प्रयागराज के धार्मिक वातावरण में उस समय हलचल मच गई जब किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर और उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की सदस्य कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने घोषणा की कि अब वह एक नया अखाड़ा “सनातनी किन्नर अखाड़ा” की स्थापना कर रही हैं, जिसका उद्देश्य सनातन धर्म की मूल भावना को पुनर्जीवित करना होगा। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब 2025 के महाकुंभ की तैयारियां चरम पर हैं और किन्नर अखाड़ा एक बार फिर सुर्खियों में है। बताया जा रहा है कि टीना मां लंबे समय से अखाड़े की दिशा और कार्यप्रणाली से असंतुष्ट थीं। उनके अनुसार, अखाड़ा अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से भटक गया था, जिसके कारण उन्होंने अलग राह अपनाने का फैसला लिया। प्रयागराज में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने नए अखाड़े की औपचारिक घोषणा की और कहा कि 4 नवंबर को इसका पट्टाभिषेक किया जाएगा। टीना मां के अनुसार, सनातन धर्म की रक्षा और विस्तार के लिए यदि जीवन भी अर्पित करना पड़े, तो वह पीछे नहीं हटेंगी। यह वक्तव्य उनके दृढ़ संकल्प और वैचारिक परिवर्तन का प्रतीक माना जा रहा है। गौरतलब है कि टीना मां सिर्फ धार्मिक नेतृत्व तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वह लगभग 40 अनाथ या परित्यक्त बच्चों की मां भी हैं। उन्होंने उन सभी को गोद लेकर उनकी शिक्षा, पालन-पोषण और पहचान की जिम्मेदारी उठाई है। उनके अनुसार, इन बच्चों के आधार कार्ड पर भी उनका नाम माता-पिता के रूप में दर्ज है, जिससे वे उन्हें एक सम्मानजनक जीवन दे सकें। प्रयागराज में उनका आश्रम अब सामाजिक समरसता और मातृत्व का प्रतीक बन गया है।
ममता कुलकर्णी की नियुक्ति से बढ़ा विवाद – अखाड़े में वैचारिक मतभेद गहराए
कौशल्या नंद गिरि के इस्तीफे की सबसे बड़ी वजह किन्नर अखाड़े में ममता कुलकर्णी की नियुक्ति को माना जा रहा है। 2025 के महाकुंभ के दौरान बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को अखाड़े की महामंडलेश्वर पदवी दी गई थी। इस फैसले ने अखाड़े के भीतर गहरा मतभेद पैदा कर दिया था। कई वरिष्ठ सदस्यों और संतों ने इस निर्णय का विरोध किया था, उनका मानना था कि जिस व्यक्ति का नाम विवादों से जुड़ा रहा है, उसे अखाड़े की प्रमुख पदवी देना धार्मिक मर्यादाओं के खिलाफ है। भवानी मां समेत कई सदस्यों ने कहा कि ममता कुलकर्णी का नाम दाऊद इब्राहिम जैसे अपराधी से जुड़ चुका है, इसलिए उनका सम्मानजनक धार्मिक पद पर होना उचित नहीं है। इन्हीं मतभेदों के चलते टीना मां और आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के बीच दूरी बढ़ती गई। महाकुंभ से पहले दोनों के बीच की यह खाई धीरे-धीरे इतनी चौड़ी हो गई कि अब अखाड़ा दो भागों में बंट गया है। डॉ. लक्ष्मी नारायण का कहना है कि उन्हें इस नए अखाड़े की जानकारी मीडिया से मिली, जबकि संगठन के अन्य पदाधिकारी इसे “अचानक उठाया गया कदम” मान रहे हैं। टीना मां का तर्क है कि जब धर्म की दिशा गलत हो, तो सुधार के लिए कदम उठाना ही सच्ची सेवा है। उन्होंने कहा कि “सनातनी किन्नर अखाड़ा” समाज में किन्नर समुदाय की धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक पहचान को सुदृढ़ करेगा।
कौशल्या नंद गिरि का जीवन संघर्ष और सनातन सेवा का संकल्प
कौशल्या नंद गिरि का जीवन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि संघर्ष और प्रेरणा से भरा हुआ है। उनका जन्म देहरादून के विकास नगर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता पंडित टेकनारायण शर्मा भारतीय सेना में कार्यरत थे, लेकिन समाजिक मान्यताओं के कारण मात्र छह महीने की उम्र में उन्हें गुरु सलमा को सौंप दिया गया। गुरु ने उन्हें पाला-पोसा और किन्नर परंपरा के संस्कार दिए। टीना मां कहती हैं कि बचपन में उन्हें परिवार का स्नेह नहीं मिला, परंतु गुरु के आशीर्वाद से उन्हें जीवन का उद्देश्य मिल गया। 2015 में डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के नेतृत्व में जब किन्नर अखाड़े की स्थापना हुई, तो उन्होंने भी उसी पथ पर चलना शुरू किया। 2019 के कुंभ मेले में उन्हें पीठाधीश्वर और 2021 में महामंडलेश्वर का पद मिला। इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें किन्नर कल्याण बोर्ड का सदस्य भी नियुक्त किया। टीना मां ने हमेशा सामाजिक सेवा को प्राथमिकता दी। वह अपने आश्रम में आने वाले हर वर्ग के लोगों का स्वागत करती हैं और मानती हैं कि धर्म का सच्चा अर्थ केवल पूजा नहीं, बल्कि दूसरों के जीवन को संवारना है। प्रयागराज के नागरिक उन्हें सम्मान से “मां” कहकर पुकारते हैं। उन्होंने कहा कि उनका नया अखाड़ा किसी विरोध का परिणाम नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है-जहां किन्नर समुदाय को आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सम्मान मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म केवल विचारधारा नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है, जिसे वह अपने अखाड़े के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प ले चुकी हैं। आने वाले समय में वह देशभर में धार्मिक आयोजन, शिक्षा कार्यक्रम और सामाजिक सेवा अभियानों के जरिए इस उद्देश्य को साकार करेंगी।




