कानपुर पुलिस कमिश्नरेट के भीतर शनिवार को एंटी करप्शन टीम की एक सफल कार्रवाई ने विभागीय भ्रष्टाचार की पोल खोल दी। दरअसल, कमिश्नर कार्यालय में तैनात एक लिपिक को अपने ही विभाग के दरोगा से पांच हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया गया। आरोपी लिपिक महफूज अहमद को टीम ने बजरिया इलाके के एक अस्पताल के सामने से गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई तब हुई जब कल्याणपुर आवास विकास चौकी में तैनात दरोगा उदयपाल पांडेय ने वेतन विसंगति को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। उदयपाल का कहना था कि उनके वेतन में लंबे समय से गड़बड़ियां चल रही थीं और कई बार शिकायत के बावजूद विभाग ने सुधार नहीं किया। अंततः उन्हें हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी, जहां से आदेश हुआ कि उनका वेतन सही किया जाए। आदेश की कॉपी जब प्रधान लिपिक कार्यालय में दी गई, तो सहायक लिपिक महफूज अहमद ने वेतन सुधार की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए पांच हजार रुपये की मांग कर दी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं मिला न्याय, शिकायत पर रचा गया जाल
दरोगा उदयपाल पांडेय के मुताबिक, उन्होंने पहले ही कोर्ट केस में वकीलों को फीस दी थी और अब विभाग के अंदर रिश्वत की मांग ने उन्हें आक्रोशित कर दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह किसी भी कीमत पर घूस नहीं देंगे। जब लिपिक ने पैसे दिए बिना काम न करने की धमकी दी, तो उदयपाल ने तुरंत एंटी करप्शन थाने का रुख किया और 29 अक्टूबर को औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। शिकायत की पुष्टि के बाद एंटी करप्शन टीम ने आरोपी को रंगे हाथ पकड़ने की योजना तैयार की। टीम ने दरोगा से कहा कि वह आरोपी को पैसे सौंपे और पूरी प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग की जाए। तय योजना के अनुसार शुक्रवार को दरोगा उदयपाल पांच हजार रुपये लेकर बजरिया पहुंचे, जहां महफूज पहले से मौजूद था। जैसे ही उसने नोट हाथ में लिए, टीम ने मौके पर दबिश दी और महफूज अहमद को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
देर शाम हुई गिरफ्तारी, कल होगी कोर्ट में पेशी
एंटी करप्शन टीम ने गिरफ्तारी के बाद आरोपी लिपिक को कोतवाली पुलिस के हवाले कर दिया, जहां उससे पूछताछ जारी है। देर रात तक टीम ने गिरफ्तारी से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी कीं और अब शनिवार को आरोपी को एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया जाएगा। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि महफूज अहमद न केवल सहायक लिपिक के रूप में काम कर रहा था, बल्कि वह विभाग में उर्दू अनुवादक की जिम्मेदारी भी निभा रहा था। पद का दुरुपयोग करते हुए उसने वेतन विसंगति सुधारने के लिए रिश्वत मांगी थी। एंटी करप्शन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है और उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की भी सिफारिश की जाएगी। वहीं, पुलिस विभाग के सूत्रों का कहना है कि इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सिस्टम के भीतर बैठे कुछ कर्मचारी आम कर्मचारियों को परेशान कर अवैध वसूली करते हैं। एंटी करप्शन टीम ने कहा कि ऐसे मामलों में भविष्य में भी जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। यह गिरफ्तारी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे तंत्र को संदेश देने के लिए की गई है कि रिश्वतखोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।




