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Gorakhpur News: गोरखपुर में शिक्षकों का टीईटी के खिलाफ प्रदर्शन प्रधानमंत्री को सौंपा ज्ञापन

नियुक्ति पूर्व शिक्षकों को टीईटी से छूट देने की मांग, चेतावनी – नहीं मानी मांग तो करेंगे आंदोलन

Teachers protesting against TET in Gorakhpur

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – गोरखपुर में मंगलवार को उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले सैकड़ों शिक्षक जिला मुख्यालय पर जुटे और टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। शिक्षकों का कहना है कि आरटीई एक्ट लागू होने से कई दशक पहले जो नियुक्तियां हुईं, उन पर टीईटी की नई शर्त लागू करना अनुचित है। शिक्षक नेताओं ने स्पष्ट कहा कि नियुक्ति के समय शासन द्वारा निर्धारित शर्तें पूरी करने के बाद अब अतिरिक्त परीक्षा थोपना अन्याय है, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस दौरान शिक्षक जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपकर हस्तक्षेप की मांग की।

ज्ञापन सौंपकर केंद्र सरकार से की मांग

धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व जिलाध्यक्ष राजेश धर दूबे, जिला मंत्री श्रीधर मिश्र और मांडलिक मंत्री ज्ञानेंद्र ओझा ने किया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित रखने के लिए केंद्र सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे। शिक्षकों ने जोर देकर कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो इसका असर हजारों परिवारों पर पड़ेगा। शिक्षकों का कहना है कि मुख्यमंत्री की ओर से पहले ही आश्वासन दिया गया था कि पुराने शिक्षकों को किसी भी तरह के नए नियमों से मुक्त रखा जाएगा, अब केंद्र सरकार को भी उसी नीति पर अमल करना होगा। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिला शिक्षक भी शामिल हुईं और उन्होंने आवाज उठाई कि उन्हें बार-बार परीक्षा की बाध्यता में नहीं धकेला जा सकता।

आंदोलन की चेतावनी, रामलीला मैदान में जुटान की तैयारी

संघ के नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर पुरानी नियुक्तियों वाले शिक्षकों को टीईटी से मुक्त नहीं किया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया है और अब केंद्र सरकार के सामने स्पष्ट संदेश है कि शिक्षकों का धैर्य जवाब दे रहा है। मांडलिक मंत्री ज्ञानेंद्र ओझा ने कहा कि यदि मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो शिक्षक मजबूर होकर दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना था कि यह सिर्फ शिक्षकों की नौकरी का सवाल नहीं है बल्कि शिक्षा व्यवस्था और बच्चों के भविष्य से भी जुड़ा हुआ मुद्दा है। प्रदर्शन स्थल पर मौजूद शिक्षकों ने सामूहिक रूप से यह संकल्प लिया कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।

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