गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन नई उमंग की ओर से अग्रवाल भवन में आयोजित डांडिया-गरबा नाइट ने माहौल को पूरी तरह उत्सवमय बना दिया। गुरुवार की शाम आयोजित इस रंगारंग कार्यक्रम में महिलाओं ने पारंपरिक गुजराती धुनों पर कदम थिरकाए और जमकर आनंद लिया। रंग-बिरंगे परिधानों से सजी महिलाओं ने जब एक साथ डांडिया और गरबा खेलना शुरू किया तो पूरा हॉल उल्लास से भर गया। पारंपरिक संगीत और ताल पर सभी ने मिलकर गीत-संगीत का लुत्फ उठाया। इस अवसर पर कई महिलाएं और युवतियां पूरे जोश और ऊर्जा के साथ शामिल हुईं। उनका कहना था कि त्योहार केवल धार्मिक परंपरा का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि यह मिल-जुलकर खुशियां बांटने और संस्कृति को जीवंत रखने का माध्यम भी हैं।
उत्सव की शुरुआत से प्रतियोगिताओं तक
कार्यक्रम की शुरुआत हनुमान चालीसा के गायन से हुई, जिसने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया। इसके बाद एक-एक कर डांस, गेम्स और प्रतियोगिताओं का दौर शुरू हुआ, जिसने कार्यक्रम को और भी खास बना दिया। समिति की अध्यक्ष रेनू कंदोई ने कहा कि त्योहारों का मौसम अब शुरू हो चुका है और डांडिया-गरबा नाइट उसी का हिस्सा है। उनका कहना था कि जब मन में उमंग होती है तो कदम अपने आप थिरकने लगते हैं। डांडिया हाथ में आते ही नृत्य अपने आप शुरू हो जाता है और इसका आनंद लेने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। महिलाओं के लिए आयोजित प्रतियोगिताओं में बेस्ट ड्रेस अप का खिताब शिखा सिंघानिया ने जीता, जबकि बेस्ट डांसर का अवॉर्ड रिमझिम रूंगटा के नाम रहा। इसके अलावा क्विज और अन्य गेम्स में शिल्पी और रूबी ने अपनी प्रतिभा से सबका दिल जीत लिया।
प्रतिभागियों ने सजाई यादगार शाम
पूरे कार्यक्रम के दौरान महिलाओं का उत्साह देखने लायक था। डांडिया-गरबा की लय पर पूनम, रविता, बिंदु, आरती, राधा, शिखा, सीता, डिम्पल, दीपा, शिल्पी, रिमझिम, मीना, रचना, कविता, खुशबू, श्वेता, रजनी, गुंजन, सीमा, मंजू, स्मिता और शशि समेत कई महिलाओं ने शानदार प्रस्तुति दी। उनकी रंगीन परिधानों, ऊर्जा से भरे कदमों और समर्पण ने माहौल को और अधिक जीवंत बना दिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि ऐसे आयोजनों से न केवल मनोरंजन होता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी संजोई जाती है। त्योहार जब सामूहिक रूप से मनाए जाते हैं तो खुशियों की मिठास और बढ़ जाती है और समाज में आपसी मेलजोल का भाव भी मजबूत होता है। गोरखपुर में आयोजित यह डांडिया-गरबा नाइट इसी का एक उदाहरण बनी, जहां परंपरा और आधुनिकता का संगम देखने को मिला।