लखनऊ के अवध शिल्पग्राम में शनिवार की शाम फैशन, परंपरा और शिल्प की अद्भुत झलक देखने को मिली जब रिवायत फैशन वीक के मंच पर 40 मॉडल्स ने लखनवी चिकनकारी के शानदार परिधानों में कैटवॉक किया। प्योर कॉटन और हैंडलूम फैब्रिक से तैयार इन परिधानों की बारीक डिजाइन और सादगी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच पर फैशन और संगीत का ऐसा संगम देखने को मिला जिसने स्थानीय कला और आधुनिकता के मेल को नए अंदाज में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार के एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने किया जिन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल परंपरागत कला को संजीवनी देते हैं, बल्कि छोटे कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय पहचान भी दिलाते हैं। फैशन शो की थीम ‘तालीम, ज्ञान और शिल्प का उत्सव’ रखी गई थी जिसमें 32 महिला और 8 पुरुष मॉडल्स ने भाग लिया। रैंप पर हर मॉडल ने चिकनकारी और जरदोजी की नफासत से सजे परिधानों में अपनी अदाओं से दर्शकों का दिल जीत लिया। लखनवी चिकन की शाही छटा को देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचे जिनमें फैशन डिजाइनर्स, छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता और विदेशी मेहमान भी शामिल थे।
डिजाइनर्स ने पेश किए पारंपरिक और आधुनिक कलेक्शन
फैशन शो में कई प्रसिद्ध डिजाइनर्स ने अपनी रचनात्मकता से सभी को प्रभावित किया। प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर रॉकी स्टार ने कहा कि लखनऊ की चिकनकारी की ख्याति सिर्फ भारत तक सीमित नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है। उन्होंने कहा कि “यह कारीगरी ऐसी है जो कभी पुरानी नहीं होगी, इसका आकर्षण हर दौर में कायम रहेगा।” शो में कोलकाता की डिजाइनर अनामिका घोष ने बंगाल की जामदानी और बनारसी ब्रोकेड को आधुनिक पैटर्न के साथ पेश किया। उनके कलेक्शन में पारंपरिक कपड़ों का गहरापन और रंगों की प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिली। वहीं, डिजाइनर वैशाली कुमार ने अपने खादी कलेक्शन के जरिए भारतीय हस्तशिल्प और पर्यावरणीय संवेदनशीलता को प्रदर्शित किया। बिजनौर की बुनकर परंपरा को दर्शाते कलेक्शन में सादगी और सौंदर्य का बेजोड़ संगम नजर आया, जबकि युवा डिजाइनर पायल सिंह ने लखनऊ की चिकनकारी और मुजफ्फरनगर की जरी कारीगरी को मिलाकर एक नया फैशन स्टाइल प्रस्तुत किया। उनके पेस्टल शेड्स और न्यूट्रल टोन में बने परिधानों ने भारतीय नारी की गरिमा और आत्मविश्वास को खूबसूरती से उजागर किया। राजदीप रानावत ने अपने मोरक्कन प्रेरित कलेक्शन में उज्बेकिस्तान की ‘इकट’ कला और मोरक्को की शाही झलक को मिलाकर आधुनिक रिसॉर्ट फैशन का नया रूप पेश किया। उनकी कढ़ाई, हैंड पेंटिंग और रिच सिल्क टेक्सचर ने दर्शकों को अंतरराष्ट्रीय फैशन का अनुभव दिया।
परंपरा को मिला नया मंच, कारीगरों को पहचान
फैशन वीक के दौरान मंत्री राकेश सचान ने कहा कि ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ODOP) योजना के तहत राज्य के पारंपरिक उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयास जारी हैं। लखनऊ की चिकनकारी, बनारस की साड़ी, फिरोजाबाद का ग्लासवर्क और मुरादाबाद की पीतल कला जैसे उत्पाद अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि “खादी और हैंडलूम अब सिर्फ पुराने ज़माने की चीज़ नहीं रहे, बल्कि आज के फैशन ट्रेंड में ये सबसे अलग पहचान बना रहे हैं।” मंत्री ने यह भी बताया कि कारीगरों को प्रशिक्षण और आधुनिक डिजाइनिंग उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं ताकि वे वैश्विक फैशन की मांग के अनुरूप काम कर सकें। चिकनकारी उद्योग से जुड़े कारीगरों के लिए यह फैशन वीक एक बड़ा मंच साबित हुआ, जहां उन्हें अपने हुनर को सीधे डिजाइनर्स और खरीदारों के सामने प्रस्तुत करने का अवसर मिला। इस आयोजन से स्पष्ट संदेश गया कि लखनवी चिकन केवल एक कढ़ाई नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर है जिसे आधुनिक फैशन की भाषा में भी उतनी ही शालीनता से प्रस्तुत किया जा सकता है। फैशन शो ने यह साबित किया कि जब परंपरा और नवाचार का संगम होता है तो कला न केवल जीवित रहती है बल्कि नई ऊंचाइयों को भी छूती है। लखनऊ फैशन वीक ने भारतीय वस्त्रकला, महिला सशक्तिकरण और हस्तशिल्प की दिशा में एक मजबूत कदम रखते हुए नवाबी शहर की पहचान को और अधिक चमका दिया है।




