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सूरजकुंड तालाब में मछलियों की मौत: तेल और ऑक्सीजन की कमी मुख्य कारण

छोटे और बड़े मछलियों की मृत्यु का खुलासा, पूजा सामग्री और जैविक प्रदूषण को जिम्मेदार माना गया

Dead fish floating on the surface of Surajkund Pond | Gorakhpur NewsDead fish floating on the surface of Surajkund Pond | Gorakhpur News

गोरखपुर के सूरजकुंड तालाब में लगातार मछलियों की मौत का कारण अब स्पष्ट हो गया है। गीडा की नारायण लेबोरेटरी एंड कंसल्टेंसी द्वारा किए गए पानी के नमूनों की जांच में पता चला कि तालाब में तेल और जैविक प्रदूषण की अधिकता से ऑक्सीजन का स्तर गिर गया था। इस वजह से छोटे मछलियों की मृत्यु ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई, जबकि बड़ी मछलियां तेलयुक्त पानी पीने या दूषित छोटी मछलियों को खाने से प्रभावित हुईं। हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ. अनिता अग्रवाल ने इस मामले का संज्ञान लिया और विशेषज्ञों से सरोवर के पानी का नमूना लेने के लिए कहा। लेबोरेटरी इंजीनियर सौरभ दुबे ने 31 अक्टूबर की सुबह 11 बजे सरोवर से पानी का सैंपल लिया।

जांच रिपोर्ट और जल गुणवत्ता के आंकड़े

जांच में पाया गया कि सरोवर का पीएच 7.61 सामान्य था, जबकि घुलित ऑक्सीजन 5.6 मिलीग्राम प्रति लीटर रिकॉर्ड की गई। बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 4.5 मिलीग्राम और केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD) 120 मिलीग्राम प्रति लीटर थी। तेल और चिकनाई की मात्रा सामान्य स्तर से लगभग चार गुना अधिक 4 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई। डीडीयू के इंडस्ट्रियल माइक्रोबायोलॉजी के डॉ. साहिल महफूज और इंजीनियर सौरभ दुबे का मानना है कि पूजा सामग्री, घी और तेल के पानी में गिरने से सतह पर पतली परत बन गई, जिससे हवा से ऑक्सीजन का पानी में प्रवेश रुक गया। परिणामस्वरूप छोटे मछलियों ने पहले दम तोड़ा, जबकि बड़ी मछलियां धीरे-धीरे हाइड्रोकार्बन पदार्थों के प्रभाव से प्रभावित हुईं।

पर्यावरणीय प्रभाव और विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों ने यह स्पष्ट किया कि सूरजकुंड तालाब में हुई मछलियों की मृत्यु ऑक्सीजन शॉक और आयल प्वॉइजनिंग का परिणाम है। तेल और घी जैसी चीजें पानी की सतह पर परत बनाकर ऑक्सीजन के नीचे जाने से रोकती हैं, जिससे जलजीवों का श्वसन प्रभावित होता है। अनुमान लगाया गया कि बुधवार को घुलित ऑक्सीजन का स्तर 2 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे चला गया होगा। इस घटना ने यह भी संकेत दिया कि धार्मिक आयोजनों में पूजा सामग्री और तेल का तालाब में बहाव जलजीवों के लिए खतरनाक हो सकता है। बारिश और तालाब में ताला पानी डालने से कुछ हद तक ऑक्सीजन स्तर में सुधार हुआ, लेकिन बड़ी मछलियों को हुए नुकसान को वापस नहीं लाया जा सका। विशेषज्ञों ने आगाह किया कि भविष्य में ऐसे प्रदूषण से बचाव के लिए सतर्कता और जागरूकता जरूरी है।

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