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Gorakhpur News : गीता वाटिका में श्रीमद्भागवत कथा का समापन, नरहरि दास ने सुनाए भगवान श्रीकृष्ण के प्रसंग और भाईजी को दी श्रद्धांजलि

Gorakhpur news in hindi – हनुमान प्रसाद पोद्दार की 133वीं जयंती पर सात दिवसीय कथा का हुआ समापन, मधुर भजनों और आरती से गूंजा पूरा परिसर

Shrimad Bhagwat Katha conclusion at Geeta Vatika Gorakhpur with devotees in attendance

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – गोरखपुर की गीता वाटिका में भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार की 133वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन 17 सितंबर को हुआ। 10 सितंबर से शुरू हुई इस कथा के दौरान परिसर निरंतर भक्ति और श्रद्धा की भावनाओं से गूंजता रहा। अंतिम दिन कथा वाचक नरहरि दास महाराज ने शुकदेव और राजा परीक्षित के संवाद का वर्णन करते हुए भक्तों को धर्म और भक्ति के महत्व से परिचित कराया। कथा से पूर्व भजनों की मधुर ध्वनियों और पूजा-पाठ ने वातावरण को और भी पवित्र बना दिया। नरहरि दास ने भाईजी के प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्मरण करते हुए कहा कि गीता वाटिका आज केवल एक स्थल नहीं, बल्कि अध्यात्म और भक्ति का केंद्र है। उन्होंने बताया कि भाईजी ने अपने जीवन से समाज और राष्ट्र को नई दिशा दी और धर्मग्रंथों की व्याख्या कर उन्हें जन-जन तक पहुँचाया।

भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य प्रसंग और भक्तवत्सलता का वर्णन

कथा के दौरान नरहरि दास ने कई प्रसंग सुनाए जिनसे भगवान श्रीकृष्ण की भक्तवत्सलता और करुणामयी लीला उजागर हुई। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण अपने भक्तों पर उसी तरह कृपा बरसाते हैं जैसे बादल किसानों पर वर्षा कर फसल को जीवन देते हैं। उन्होंने देवकी के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि जब भगवान ने अपने मृत भाइयों को पुनर्जन्म दिया तो माता देवकी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। एक अन्य प्रसंग में भृगु ऋषि की कथा सुनाई गई, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अपमान सहने के बाद भी उनके चरण दबाकर भक्तवत्सलता का उदाहरण प्रस्तुत किया। इसके अलावा भस्मासुर की कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार भगवान विष्णु की बुद्धिमत्ता से भस्मासुर स्वयं अपने वरदान का शिकार हुआ। इन कथाओं के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि भगवान सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनके जीवन की हर कठिनाई को दूर करने का सामर्थ्य रखते हैं।

आरती, श्रद्धा और आगामी जयंती समारोह की तैयारियाँ

अंतिम दिन का मुख्य आकर्षण श्रीमद्भागवत जी की भव्य आरती रही, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। भक्तगण आरती में लीन होकर भक्ति रस में डूबे नजर आए। पूरे परिसर में पद-रत्नाकर और भजनों की ध्वनि गूंजती रही जिसने माहौल को और भी दिव्य बना दिया। समिति के सचिव उमेश सिंघानिया ने बताया कि 18 सितंबर को भाईजी की 133वीं जयंती बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी। इस अवसर पर प्रभात फेरी, शहनाई वादन, मंगल आरती, पद गायन, समाधि पूजन, दीप प्रज्ज्वलन, भजन-कीर्तन और समाधि परिक्रमा जैसे कई कार्यक्रम आयोजित होंगे। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भाईजी की भक्ति, त्याग और राष्ट्रप्रेम को श्रद्धांजलि देने का माध्यम है। गीता वाटिका में सात दिनों तक चली इस कथा ने न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव कराया बल्कि उन्हें धर्म, संस्कृति और समाज सेवा के मूल्यों से भी जोड़ा।

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