सहारनपुर के रहने वाले पूर्व पंजाब DGP मोहम्मद मुस्तफा के बेटे अकील मुस्तफा की 16 अक्टूबर की रात पंचकुला में मौत हुई। परिवार ने शुरुआत में कहा कि दवाओं के ओवरडोज से मौत हुई। लेकिन बाद में खुलासा हुआ कि अकील को करीब 18 साल से साइकोटिक डिसऑर्डर था। इस मानसिक बीमारी में व्यक्ति वास्तविकता से कट जाता है और काल्पनिक दुनिया में रहने लगता है। मनोचिकित्सक बताते हैं कि इसमें भ्रम, सुनाई देने वाली आवाज़ें, असामान्य विचार और सामाजिक व्यवहार में गड़बड़ी जैसी परेशानियां शामिल हो सकती हैं।
साइकोटिक डिसऑर्डर के अंतर्गत करीब 20 प्रकार की मानसिक बीमारियां आती हैं, जिनमें सिजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर प्रमुख हैं। सिजोफ्रेनिया के मरीज अक्सर अपनी दुनिया में रहते हैं, कानों में आवाज़ें सुनते हैं, अकारण संदेह करते हैं, अपने आप से बात करते हैं और भावनाओं को ठीक से व्यक्त नहीं कर पाते। दिमाग में डोपामाइन के स्तर में असंतुलन इसके लक्षणों को बढ़ा सकता है।
साइकोटिक डिसऑर्डर और उससे जुड़े खतरें
साइकोटिक डिसऑर्डर न केवल मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है, बल्कि व्यवहार और निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। यह न्यूरोसिस से अलग है, जहां व्यक्ति अपने तनाव और चिंता को समझ सकता है और वास्तविकता की पहचान बनाए रखता है। साइकोटिक रोगियों में निर्णय लेने की क्षमता और आत्म-जागरूकता प्रभावित हो जाती है।
ऐसे रोगियों में आत्महत्या और हिंसक प्रवृत्ति का जोखिम अधिक होता है। हाथरस में 2024 के 11 साल के बच्चे की हत्या की घटना में विशेषज्ञों ने पाया कि अपराध करने वाला किशोर सिजोफ्रेनिया या संबंधित मानसिक विकार से प्रभावित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि परिवार और समाज के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि मरीज अक्सर अपने व्यवहार से अप्रत्याशित और खतरनाक स्थितियों को जन्म दे सकते हैं।
इलाज, जागरूकता और वैश्विक आंकड़े
साइकोटिक डिसऑर्डर का इलाज अब संभव है। मरीजों को परिवार के बीच सुरक्षित वातावरण, नियमित मनोरोग विशेषज्ञ से परामर्श और लगातार दवा उपचार की आवश्यकता होती है। रिकवरी दर 50 प्रतिशत से ऊपर नहीं होती, लेकिन सतत इलाज से यह 90 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। 2023 में भारत में गुरुग्राम के मरेन्गो एशिया अस्पताल में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) तकनीक से सिजोफ्रेनिया का इलाज किया गया। इसमें मस्तिष्क में इलेक्ट्रोड लगाकर असामान्य गतिविधियों को नियंत्रित किया गया, जिससे मरीज के लक्षणों में 50-60 प्रतिशत सुधार दिखा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में लगभग 2.4 करोड़ लोग सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हैं। भारत में मेंटल हेल्थ की समस्याओं से लगभग 20 प्रतिशत वयस्क प्रभावित हैं, जिनमें 72 प्रतिशत को पर्याप्त इलाज नहीं मिल पाता। विशेषज्ञ मानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता बढ़ाने, इलाज और पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही समय पर उपचार और समर्थन से साइकोटिक डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति की जिंदगी में सुधार संभव है और समाज पर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।




