लखनऊ के आलमबाग इलाके में स्थित उत्तर रेलवे के तीन मंजिला अस्पताल में सोमवार तड़के भीषण आग लग गई, जिससे पूरे परिसर में अफरा-तफरी मच गई। सुबह करीब 5:38 बजे फायर कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर धुआं उठ रहा है। कुछ ही मिनटों में दमकल की टीम 5:48 बजे मौके पर पहुंच गई। प्रारंभिक जांच में पता चला कि आग की शुरुआत अस्पताल के भूतल पर बने सीसीटीवी सर्वर रूम से हुई थी, जहां शॉर्ट सर्किट के कारण अचानक लपटें उठीं। सर्वर रूम में लगी आग धीरे-धीरे फैलने लगी और कुछ ही समय में पूरे ग्राउंड फ्लोर को अपनी चपेट में ले लिया। धुआं ऊपर के फ्लोर तक पहुंच गया, जिससे फर्स्ट फ्लोर पर बने क्रिटिकल केयर यूनिट (CCU) में भर्ती 22 मरीजों का सांस लेना मुश्किल हो गया। अस्पताल में अचानक मची हलचल के बीच फायर अलार्म बजने लगे और मरीजों के परिजन व स्टाफ घबराकर बाहर निकलने लगे। लेकिन कुछ ही पलों में मेडिकल टीम और कर्मचारियों ने संयम बनाए रखा और मरीजों को बचाने का अभियान शुरू किया।
दमकल कर्मियों ने दिखाई तत्परता, रैंप और सीढ़ियों से बचाए गए सभी 22 मरीज
धुएं से भरे वार्डों में स्थिति गंभीर हो चुकी थी। कई मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे और हालत नाजुक थी। इस बीच दमकल विभाग की दो गाड़ियां आलमबाग और हजरतगंज फायर स्टेशन से पहुंचीं। फायर टीम ने बिना समय गंवाए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। आलमबाग फायर स्टेशन प्रभारी धर्मपाल सिंह के अनुसार, रैंप और सीढ़ियों के रास्ते सभी मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। बुजुर्ग और गंभीर मरीजों को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर के जरिए बाहर लाया गया, जबकि कुछ को मेडिकल स्टाफ ने अपने कंधों पर उठाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। लगभग एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया। इसके बाद अस्पताल के फर्स्ट फ्लोर पर फंसे मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया। फायर टीम ने स्मोक गन और एक्सट्रैक्शन फैन की मदद से अस्पताल में फैले घने धुएं को बाहर निकाला। अस्पताल की इमरजेंसी यूनिट को तुरंत सील कर दिया गया, जिससे धुआं वहां तक न पहुंचे। गनीमत यह रही कि समय रहते राहत कार्य शुरू हो गया, अन्यथा स्थिति गंभीर हो सकती थी। फायर अफसरों ने बताया कि सर्वर रूम की वायरिंग और उपकरण पूरी तरह जलकर खाक हो गए, लेकिन समय पर पहुंची दमकल टीम ने बड़ा हादसा होने से बचा लिया।
प्रशासन सतर्क, जांच के आदेश और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
अस्पताल में आग की घटना के बाद रेलवे प्रशासन और स्थानीय पुलिस ने तुरंत जांच के आदेश दे दिए। उत्तर रेलवे की वरिष्ठ चिकित्साधिकारी (सीएमएस) डॉ. संगीता सागर ने बताया कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी थी और समय पर कार्रवाई के कारण कोई जनहानि नहीं हुई। सभी मरीज, परिजन और स्टाफ सुरक्षित हैं तथा अस्पताल की सेवाएं सामान्य रूप से चालू कर दी गई हैं। फायर विभाग ने भी पुष्टि की कि यदि दमकल की टीमें देर से पहुंचतीं, तो धुएं के कारण कई मरीजों की स्थिति गंभीर हो सकती थी। फिलहाल अस्पताल की इमारत की तकनीकी जांच कराई जा रही है ताकि आग लगने के वास्तविक कारणों की पुष्टि की जा सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचाव हो सके। घटना के बाद डीआरएम, आरपीएफ और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और नुकसान का जायजा लिया। सुरक्षा के मद्देनजर अस्पताल परिसर में आरपीएफ के 20 जवानों को तैनात किया गया है, जो संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी कर रहे हैं। प्रशासन ने पूरे अस्पताल की वायरिंग, इलेक्ट्रिकल सिस्टम और सर्वर यूनिट की ऑडिट कराने का आदेश दिया है। आग लगने की इस घटना ने एक बार फिर बड़े सरकारी और रेलवे अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि सभी मरीजों को सुरक्षित निकाल लिया गया और किसी तरह की जनहानि नहीं हुई। स्थानीय प्रशासन ने कहा कि जिम्मेदारों की लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई तय है। फिलहाल अस्पताल परिसर में स्थिति पूरी तरह सामान्य है और इलाज की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी गई है।




