गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर समेत पूरे प्रदेश में शिक्षकों के बीच उस समय आक्रोश फैल गया जब सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिए एक आदेश में स्पष्ट कर दिया कि अब शिक्षक भर्ती में TET (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास करना अनिवार्य होगा। लंबे समय से शिक्षण कार्य में लगे और विभिन्न भर्ती प्रक्रियाओं से चयनित शिक्षक मानते हैं कि यह निर्णय उनके लिए एक तरह से दोहरी मार है क्योंकि एक ओर वे वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं और दूसरी ओर अब अचानक नई शर्तें थोप दी गई हैं। इस आदेश से सीधे तौर पर 10 लाख से ज्यादा शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से उनके परिवारों सहित करोड़ों लोग रोज़गार और स्थिर जीवन की अनिश्चितता का सामना कर सकते हैं। गोरखपुर में आयोजित जिला कार्यसमिति की बैठक में इस विषय पर गंभीर चर्चा की गई जहां वक्ताओं ने कहा कि यह मामला सिर्फ शिक्षकों का ही नहीं बल्कि पूरे समाज से जुड़ा हुआ है। संगठन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिक्षा व्यवस्था को और अधिक अस्थिर कर देगा क्योंकि इससे पहले से कार्यरत योग्य और अनुभवी शिक्षक भी असुरक्षा के घेरे में आ जाएंगे।
16 सितंबर से आंदोलन की चेतावनी, सरकार को ज्ञापन सौंपने की तैयारी
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 16 सितंबर को प्रदेश के सभी जिलों में शिक्षक संगठनों की ओर से जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा। ज्ञापन के माध्यम से सरकार से यह मांग की जाएगी कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती दे और इसे निरस्त कराने की दिशा में ठोस कदम उठाए। संगठन के पदाधिकारियों ने साफ चेतावनी दी कि यदि सरकार ने तय समय सीमा तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाला तो आंदोलन की राह अपनानी पड़ेगी। इसमें शिक्षण कार्य ठप करने, सड़कों पर उतरने और आवश्यकता पड़ने पर दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल प्रदर्शन आयोजित करने जैसे विकल्प शामिल हैं। संगठन के मंडलीय मंत्री ज्ञानेंद्र ओझा ने कहा कि अगर सरकार ने शिक्षकों की बात नहीं सुनी तो यह आंदोलन प्रदेश से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर होगा और लाखों शिक्षकों के साथ उनके परिवारजन भी इसमें शामिल होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह फैसला केवल रोजगार का नहीं बल्कि सामाजिक स्थिरता और शिक्षा की गुणवत्ता से भी सीधा जुड़ा हुआ है।
बैठक में जिला कार्यसमिति के पदाधिकारी और सदस्य रहे मौजूद
इस अहम बैठक में संगठन के शीर्ष पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। जिला कार्यसमिति के जिलाध्यक्ष एवं प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश धर दुबे की अध्यक्षता में हुई बैठक में मंडलीय मंत्री ज्ञानेंद्र ओझा, जिला उपाध्यक्ष हरेंद्र राय, संयुक्त मंत्री अनिल चंद और युगेश शुक्ला, उपाध्यक्ष डॉ. गोविंद राय और अनिल कुमार पांडेय, जिला संगठन मंत्री नरेंद्र प्रताप सिंह और जय प्रकाश मद्धेशिया समेत कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद थे। इसके अलावा समिति के सदस्य अनिरुद्ध तिवारी, मृतुंजय राय, सुखराम प्रसाद, कृष्ण कुमार, आनंद सिंह, अरविंद कुमार, वीरेंद्र कुमार, विजय कुमार चौधरी, अशुतोष कुमार मिश्र, सम्पूर्णानंद, योगेंद्र शर्मा, परवेज आलम और सुरेंद्र सिंह भी बैठक में शामिल हुए। उपस्थित शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह संघर्ष लंबा चलेगा और शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित होगी। संगठन ने साफ किया कि वह किसी भी स्थिति में अपने साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं करेगा और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज़ बुलंद करता रहेगा।