गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में मंगलवार सुबह का दृश्य श्रद्धा और समर्पण का अद्भुत संगम था। भोर होते ही आसमान पर काले बादल छा गए और झमाझम बारिश शुरू हो गई, मगर इसने छठव्रतियों के जोश को तनिक भी कम नहीं किया। महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर टोकरी में ठेकुआ, नारियल और फलों से सजी पूजा सामग्री लेकर गोरक्षघाट, रामघाट, तकियाघाट, भीमघाट और मानसरोवर घाट की ओर निकल पड़ीं। बारिश से भीगी सड़कों पर कदम दर कदम आगे बढ़तीं महिलाएं आस्था का प्रतीक बन गईं। घाटों पर पहुंचने के बाद उन्होंने गीले कपड़ों में ही पानी में खड़े होकर सूर्यदेव के उदय का इंतजार किया। आसमान में घने बादल छाए रहने के कारण सूरज के दर्शन नहीं हो सके, लेकिन भक्तों की आस्था की रौशनी उस सुबह को भी चमका गई। जयकारों की गूंज और लोकगीतों की मधुर ध्वनि ने पूरा वातावरण भक्तिमय बना दिया।
अडिग आस्था और अद्भुत समर्पण का नजारा
लगातार गिरती बारिश की बूंदों के बीच भी छठव्रती महिलाएं अपने संकल्प से पीछे नहीं हटीं। कुछ ने छतरी या पेड़ों के नीचे बारिश से बचने की कोशिश की, तो कई महिलाएं बिना हिले-डुले पानी में अडिग खड़ी रहीं। उनके होंठों पर सूर्य देव के मंत्र, हाथों में पूजा की सामग्री और आंखों में भक्ति की चमक थी। जब अर्घ्य देने का समय हुआ, तो सभी ने सामूहिक रूप से सूर्य देव को साक्षी मानकर जल अर्पित किया। “छठी मईया की जय” और “जय सूर्यदेव” के जयकारों से गोरखपुर के घाटों का हर कोना गूंज उठा। महिलाओं ने कहा कि चाहे मौसम जैसा भी हो, छठी मईया की पूजा अधूरी नहीं छोड़ी जा सकती। श्रद्धालु ऋतु ने बताया कि उनकी हर मनोकामना इस पर्व के जरिए पूरी हुई है, जबकि पहली बार व्रत कर रही मोहिनी ने कहा कि छठ पूजा उनके जीवन का सबसे पवित्र अनुभव रहा।
भक्ति और उत्सव का संगम बना राप्ती तट
राप्ती नदी का किनारा मंगलवार को भक्ति और उल्लास के संगम में बदल गया था। हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ ने घाटों को जीवंत बना दिया। महिलाएं जहां शांति से पूजा कर रही थीं, वहीं बच्चे और युवक पारंपरिक छठ गीतों और डीजे की धुनों पर झूमते नजर आए। बारिश की फुहारें भी उत्साह में रंग घोल रही थीं। कुछ जगहों पर भक्तों ने सामूहिक भजन गाए, तो कहीं परिवारों ने एक-दूसरे को फल-प्रसाद वितरित कर शुभकामनाएं दीं। यह दृश्य गोरखपुर की धार्मिक एकता और लोक परंपरा की झलक पेश कर रहा था। छठ पूजा न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि यह प्रकृति, परिवार और समाज के सामंजस्य का संदेश भी देता है। बारिश में भीगी इस सुबह ने साबित कर दिया कि जब श्रद्धा सच्ची हो, तो मौसम की हर चुनौती भी भक्ति के आगे झुक जाती है।




