गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में इस समय बाजारों में बिक रहे सेब पर ‘ताजगी’ का चमकदार धोखा चढ़ाया जा रहा है। सेहतमंद समझे जाने वाले इस फल को मुनाफाखोर विक्रेता हानिकारक रसायनों से कोटिंग कर चमकदार बना रहे हैं। डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं कि “रोज एक सेब खाओ, बीमारियों से दूर रहो,” लेकिन अब यही सेब धीरे-धीरे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला साबित हो रहा है। खाद्य सुरक्षा विभाग की प्राथमिक जांच में पाया गया कि कुछ विक्रेता पुराने और सड़े सेबों को ताजा दिखाने के लिए उन पर पैराफीन वैक्स और पेट्रोलियम जेली की मोटी परत चढ़ा रहे हैं। यह परत धूल और बैक्टीरिया को रोकने के नाम पर लगाई जाती है, लेकिन असल में यह शरीर के लिए बेहद हानिकारक है। एफएसएसएआई केवल वी वैक्स या लैक वैक्स जैसी खाद्य-ग्रेड मोम के इस्तेमाल की अनुमति देता है, मगर सस्ते विकल्प के रूप में पैराफीन और मिनरल ऑयल आधारित वैक्स का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। ये रसायन पेट्रोलियम से तैयार होते हैं जो शरीर में जाने पर न पचते हैं, न ही निकलते हैं, और धीरे-धीरे लीवर, किडनी व पाचन तंत्र पर घातक प्रभाव डालते हैं।
अधिकारी की जांच में खुली परत के पीछे की सच्चाई
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने हाल ही में इस समस्या का प्रत्यक्ष अनुभव किया। रविवार को उन्होंने अंबेडकर चौक के पास से दो किलो सेब खरीदे और अगले दिन जब धोने के बाद उन्हें खाने की तैयारी की, तो छिलके पर चिकनाहट महसूस हुई। संदेह होने पर उन्होंने सेब को हल्की आग पर गर्म किया तो छिलके से पारदर्शी मोम की परत पिघलकर निकल आई। अंदर का गूदा काला और सड़ा हुआ था। आगे जांच में पता चला कि ये सेब पुराने स्टॉक के थे जिन्हें कृत्रिम रूप से चमकदार बनाकर बेचने की कोशिश की गई थी। कई सेबों में पेट्रोलियम जेली की परत भी मिली। यह वही पदार्थ है जो सामान्यतः औद्योगिक उत्पादों में प्रयोग किया जाता है, न कि खाद्य वस्तुओं में। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे सेब का नियमित सेवन करने से उल्टी, दस्त, पेट दर्द, गैस्ट्रिक संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक सेवन करने पर लिवर, किडनी और श्वसन तंत्र पर भी बुरा असर पड़ता है। संवेदनशील लोगों में एलर्जी, गले में जलन या सांस लेने में कठिनाई भी देखी जा सकती है।
जांच और सतर्कता के निर्देश, घर पर ऐसे करें पहचान
इस मामले के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग ने पूरे जिले में औचक जांच की तैयारी शुरू कर दी है। सहायक आयुक्त (खाद्य सुरक्षा) डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि “कई व्यापारी सस्ते और सुलभ विकल्प के नाम पर हानिकारक वैक्स की कोटिंग कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे सेब खरीदते समय उसकी चमक और सतह को ध्यान से देखें। यदि फल अत्यधिक चिकना या असामान्य रूप से चमकदार लगे तो उसे न खरीदें। उपभोक्ता घर पर भी इसकी जांच कर सकते हैं-एक तरीका है हल्के गर्म पानी में सेब को कुछ सेकंड डुबोना। यदि उसकी सतह पर सफेद या धुंधली परत उतरती दिखे तो समझ लें कि उस पर वैक्स की कोटिंग है। दूसरा उपाय है नींबू रस और बेकिंग सोडा का मिश्रण बनाकर उससे सेब को साफ करना या ब्रश से रगड़ना। सबसे सुरक्षित विकल्प है कि संदेह होने पर छिलका उतारकर ही सेवन किया जाए। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि बाजार में उपलब्ध हर चमकदार फल जरूरी नहीं कि सेहतमंद हो। ग्राहक जितना अधिक सजग रहेंगे, मिलावटखोरों की चाल उतनी ही कमजोर पड़ेगी। विभाग आने वाले दिनों में शहर के सभी प्रमुख फल बाजारों में जांच शुरू करने जा रहा है ताकि उपभोक्ताओं की थाली तक कोई जहरीला सेब न पहुंचे।




