गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर स्थित गांधी आश्रम में शुक्रवार को आचार्य विनोबा भावे की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। वक्ताओं ने कहा कि विनोबा भावे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे योद्धा थे जिन्होंने न केवल गांधीवादी सिद्धांतों को आगे बढ़ाया बल्कि समाज में व्याप्त असमानताओं को मिटाने के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उनके भूदान आंदोलन को भारतीय सामाजिक इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय बताया गया। वक्ताओं ने कहा कि जिस दौर में देश भूमि सुधार की चुनौती से जूझ रहा था, उस समय विनोबा भावे ने शांतिपूर्ण तरीके से लोगों को अपनी जमीन दान करने के लिए प्रेरित किया और समाज में समानता की नींव रखी।
चंबल के डाकुओं का हृदय परिवर्तन
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने विनोबा भावे के उस योगदान को भी याद किया जब उन्होंने चंबल घाटी के कुख्यात डाकुओं को आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित किया। वक्ताओं ने बताया कि विनोबा भावे की करुणा, सादगी और सत्याग्रह की शक्ति ने उन डाकुओं के दिल को छू लिया, जो वर्षों से आतंक का पर्याय बने हुए थे। भावे ने बिना किसी बल प्रयोग के, सिर्फ अपने विचारों और नैतिकता की ताकत से उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटने का मार्ग दिखाया। यह घटना भारतीय समाज में नैतिक परिवर्तन और अहिंसा के महत्व को स्थापित करने वाली मिसाल बन गई।
युवाओं के लिए प्रेरणा
जयंती समारोह में वक्ताओं ने यह भी कहा कि विनोबा भावे के विचार आज के युवाओं के लिए भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्रता संग्राम के समय थे। जिस प्रकार उन्होंने साधना, सेवा और सत्य को जीवन का आधार बनाया, उसी प्रकार आज की पीढ़ी को भी समाज निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि विनोबा भावे का जीवन इस बात का प्रतीक है कि अहिंसा और सत्य के बल पर बड़े से बड़ा बदलाव संभव है। अंत में आश्रम प्रांगण में भावे की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई और उनके आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया।