गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में पहली बार आयोजित होने जा रहे केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट फेडरेशन उत्तर प्रदेश के वार्षिक अधिवेशन की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं और इस बार चर्चा का मुख्य विषय दवा पर हाल में किए गए जीएसटी कटौती के लाभों को सीधे मरीजों व ग्राहकों तक पहुँचाना है। महासचिव सुरेश गुप्ता ने प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया कि 21 सितंबर को मोहद्दीपुर स्थित होटल रेडिसन ब्लू में होने वाले इस अधिवेशन का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे और उसी मंच से फेडरेशन एक प्रस्ताव पारित करेगा जिसमें सभी होलसेलर्स और रिटेलर्स को यह निर्देश दिया जाएगा कि वे नई दरों के अनुरूप एमआरपी घटाकर ग्राहकों को तत्काल छूट प्रदान करें। उन्होंने बताया कि जिन दवाओं पर 7 प्रतिशत कटौती की गई है, उनकी बिक्री रेट में उसी अनुपात की कमी दिखाई जाएगी और जिन दवाओं या मेडिकल उपकरणों पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है, उन पर कुल 13 प्रतिशत तक का लाभ ग्राहकों को दिया जाना सुनिश्चित किया जाएगा। गोरखपुर में इस तरह का संघीय समवेत निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यहाँ की जिला इकाई ने स्थानीय व्यापारियों से समन्वय करके यह तैयारी युद्धस्तर पर की है और प्रस्ताव पारित होते ही संबंधित पत्र और निर्देश अगले दिन तक सभी सदस्यों व दुकानदारों को भेजे जाएंगे ताकि लागू करने में देरी न हो।
व्यापारिक चुनौतियाँ, ड्रग एक्ट अपडेट और कारोबारी सुरक्षा पर चर्चा
अधिवेशन में दवा कारोबार से जुड़ी लंबित समस्याओं और नई दवा नीति, कोल्ड चेन, सप्लाई चैन और ड्रग एक्ट से जुड़ी अनिश्चितताओं पर भी गहन मंथन होगा। महासचिव ने इस बात पर जोर दिया कि कई दुकानदारों के लिए साइकोट्रोपिक और नारकोटिक श्रेणी की दवाओं के संचालन को लेकर अभी भी नियमों की व्याख्या अस्पष्ट है, इसी वजह से कई व्यापारी जोखिम लेने से घबराकर इन कैटेगरी की दवाओं की खरीद-बिक्री बंद कर चुके हैं और इसका सीधा असर रोगियों पर पड़ता है। ऐसे में अधिवेशन ने विशेषज्ञों को आमंत्रित कर उनके माध्यम से दवा व्यापारियों को ड्रग एक्ट की नियमावली और अनुपालन संबंधी व्यावहारिक मार्गदर्शन उपलब्ध कराने का कार्यक्रम रखा है ताकि छोटे-छोटे रिटेल आउटलेट भी बिना भय के वैध व्यापार कर सकें। इसके साथ ही नकली या अधोमानक दवाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जाएगी-सुरेश गुप्ता ने कहा कि जिन अधिकारियों या व्यापारी माफियाओं के कारण मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है, उनके खिलाफ ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए जो उदाहरण बने। यह पहल न केवल व्यापारिक व्यवहार में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से है, बल्कि अंततः मरीजों के हित और दवा बाजार की विश्वसनीयता बहाल करने के लिए भी निहित है।
कार्यान्वयन, निगरानी और संभावित प्रभाव
अधिवेशन में पारित होने वाले प्रस्ताव का तात्कालिक क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए फेडरेशन ने एक त्वरित नोटिस व्यवस्था भी तय की है: प्रस्ताव पास होते ही सभी जिले के प्रमुख होलसेल व रिटेलर को आधिकारिक पत्र और निर्देश भेजे जाएंगे तथा स्थानीय इकाइयों से कहा जाएगा कि वे अगले दिन से निगरानी शुरू कर दें। महासचिव ने स्पष्ट कर दिया कि यदि किसी दुकानदार ने कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं दिया तो प्रशासनिक कार्रवाई होने पर फेडरेशन हस्तक्षेप नहीं करेगा-यह कदम खुद व्यापारियों को समुचित प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता संरक्षण के प्रति उत्तरदायी बनाने के इरादे से उठाया गया है। वहीं अधिवेशन में जीएसटी स्लैब में बदलाव के अर्थशास्त्र, एमआरपी अनुकूलन की पद्धति और थोक विक्रेता-रिटेलर के बीच अंतररूपी अन्वेषण पर भी विशेषज्ञ सत्र होंगे, ताकि छूट का लाभ वास्तविक कीमतों में परिलक्षित हो और बाजार में मनमानी प्रैक्टिस रोकी जा सके। साथ ही कोल्ड चेन और मेडिकल उपकरणों के स्टॉकिंग तथा क्वालिटी कंट्रोल पर भी प्रकार्यात्मक सुझाव लिए जाएंगे ताकि जीवनरक्षक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित रहे। इस योजना के सफल क्रियान्वयन से उपभोक्ता व मरीजों पर प्रत्यक्ष आर्थिक बोझ कम होने की उम्मीद है और दवा खरीद में पारदर्शिता आने से संभावित रूप से बाजार में प्रतिस्पर्धा भी सुधरेगी।