Hindi News / State / Uttar Pradesh / Gorakhpur News Today (गोरखपुर समाचार) / Gorakhpur News : गोरखपुर का तरकुलहा मंदिर, नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ और बकरे की परंपरागत बलि

Gorakhpur News : गोरखपुर का तरकुलहा मंदिर, नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ और बकरे की परंपरागत बलि

Gorakhpur news in hindi : मां तरकुलहा देवी के मंदिर में बिहार, नेपाल और अन्य राज्यों से भक्तों का आगमन, भक्तिमय माहौल

Tarkulha Temple Gorakhpur Navratri Devotees | Gorakhpur News

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – गोरखपुर के चौरीचौरा क्षेत्र में स्थित मां तरकुलहा देवी मंदिर नवरात्र के तीसरे दिन श्रद्धालुओं से पूर्ण रूप से सराबोर रहा। शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर तारकोल के पेड़ों के बीच बसे इस मंदिर में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं। पूर्वांचल के अलावा बिहार, नेपाल, मध्यप्रदेश, असम और अन्य राज्यों से भी लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां पहुंचे। मंदिर परिसर भजन-कीर्तन, आरती और पूजा के साथ भक्तिमय माहौल में डूबा रहा। हर उम्र के लोग—पुरुष, महिलाएं और बच्चे—सभी ने अपनी श्रद्धा प्रकट की

बकरे की बलि और पूजा परंपरा

मंदिर की विशेष परंपरा यह है कि भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर बकरे की बलि अर्पित करते हैं। माना जाता है कि मां तरकुलहा देवी इस बलि से प्रसन्न होती हैं। बलि चढ़ाने के बाद वही बकरा भक्तों द्वारा प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है, जिसे वे विशेष रूप से स्वादिष्ट मानते हैं। इसके अलावा भक्त नारियल, चुनरी, सिंदूर, माला और अन्य प्रसाद लेकर दर्शन के लिए मंदिर आते हैं। भक्त घंटों लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं और जैसे ही दर्शन का अवसर मिलता है, प्रसाद चढ़ाकर अपनी मनोकामनाएं मांगी जाती हैं। मंदिर प्रांगण आरती और भजन के स्वर से गूंजता रहा।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और श्रद्धालुओं की आस्था

मां तरकुलहा मंदिर का इतिहास डुमरी रियासत के वीर योद्धा बाबू बंधू सिंह से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि बंधू सिंह अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध करते समय उनके सिर काटकर मां को अर्पित करते थे। फांसी की सजा के दौरान फंदा सात बार टूट गया और आठवीं बार उन्होंने मां से प्रार्थना कर स्वयं बलिदान दे दिया। उसी समय पास के तरकुल के पेड़ से रक्त प्रवाहित हुआ और उसी स्थान पर बाद में मंदिर का निर्माण हुआ। वर्तमान में यह मंदिर न केवल स्थानीय बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं का प्रमुख आस्था केंद्र बन गया है। चैत्र नवरात्रि के दौरान यहां विशाल मेला लगता है और भक्तों की संख्या सामान्य से दोगुनी हो जाती है, जो मंदिर की महत्ता और श्रद्धालुओं की गहरी आस्था को दर्शाता है।

ये भी पढ़ें:  Gorakhpur News : गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हंगामा, इमरजेंसी में भर्ती से इंकार पर परिजनों ने सड़क पर लेटाई बुजुर्ग मरीज, 20 मिनट तक जाम
Share to...