लखनऊ के महानगर थाने की पेपरमिल कॉलोनी चौकी पर बुधवार रात एक बड़ा खुलासा हुआ जब एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने दरोगा धनंजय सिंह को 2 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया। टीम ने दरोगा को चौकी से बाहर निकालकर सीधे अलीगंज थाने ले जाकर पूछताछ शुरू की। दरअसल, यह पूरा मामला एक गैंगरेप केस से जुड़ा है, जिसमें आरोपी कोचिंग संचालक प्रतीक गुप्ता ने दरोगा पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। प्रतीक का कहना है कि उसके यहां काम करने वाली महिला कर्मचारी ने चार महीने पहले नौकरी छोड़ने के बाद उस पर और एक अन्य व्यक्ति रियाज अहमद पर गैंगरेप का केस दर्ज कराया था। जब उसे पुलिस ने थाने बुलाया तो पता चला कि केस में एक ऐसा व्यक्ति भी शामिल किया गया है जिसे वह जानता तक नहीं। प्रतीक ने दावा किया कि महिला ने फर्जी केस दर्ज कराकर उससे 50 लाख रुपये की मांग की थी। बाद में वह 10 लाख देने को तैयार हो गया, लेकिन इसके बाद भी महिला पक्ष ने दबाव बनाए रखा। इसी बीच केस की जांच कर रहे दरोगा धनंजय सिंह ने उससे संपर्क किया और कहा कि यदि वह पैसा दे दे तो उसका नाम केस से हटा दिया जाएगा। प्रतीक ने यह बात एंटी करप्शन विभाग को बताई, जिसके बाद शिकायत की सत्यता जांचने के लिए ट्रैप की योजना बनाई गई।
हिडेन कैमरे में कैद हुआ सच: एंटी करप्शन टीम की सफल ट्रैप कार्रवाई
एंटी करप्शन ब्यूरो की सीओ आरके शर्मा की अगुवाई में 18 सदस्यीय टीम ने इस पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया। टीम ने ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए कोचिंग संचालक प्रतीक की शर्ट में एक हिडेन कैमरा लगाया ताकि पूरे लेन-देन की रिकॉर्डिंग हो सके। बुधवार रात लगभग 8 बजे प्रतीक दो लाख रुपये नकद लेकर पेपरमिल कॉलोनी चौकी पहुंचा। जैसे ही उसने रुपये दरोगा धनंजय सिंह को दिए, टीम ने तुरंत मौके पर दबिश दी और आरोपी दरोगा को रंगे हाथ पकड़ लिया। कार्रवाई के दौरान दरोगा खुद को निर्दोष बताते हुए टीम से हाथ छुड़ाने की कोशिश करता रहा, लेकिन टीम ने उसे काबू में लेकर थाने पहुंचाया। यह पूरी कार्रवाई कैमरे में दर्ज हो चुकी है और अधिकारियों के अनुसार सबूत पर्याप्त हैं। टीम ने रुपये बरामद कर लिए और आरोपी दरोगा को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि दरोगा ने इससे पहले भी कई मामलों में पक्षकारों से पैसे लेकर ‘सेटलमेंट’ कराने की कोशिश की थी।
रिश्वतखोरी पर गिरी गाज, पुलिस विभाग में हड़कंप
दरोगा धनंजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। अलीगंज थाने में विधिक कार्रवाई की जा रही है और आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तारी के तुरंत बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने उसकी सेवा निलंबित करने की सिफारिश की है। वहीं, पीड़ित प्रतीक गुप्ता ने कहा कि यदि वह एंटी करप्शन टीम से संपर्क न करता, तो शायद उसे किसी झूठे केस में फंसा दिया जाता। उसने यह भी दावा किया कि गैंगरेप केस पूरी तरह झूठा है और अब उसे न्याय की उम्मीद है। इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं कि कानून की रक्षा करने वाले ही अगर रिश्वतखोरी में लिप्त पाए जाते हैं, तो आम जनता कैसे भरोसा करे। फिलहाल एंटी करप्शन विभाग ने आरोपी दरोगा के बैंक खातों और संपत्ति की जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने कितने लोगों से अवैध वसूली की है। सीओ आरके शर्मा ने बताया कि जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। उन्होंने कहा कि “कानून के रखवालों को ईमानदारी की मिसाल पेश करनी चाहिए, लेकिन जब कोई भ्रष्टाचार करता है, तो उसे किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।” यह कार्रवाई न केवल लखनऊ पुलिस विभाग के लिए सबक है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि रिश्वत लेने वालों के लिए अब कानून और जनता दोनों की आंखें खुली हैं।




