Hindi News / State / Uttar Pradesh / काशी की देव दीपावली में जगमगाएंगे 25 लाख दीप: पीएम मोदी ऑनलाइन देखेंगे आरती, 2 लाख श्रद्धालु घाटों पर उमड़ेंगे, 1 घंटे का लेजर शो, 15 मिनट आतिशबाजी

काशी की देव दीपावली में जगमगाएंगे 25 लाख दीप: पीएम मोदी ऑनलाइन देखेंगे आरती, 2 लाख श्रद्धालु घाटों पर उमड़ेंगे, 1 घंटे का लेजर शो, 15 मिनट आतिशबाजी

देव दीपावली इस बार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को समर्पित, शहीदों को श्रद्धांजलि, दशाश्वमेध घाट से गंगा सेवा निधि करेगी लाइव प्रसारण, गंगा आरती में शामिल होंगे 21 अर्चक और 42 देव कन्याएं

Dev Deepawali 2025 celebrations at Dashashwamedh Ghat Varanasi | UP News

वाराणसी में 5 नवंबर की शाम देव दीपावली का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस वर्ष की देव दीपावली ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को समर्पित है और पहलगाम हमले में शहीद हुए 26 वीरों को नमन किया जाएगा। इस बार करीब 2 लाख श्रद्धालु गंगा आरती में शामिल होंगे, जबकि लाखों लोग घाटों और नावों से इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बनेंगे। विशेष बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस वर्ष देव दीपावली को ऑनलाइन देखेंगे। पहली बार गंगा सेवा निधि संस्था अपने यूट्यूब चैनल से इस महाआरती का लाइव प्रसारण करेगी, जिससे देश-विदेश में बैठे लोग भी काशी की इस दिव्यता का अनुभव कर सकेंगे। गंगा के दोनों तटों पर 25 लाख से अधिक मिट्टी के दीपक जलाए जाएंगे। यह दृश्य काशी के हर घाट को सुनहरी रोशनी से नहलाएगा। पर्यटन विभाग ने कुल 20 सेक्टर बनाए हैं, जिनमें हर सेक्टर के लिए नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं। कार्यक्रम की शुरुआत शंखनाद और डमरू की गूंज के साथ होगी। शाम 8 बजे से गंगा आरती आरंभ होगी और इसके साथ ही 25 मिनट का 3-डी प्रोजेक्शन लेजर शो काशी के गौरव, गंगा की महिमा और बाबा विश्वनाथ की आस्था को प्रदर्शित करेगा। इसके बाद 15 मिनट तक ग्रीन आतिशबाजी गंगा घाटों को रोशन करेगी।

गंगा आरती की परंपरा और इसकी शुरुआत की कहानी

दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि वाराणसी में गंगा आरती की शुरुआत 1989 में उनके पिता स्वर्गीय सत्येंद्र मिश्रा और उनके सहयोगियों ने की थी। उस समय घाटों पर शाम होते ही सन्नाटा छा जाता था। तब उन्होंने घाट की सफाई कर एक अर्चक के रूप में आरती शुरू की। धीरे-धीरे यह परंपरा 3, 5 और अब 7 अर्चकों तक पहुंची। देव दीपावली के अवसर पर यह संख्या 21 अर्चकों तक बढ़ जाती है। 42 देव कन्याएं रिद्धि-सिद्धि के रूप में चंवर डुलाती हैं और दीपों की आभा से पूरा दशाश्वमेध घाट जगमगा उठता है। इस आरती के लिए तैयारियां 1.5 महीने पहले से शुरू हो जाती हैं। गंगा सेवा निधि के 35 सदस्य रोजाना प्रबंधन में जुटे रहते हैं। इस बार का आयोजन शौर्य के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सेना के शहीदों को समर्पित किया गया है। संस्था ने बताया कि 1999 में कारगिल विजय के बाद ‘आकाशदीप’ जलाने की परंपरा शुरू हुई थी, जो आज भी जारी है। हर दीप एक शहीद जवान की स्मृति में प्रज्वलित किया जाता है। इस बार अमर बलिदानी अरविंद कुमार यादव, सुनील पांडेय, रितेश कुमार सिंह, इंद्रभूषण सिंह और 11वीं बटालियन एनडीआरएफ के राम बहादुर सिंह सहित सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

सुरक्षा और सुविधा की कड़ी व्यवस्था, श्रद्धालुओं के लिए लाइव प्रसारण

संस्था द्वारा इस वर्ष सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। घाटों पर 24 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और 150 वॉलंटियर्स को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा भारत सेवा श्रम संघ के 100 स्वयंसेवक सुरक्षा उपकरणों के साथ मुस्तैद रहेंगे। राजकीय चिकित्सालय द्वारा मेडिकल टीम और एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है, जबकि एनडीआरएफ की 11वीं वाहिनी वाटर एम्बुलेंस के साथ तैनात रहेगी। गंगा सेवा निधि ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आरती का लाइव लिंक भी जारी किया है – https://www.youtube.com/@gangaaartigangasevanidhi2261। इस वर्ष पहली बार 3 शिफ्टों में लेजर शो होगा और ‘काशी कथा’ नामक प्रोजेक्शन मैपिंग के जरिए गंगा, विश्वनाथ और काशी की अनंत विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इस आयोजन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रण भेजा गया था, जिनके कार्यालय से देव दीपावली के लिए शुभकामनाएं प्राप्त हुई हैं। घाटों पर फूलों की सजावट, दीयों की कतारें और हवा में गूंजते शंख-डमरू की ध्वनि इस बात की गवाही देंगी कि काशी न केवल धर्म की राजधानी है, बल्कि आस्था और एकता की भी मिसाल है।

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