Hindi News / State / Uttar Pradesh / काशी गंगा महोत्सव में हंसराज रघुवंशी के भक्ति गीतों से भावविभोर हुए फैंस: ‘मंदिर जहां था, फिर वहीं बनाएंगे’ पर गूंजे जयकारे, भीड़ में मची धक्का-मुक्की

काशी गंगा महोत्सव में हंसराज रघुवंशी के भक्ति गीतों से भावविभोर हुए फैंस: ‘मंदिर जहां था, फिर वहीं बनाएंगे’ पर गूंजे जयकारे, भीड़ में मची धक्का-मुक्की

वाराणसी में गंगा महोत्सव के अंतिम दिन गायक हंसराज रघुवंशी की प्रस्तुति ने मचा दिया समां, ‘ज्ञानवापी’ गीत पर श्रद्धालु हुए भावुक, भीड़ के बीच मारपीट पर पुलिस ने संभाला मोर्चा

Singer Hansraj Raghuwanshi performing live at Kashi Ganga Mahotsav in Varanasi | UP News

वाराणसी में गंगा महोत्सव का समापन इस बार एक अद्भुत संगीतमय वातावरण के बीच हुआ। राजघाट पर आयोजित इस कार्यक्रम में मशहूर गायक हंसराज रघुवंशी की प्रस्तुति ने समूचे दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जैसे ही उन्होंने मंच संभाला, हजारों की भीड़ में जयकारों की गूंज उठी। उनके भक्ति गीत ‘मंदिर जहां था, फिर वहीं मंदिर बनाएंगे… उसका ही बनारस है… उसका ही ज्ञानवापी… हम उसके सामने ही सिर झुकाएंगे’ ने श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबो दिया। यह गीत सुनते ही उपस्थित जनसमूह में ‘हर हर महादेव’ के नारे गूंजने लगे। हंसराज ने मंच से जब डमरू की धुन पर अगला गीत ‘क्या मेरा है, क्या तेरा कबीरा… सारा खेल है तकदीरों का…’ गाया तो पूरा घाट तालियों से गूंज उठा। लोग झूमते रहे, और इस माहौल में काशी एक बार फिर शिवमय हो उठी। श्रद्धालुओं के चेहरे पर उमंग और श्रद्धा का संगम दिखाई दिया। हंसराज रघुवंशी ने अपने एक के बाद एक गीतों से दर्शकों के हृदय को छू लिया। उनकी आवाज़ में भक्ति, जोश और काशी की आध्यात्मिकता का सुंदर संगम देखने को मिला। खास बात यह रही कि सोनभद्र से आए उनके एक जबरा फैन विवेक इस प्रस्तुति से इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखों से आंसू बह निकले। उन्होंने कहा कि हंसराज के गीत सुनकर ऐसा लगा मानो भोलेनाथ सामने ही हों।

भीड़ के बीच अफरातफरी, पुलिस ने संभाली स्थिति

हालांकि कार्यक्रम के बीच अचानक स्थिति बिगड़ गई। जैसे ही हंसराज ने लोकप्रिय गीत ‘हर घर भगवा लहरा गया…’ गाना शुरू किया, भीड़ आगे बढ़ने लगी और सीटों पर बैठने को लेकर धक्का-मुक्की शुरू हो गई। पीछे बैठे दर्शकों ने आगे जाने की कोशिश की, जिससे अफरातफरी मच गई। देखते ही देखते कुछ लोगों के बीच हाथापाई शुरू हो गई। मंच से स्थिति देखकर हंसराज ने हाथ जोड़कर कहा, “भोलेनाथ सब देख रहे हैं, ऐसा न करें।” उनकी अपील के बावजूद भीड़ में तनाव बढ़ता गया। पुलिस और ड्यूटी पर मौजूद RAF जवान तुरंत सक्रिय हुए और स्थिति को नियंत्रित किया। चार लोगों को हिरासत में लिया गया। इसके बाद माहौल को शांत किया गया और कार्यक्रम दोबारा शुरू हुआ। रात करीब 8:45 बजे शुरू हुई प्रस्तुति करीब दो घंटे तक चली, जिसमें हंसराज ने 12 से अधिक गीत गाए। उनके गीतों की लय और भक्ति भाव से पूरा घाट झूमता नजर आया। कार्यक्रम में सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी पुलिस बल तैनात था, जिससे किसी बड़े हादसे को टाला जा सका। हंसराज ने बाद में कहा कि बनारस के लोगों का उत्साह देखकर मन गदगद हो गया।

अन्य कलाकारों की प्रस्तुति ने बांधा समां

हंसराज के मंच पर आने से पहले कई कलाकारों ने अपनी कला से महोत्सव में चार चांद लगा दिए। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की छात्राओं ने कथक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी, जिनकी पायलों की छन-छन ने घाट पर भक्ति और सौंदर्य का समावेश कर दिया। कर्नाटक से आईं गायिका वसुमति बद्रीनाथ ने अपनी मधुर स्वर लहरियों से माहौल को आध्यात्मिक बना दिया। उनकी गायकी ने गंगा की लहरों की तरह दर्शकों के मन को छू लिया। अप्पा जी गिरिजा देवी की शिष्या रूपम सरकार सामंथा ने शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति दी, जिसने बनारस घराने की संगीत परंपरा को सजीव कर दिया। वहीं, इंडियन आइडल फेम विपेंद्र शर्मा ने कथक की शानदार प्रस्तुति से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उज्जैन से आईं विपेंद्र की प्रस्तुति खत्म होते ही घाट तालियों की गूंज से भर उठा। गंगा महोत्सव का यह अंतिम दिन न केवल संगीत और नृत्य का संगम बना बल्कि यह काशी की सांस्कृतिक पहचान का सजीव प्रतीक बन गया। भक्तिभाव और उत्साह से भरे इस आयोजन ने साबित किया कि बनारस आज भी आध्यात्मिकता, कला और संस्कृति की राजधानी है।

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