मुरादाबाद के रामपुर दोराहा इलाके में शनिवार रात लगी भीषण आग ने एक संपन्न परिवार की खुशियां राख कर दीं। ‘परी रेस्टोरेंट’ के मालिक प्रदीप श्रीवास्तव, जिनका कारोबार करोड़ों में था, अब पूरी तरह से सड़क पर आ गए हैं। आग ने न केवल उनका घर और रेस्टोरेंट निगल लिया, बल्कि उनकी मां मंजू देवी की जिंदगी भी छीन ली। मंजू देवी (60) ने आखिरी सांस तक अपने पोते-पोतियों को बचाने की कोशिश की। प्रदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि जब आग घर में फैली तो उन्होंने अपनी पत्नी, बहन और बच्चों को तीसरी मंजिल से तिरपाल पर कूदकर नीचे सुरक्षित पहुंचाया। लेकिन, उनकी मां को लगा कि बच्चे दूसरी मंजिल पर फंसे हुए हैं। उन्हें बचाने के लिए वे नीचे चली गईं और फिर कभी वापस नहीं लौटीं। दो घंटे बाद जब फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाया, तो मंजू देवी दूसरी मंजिल पर बेहोश पड़ी मिलीं। अस्पताल ले जाते समय डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। प्रदीप की आंखों में आंसू भर आते हैं-“मां बच सकती थी, अगर वो भी हमारे साथ छत से कूद जातीं। लेकिन, वो बच्चों के मोह में खुद आग में समा गईं।”
शादी की आतिशबाजी से लगी आग ने उजाड़ा पूरा घर
26 अक्टूबर की रात करीब 10 बजे आग की शुरुआत पास के ‘क्लार्क इन’ होटल में हुई शादी की आतिशबाजी से हुई। वहां उड़ते पटाखे परी रेस्टोरेंट के टीनशेड पर गिरे, जिससे आग तेजी से फैल गई। प्रदीप ने बताया कि उस समय पूरा परिवार ऊपर तीसरी मंजिल पर था। जब नीचे से धुआं उठता देखा तो वे भागकर छत पर पहुंचे। नीचे का रास्ता पूरी तरह लपटों में घिर चुका था। उन्होंने शोर मचाया, तो आसपास के लोग मदद को आ गए और घर के बगल में खाली पड़े खेत में तिरपाल पकड़ लिया। प्रदीप ने एक-एक करके अपने दो बच्चों और बहन के तीन बच्चों को तिरपाल पर फेंककर बचाया। उनकी पत्नी और बहन भी कूद गईं। लेकिन मां मंजू देवी नीचे जाकर फंस गईं। प्रदीप कहते हैं-“मैंने उन्हें बहुत ढूंढा, लेकिन धुआं और अंधेरा इतना था कि कुछ दिखा ही नहीं। जब तक दमकल आई, सबकुछ जल चुका था।” फायर ब्रिगेड की आठ गाड़ियां और 25 से अधिक फायर फाइटर्स ने करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। इस हादसे में मंजू देवी की मौत के अलावा 10 लोग झुलस गए, जिन्हें इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। आग की भीषणता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पांच गैस सिलेंडर फटकर राख हो गए और पूरा मकान खंडहर में बदल गया।
करोड़पति से कर्जदार बने प्रदीप, रिश्तेदारों ने मां का अंतिम संस्कार कराया
एक वक्त था जब प्रदीप श्रीवास्तव का नाम मुरादाबाद के सफल रेस्टोरेंट कारोबारियों में गिना जाता था। आठ साल पहले उन्होंने रामपुर दोराहा पर परी रेस्टोरेंट खोला था, जो कुछ ही वर्षों में शहर का लोकप्रिय ठिकाना बन गया। लेकिन एक रात की आग ने उनकी जिंदगी उलट दी। वे बताते हैं-“घर में रखा सारा सामान, नकदी और दस्तावेज सब जलकर राख हो गए। जमीन खरीदने के लिए रखे दस लाख रुपये भी खत्म हो गए। जेब में रोटी खरीदने तक के पैसे नहीं बचे।” इतना ही नहीं, मां के अंतिम संस्कार के लिए भी उन्हें रिश्तेदारों और दोस्तों से मदद लेनी पड़ी। प्रदीप का कहना है कि वो अब अपने परिवार के साथ रिश्तेदारों के घर रह रहे हैं और सबकुछ फिर से शुरू करने की कोशिश में हैं। आग के समय उनकी बहन साधना अपने बच्चों के साथ छठ पूजा के लिए आई हुई थीं, जो हादसे में घायल हो गईं। हालांकि अब वे सभी खतरे से बाहर हैं। इस हादसे ने इलाके में सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं-आखिर आबादी वाले क्षेत्रों में होने वाली शादी की आतिशबाजी कब तक मासूम जिंदगियों को खतरे में डालती रहेगी? फिलहाल प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन प्रदीप जैसे लोग जो एक रात में सबकुछ खो बैठे, उनके लिए यह आग हमेशा यादों का जलता घाव बन चुकी है।




