गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर के सहारा स्टेट स्थित बहार क्लस्टर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ का समापन भक्ति और भावनाओं के अद्भुत संगम के साथ हुआ। सातवें दिन के विश्राम दिवस पर आठ वर्षीय अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया ने सुदामा चरित्र और भगवान श्रीकृष्ण के निजधाम गमन का ऐसा अलौकिक वर्णन प्रस्तुत किया कि पूरा पंडाल भक्ति रस से सराबोर हो गया। उनकी मधुर वाणी और सहज शैली ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कथा में उन्होंने समझाया कि सच्ची मित्रता और भक्ति केवल सांसारिक सहयोग तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह हृदय के पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। श्वेतिमा ने उदाहरण देते हुए कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा के तिनके चावलों को स्नेहपूर्वक स्वीकार किया तो यह स्पष्ट संदेश दिया कि ईश्वर के लिए भक्ति ही सबसे बड़ा धन है और सच्चा प्रेम ही मित्रता की असली पहचान है। उनकी इस व्याख्या ने हर किसी के मन को गहराई तक छू लिया।
भावविभोर श्रद्धालु और पवित्र अनुष्ठान
कथा के दौरान जब भगवान श्रीकृष्ण के निजधाम गमन की झांकी प्रस्तुत की गई तो पूरा वातावरण “जय श्रीकृष्ण” के गगनभेदी जयकारों से गूंज उठा। उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं और हर कोने में करुणा व भक्ति का अद्भुत संगम अनुभव किया गया। कथा समापन के अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार और अग्नि की पवित्र लपटों के बीच भागवत विश्राम हवन सम्पन्न हुआ। श्रद्धालुओं ने दिव्य वातावरण में बैठकर हवन का लाभ लिया और सामूहिक रूप से मंगलकामनाओं की प्रार्थना की। इसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया और इसे जीवन का सौभाग्य बताया। प्रसाद वितरण में महिलाओं और युवाओं ने उत्साहपूर्वक सहयोग किया, जिससे सामूहिक भक्ति और सेवा का वातावरण और प्रगाढ़ हो गया। इस धार्मिक अनुष्ठान में जनप्रतिनिधियों की भी उल्लेखनीय उपस्थिति रही। बांसगांव के विधायक डॉ. विमलेश पासवान, सजनवा के विधायक प्रदीप शुक्ला और ब्लॉक प्रमुख दिलीप यादव सहित कई गणमान्य अतिथियों की मौजूदगी ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ा दिया।
आठ वर्षीय बाल व्यास की सराहना और आयोजन की सफलता
इस अवसर पर आयोजन अनिल श्रीवास्तव और विनीता श्रीवास्तव के संयोजन में संपन्न हुआ, जबकि कथा संचालन का दायित्व डॉ. सरिता सिंह और डॉ. राकेश सिंह ने बखूबी निभाया। पूरे कार्यक्रम को सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न कराया गया। श्रद्धालुओं ने बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया की अद्वितीय प्रतिभा और भक्ति-भावना की जमकर सराहना की। केवल आठ वर्ष की आयु में अपनी 24वीं श्रीमद्भागवत कथा प्रस्तुत करने वाली श्वेतिमा ने जिस सहजता और गहन भाव से कथा का वर्णन किया, उसने सभी को चकित कर दिया। श्रद्धालुओं का कहना था कि श्वेतिमा द्वारा प्रस्तुत कथा लंबे समय तक स्मरणीय रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को भक्ति व समर्पण की प्रेरणा देती रहेगी। उनके दिव्य शब्दों ने यह संदेश दिया कि भक्ति की सच्ची साधना उम्र की मोहताज नहीं होती, बल्कि यह ईश्वर के प्रति निष्कपट समर्पण से ही पूर्ण होती है। गोरखपुर में संपन्न हुई यह कथा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही बल्कि इसने समाज को भक्ति, मित्रता और करुणा का अमूल्य संदेश भी दिया।