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Uttar Pradesh News : मायावती बोलीं- मुस्लिम समाज बसपा को वोट दें ताकि BJP को हराया जा सके, पहली बार 36 मुस्लिम नेताओं संग की अहम बैठक

UP news in hindi : बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा -सपा और कांग्रेस सिर्फ बातें करती हैं, बसपा ने ही मुस्लिम समाज के लिए काम किया

Mayawati meeting Muslim leaders in Lucknow BSP office | UP News

लखनऊ में बुधवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने पहली बार मुस्लिम नेताओं के साथ डेढ़ घंटे तक चली अहम बैठक में कहा कि मुस्लिम समाज को अब सपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों के बहकावे में नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि “यदि भाजपा की घातक राजनीति को हराना है, तो मुस्लिम समाज को सीधे बसपा का समर्थन करना होगा।” बैठक में यूपी के सभी 75 जिलों के जिलाध्यक्षों सहित करीब 450 नेता शामिल हुए। मायावती के साथ मंच पर उनके भतीजे आकाश आनंद मौजूद रहे, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। बैठक का आयोजन बसपा कार्यालय के मुख्य हॉल में किया गया, जहां मुस्लिम नेताओं को पहली पंक्ति में बैठाया गया जबकि वरिष्ठ नेता पीछे की पंक्ति में बैठे। बैठक के बाद मायावती ने सभी प्रतिभागियों को पीले रंग की फाइल सौंपी, जिसमें बसपा की पिछली सरकारों के दौरान मुस्लिम समाज के लिए किए गए 100 कामों की सूची शामिल थी। उन्होंने निर्देश दिया कि “इन योजनाओं के आधार पर समाज में जाएं और बताएं कि बसपा ने ही असल में उनके विकास के लिए काम किया है, बाकी पार्टियां सिर्फ बातें करती हैं।”

बसपा की रणनीति: सोशल इंजीनियरिंग 2.0 की तैयारी

मायावती की यह बैठक पिछले एक महीने में चौथा बड़ा आयोजन थी। इससे पहले 9 अक्टूबर को लखनऊ में बड़ी रैली, 16 और 19 अक्टूबर को क्रमशः यूपी–उत्तराखंड और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकें हुई थीं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बसपा 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर “सोशल इंजीनियरिंग 2.0” के फार्मूले पर काम कर रही है। इस रणनीति का लक्ष्य दलित (D), पिछड़ा (P) और अल्पसंख्यक (A) वर्गों को एकजुट करना है, जिसे अब “PDA फॉर्मूले” के जवाब में देखा जा रहा है। 2007 में बसपा को इसी फार्मूले – दलित, ब्राह्मण, ओबीसी और मुस्लिम भाईचारा सम्मेलनों – से सत्ता मिली थी। मायावती ने बैठक में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) को लेकर भी चर्चा की और निर्देश दिए कि “हर बूथ पर यह सुनिश्चित किया जाए कि बसपा समर्थक मुस्लिम मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में हों।” मेरठ मंडल प्रभारी आनंद सिंह चंद्रेश ने बताया कि मायावती द्वारा दी गई पीली फाइल में SIR से जुड़ी पूरी जानकारी है, जिससे मुस्लिम समाज को संगठित करने की योजना बनाई जा सके। प्रयागराज मंडल प्रभारी अभिषेक गौतम ने कहा कि “बैठक मुख्य रूप से मुस्लिम भाईचारा संगठन को मजबूत करने और बूथ लेवल पर सक्रियता बढ़ाने को लेकर थी।”

बैठक में मायावती ने शमसुद्दीन राईन का भी जिक्र किया, जिन्हें अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निकाला गया था। उन्होंने कहा कि “ऐसे स्वार्थी और भीतरघाती तत्वों से सतर्क रहना जरूरी है ताकि संगठन को नुकसान न पहुंचे।” यह बयान इस ओर इशारा करता है कि बसपा अब नए मुस्लिम चेहरों को सामने लाने और पुराने असंतुष्ट नेताओं को किनारे करने की तैयारी में है।

बसपा की सक्रियता से कार्यकर्ताओं में जोश, 2027 की तैयारी तेज

बैठक के बाद कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। जालौन से आए एक बसपा समर्थक सुखराम ने कहा, “बहनजी की गति बहुत तेज है। पूरा मुस्लिम समाज उनके साथ है। वे यूपी में सीएम बनेंगी और फिर दिल्ली में पीएम।” कानपुर नगर विधानसभा प्रभारी दीपक कुमार गौतम ने बताया कि “एक महीने के अंदर चार बड़ी बैठकें यह दिखाती हैं कि मायावती 2027 चुनाव को लेकर कितनी गंभीर हैं।” वहीं, बिजनौर के मोहम्मद अबरार मंसूरी ने विश्वास जताया कि “मुस्लिम समाज बड़ी संख्या में बसपा के साथ आएगा और सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।”

राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल के अनुसार, “बसपा अब सपा के PDA (पिछड़ा–दलित–अल्पसंख्यक) समीकरण के समानांतर अपना ‘BSP-PDA’ समीकरण खड़ा करना चाहती है।” उनका मानना है कि 2024 लोकसभा और उपचुनावों में मुस्लिम वोटों ने निर्णायक भूमिका निभाई थी, इसलिए मायावती अब उसी वर्ग को साधने की कोशिश में हैं। यूपी में लगभग 19% मुस्लिम आबादी है और 57 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता 30% से 60% तक हैं। यही वजह है कि बसपा इस वोट बैंक पर फोकस कर रही है।

मायावती की बैठक में यह भी तय किया गया कि जनवरी 2026 तक सभी जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम भाईचारा कमेटियों का गठन पूरा किया जाए। उनके निर्देशों के मुताबिक, “हर मंडल, जिला और बूथ स्तर पर मुस्लिम समाज के नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी, ताकि बसपा का संगठन जमीनी स्तर पर मजबूत हो सके।”

मायावती की सक्रियता ने बसपा में नई ऊर्जा भर दी है। लंबे समय से निष्क्रिय दिख रही पार्टी अब आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में उतरती दिख रही है। मुस्लिम नेताओं के साथ यह पहली औपचारिक बैठक इस बात का संकेत है कि बसपा अब फिर से अपनी पुरानी सामाजिक इंजीनियरिंग की नीति को आगे बढ़ा रही है। मायावती का यह संदेश साफ है – “बसपा ही वह विकल्प है, जो भाजपा को सत्ता से दूर रख सकती है।”

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