बिजनौर में सोमवार सुबह एक हृदयविदारक घटना सामने आई, जब कानपुर IIT से बीटेक कर चुकी और सिविल सेवा की तैयारी में जुटी छात्रा ललिता सिंह ने गंगा बैराज से छलांग लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया। यह घटना सुबह करीब छह बजे की बताई जा रही है, जब वह अपनी चचेरी बहन अक्षी के साथ मॉर्निंग वॉक पर निकली थीं। दोनों पहले रोज की तरह घर से थोड़ी दूरी पर स्थित बस अड्डे तक गईं और वहां से गंगा बैराज पहुंचीं। सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि दोनों पुल पर कुछ देर तक टहलती रहीं और बातचीत करती नजर आईं। इसी दौरान सफेद जैकेट पहने ललिता बीच-बीच में रेलिंग के पास जाकर नदी की ओर झांकती दिखाई दीं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, ऐसा प्रतीत होता है कि वह यह देख रही थीं कि किस हिस्से में पानी का बहाव तेज है। सुबह 6:15 बजे के करीब अचानक उन्होंने रेलिंग पर चढ़कर नदी में छलांग लगा दी। पास खड़ी अक्षी कुछ समझ पाती, इससे पहले ही ललिता गहराई में समा गईं। अक्षी ने शोर मचाया तो आसपास के लोग दौड़कर पहुंचे और तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने SDRF टीम को बुलाकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया, लेकिन कई घंटे बीतने के बाद भी छात्रा का पता नहीं चल सका। अधिकारियों ने बताया कि जिस जगह ललिता कूदीं वहां पानी की गहराई लगभग 20 फीट से अधिक है, इसलिए रेस्क्यू ऑपरेशन में कठिनाई आ रही है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से बैराज के गेट भी बंद कर दिए हैं। इस घटना के बाद बैराज के पास करीब एक किलोमीटर लंबा जाम लग गया और स्थानीय लोगों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
कानपुर IIT से बीटेक पास, IAS बनने का सपना अधूरा रह गया
पुलिस जांच में पता चला कि 27 वर्षीय ललिता सिंह बिजनौर शहर के सेंट मैरी स्कूल के पास रहने वाले चौधरी वेदप्रकाश की बड़ी बेटी थीं, जो वर्तमान में चांदपुर तहसील में अमीन पद पर तैनात हैं। ललिता चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनके दो भाई क्रमशः साइंटिस्ट और इंजीनियर हैं और दोनों फिलहाल बाहर कार्यरत हैं। परिवार के अनुसार, ललिता ने वैदिक कन्या इंटर कॉलेज से हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद दरबड़ा कॉलेज से बीएससी और छत्रपति साहूजी महाराज यूनिवर्सिटी से एमएससी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 2022 में उन्होंने कानपुर IIT से बीटेक की पढ़ाई पूरी की। स्नातक के बाद ललिता ने नौकरी की बजाय IAS बनने का सपना देखा और दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित मलूका IAS कोचिंग सेंटर में दो साल तक तैयारी की। हाल ही में 13 अक्टूबर को उन्होंने UPPCS का एग्जाम दिया था, लेकिन परिणाम संतोषजनक नहीं आया। परिवार के मुताबिक, इसी वजह से वह मानसिक रूप से तनाव में थीं। उनके ताऊ दिलराम सिंह ने बताया कि परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद से ललिता खुद में सिमट गई थीं और ज़्यादा बातचीत नहीं करती थीं। हालांकि किसी ने यह नहीं सोचा था कि वह ऐसा कदम उठा लेंगी। पुलिस को अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, लेकिन शुरुआती जांच में परीक्षा में असफलता और मानसिक दबाव को ही प्राथमिक कारण माना जा रहा है।
परिवार सदमे में, पुलिस और SDRF की टीमें कर रहीं सर्च ऑपरेशन
घटना की सूचना मिलते ही नानी जयावती और अन्य परिजन गंगा बैराज पहुंचे। वहां का दृश्य बेहद भावुक था, परिवार के सदस्य बदहवास होकर ललिता का नाम पुकार रहे थे। मौके पर मौजूद अधिकारी उन्हें शांत कराने का प्रयास कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि SDRF टीम लगातार नदी के दोनों किनारों पर सर्च ऑपरेशन चला रही है और ड्रोन की मदद से भी तलाश की जा रही है। जिले के एसपी ने कहा कि हर संभावित दिशा में जांच की जा रही है और परिजनों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। फिलहाल मौके से ललिता का कोई मोबाइल फोन या व्यक्तिगत सामान बरामद नहीं हुआ है। स्थानीय लोगों के अनुसार, ललिता शांत स्वभाव की, पढ़ाई में तेज और समाजसेवी प्रवृत्ति की थीं। वह अकसर आसपास के बच्चों को पढ़ाने और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करती थीं। उनके पड़ोसी बताते हैं कि ललिता का सपना प्रशासनिक सेवा में जाकर देश के लिए काम करना था। परिवार के एक सदस्य ने कहा, “वह हमेशा कहती थी कि IAS बनकर समाज में बदलाव लाऊंगी।” लेकिन असफलता का यह बोझ शायद वह सहन नहीं कर सकीं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी प्रकार के तनाव या निराशा की स्थिति में ऐसे कदम न उठाएं, बल्कि परिवार और मित्रों से बात करें। वहीं स्थानीय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि ललिता की खोज में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। इस घटना ने न केवल बिजनौर बल्कि पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है और युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य पर नए सिरे से चर्चा शुरू हो गई है।




