर चार्जिंग हब और रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज को भी इस नेटवर्क से जोड़ा जाएगा।

ईवी से होने वाली बचत और भविष्य की संभावनाएं

ईवी अपनाने से उपभोक्ताओं को आर्थिक लाभ के साथ पर्यावरणीय फायदा भी मिल रहा है। पेट्रोल-डीजल की तुलना में ईवी चलाना बेहद सस्ता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी व्यक्ति के पास पेट्रोल कार है तो उसे हर महीने ईंधन पर लगभग 3,000 रुपए खर्च करने पड़ते हैं, जबकि समान दूरी तय करने के लिए ईवी को चार्ज करने में केवल 600 रुपए खर्च होते हैं। इस तरह एक साल में 30,000 रुपए तक की बचत संभव है। यदि कोई व्यक्ति 1 लाख रुपए की इलेक्ट्रिक बाइक खरीदता है तो वह लगभग 3 साल में अपने वाहन की पूरी लागत बचा सकता है। इसके अलावा ईवी का मेंटेनेंस खर्च भी बेहद कम है, क्योंकि इसमें इंजन ऑयल, फिल्टर और क्लच जैसी जटिल चीजें नहीं होतीं। अधिकांश कंपनियां ईवी की बैटरी पर 50,000 किलोमीटर या 5 साल तक की वारंटी देती हैं। नीति के तहत अब तक करीब 17,600 वाहन मालिक सब्सिडी का लाभ उठा चुके हैं जबकि 38,000 से अधिक आवेदन प्रक्रिया में हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दो वर्षों में ईवी बाजार में और तेजी देखने को मिलेगी। अमेरिकी रिसर्च फर्म गार्टनर की रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक वैश्विक स्तर पर ईवी की बिक्री 43% बढ़कर 2 करोड़ से अधिक तक पहुंच सकती है। वहीं भारत में टाटा, हुंडई, एमजी, हीरो और अथर एनर्जी जैसी कंपनियां इस क्षेत्र में तेजी से निवेश बढ़ा रही हैं। यूपी सरकार की नई नीति इस दिशा में निर्णायक भूमिका निभा रही है, क्योंकि टैक्स छूट और सब्सिडी से राज्य में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को नई गति मिली है। पर्यावरण संरक्षण, ईंधन बचत और स्वच्छ परिवहन के इस मिशन में यूपी अब देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है।

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