गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर नगर निगम ने इस वर्ष मूर्ति विसर्जन को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए राप्ती नदी के किनारे तीन आर्टिफिशियल तालाब तैयार किए हैं। इन तालाबों में शहर की अधिकांश मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा। तालाबों का पानी रोजाना बदला जाएगा ताकि नदी प्रदूषित न हो और श्रद्धालुओं को साफ-सुथरी सुविधा मिले। ठेकेदार संजय गुप्ता ने बताया कि तालाबों का काम लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने समितियों से अपील की कि डीजे की गाड़ियों को नदी किनारे न ले जाएं और भीड़ नियंत्रित रखें।
विसर्जन की अवधि और सुरक्षा व्यवस्था
नगर निगम के अनुसार, मूर्ति विसर्जन 2 अक्टूबर की सुबह 7 बजे से शुरू होगा और तीन दिन तक चलेगा। हर साल की तरह इस बार भी तालाबों पर प्रशासन और पुलिस की सख्त निगरानी रहेगी। पिछले वर्ष शहर में लगभग 2500 से 3000 मूर्तियों का विसर्जन किया गया था, जबकि इस वर्ष रिकॉर्ड 4285 मूर्तियां पंजीकृत हो चुकी हैं। राप्ती किनारे के अलावा डोमिनगढ़ और महेशरा क्षेत्रों में भी आर्टिफिशियल तालाब बनाए गए हैं, जहां समितियों की मूर्तियां विसर्जित होंगी।
रोशनी, सजावट और नियंत्रण केंद्र
सभी तालाबों के चारों ओर लाइटिंग की गई है और तालाबों को भगवा रंग से घेरा गया है। जगह-जगह भगवा झंडे और साइन बोर्ड लगाए गए हैं, जिन पर साफ-सफाई और गंदगी न फैलाने का संदेश लिखा है। नगर निगम और पुलिस प्रशासन ने तालाबों के पास कंट्रोल रूम बनाए हैं, जिससे लगातार निगरानी होगी। अधिकारियों ने सभी समितियों और श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे निर्देशों का पालन करें, भीड़ नियंत्रित रखें और विसर्जन स्थल को स्वच्छ बनाए रखें।