Hindi News / State / Uttar Pradesh / Gorakhpur News Today (गोरखपुर समाचार) / सरयू ड्रेनेज घोटाले में बड़ा खुलासा: तत्कालीन जेई हरिदत्त मिश्रा लखनऊ से गिरफ्तार, फर्जी कोटेशन के जरिए 83 लाख का गबन

सरयू ड्रेनेज घोटाले में बड़ा खुलासा: तत्कालीन जेई हरिदत्त मिश्रा लखनऊ से गिरफ्तार, फर्जी कोटेशन के जरिए 83 लाख का गबन

ईओडब्ल्यू ने सरोजनीनगर से पकड़ा आरोपी इंजीनियर, गोंडा में 2012 में हुआ था सीमेंट आपूर्ति घोटाला, जांच में कई फर्जी फर्मों के नाम आए सामने

EOW arrest former JE Haridutt Mishra in Saryu Drainage Scam | Gorakhpur News

गोंडा के बहुचर्चित सरयू ड्रेनेज निर्माण घोटाले के मुख्य आरोपी और तत्कालीन अवर अभियंता (जेई) हरिदत्त मिश्रा को आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की टीम ने लखनऊ के सरोजनीनगर क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी मंगलवार को एक गुप्त सूचना के आधार पर की गई, जब टीम को पता चला कि मिश्रा सरोजनीनगर इलाके में छिपा हुआ है। ईओडब्ल्यू की कार्रवाई के बाद उसे हिरासत में लेकर गोरखपुर मुख्यालय भेजा गया। बताया जा रहा है कि मिश्रा लंबे समय से फरार चल रहा था और उसकी गिरफ्तारी के लिए ईओडब्ल्यू की टीम लगातार दबिश दे रही थी। हरिदत्त मिश्रा प्रयागराज जिले के औद्योगिक नगर थाना क्षेत्र के छाबीना गांव का रहने वाला है। उस पर आरोप है कि उसने 2012 में सरयू ड्रेनेज खंड प्रथम में कार्यरत रहते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार कर लाखों रुपए के सरकारी धन का दुरुपयोग किया। गोंडा के नगर कोतवाली में दर्ज इस मामले में उसे मुख्य आरोपी के रूप में नामजद किया गया था। घोटाले की रकम लगभग ₹83 लाख 54 हजार 500 रुपए बताई गई है, जो सीमेंट की फर्जी आपूर्ति के नाम पर गबन की गई थी। जांच में यह सामने आया कि मिश्रा ने अपने कार्यकाल के दौरान कई फर्जी फर्मों से कोटेशन तैयार कराए और उन फर्मों के नाम पर भुगतान जारी करा दिया। जबकि वास्तविक रूप से सीमेंट की आपूर्ति नहीं की गई थी।

जांच में उजागर हुए फर्जी कोटेशन और फर्में

ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2012 में सरयू ड्रेनेज खंड प्रथम में सीमेंट की खरीद प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं की गईं। अभियुक्त हरिदत्त मिश्रा ने प्रेम इंटरप्राइजेज (फैजाबाद) और द्विवेदी कंस्ट्रक्शन (गोंडा) नाम की दो फर्मों के फर्जी कोटेशन प्रस्तुत किए, जिनके माध्यम से 10,820 बोरी सीमेंट की आपूर्ति दर्शाई गई। यह आपूर्ति केवल कागजों पर दिखाई गई थी, जबकि वास्तव में सामग्री का कोई भौतिक वितरण नहीं हुआ था। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विभागीय खातों से ₹83,54,500 का भुगतान कर दिया गया। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि अभियुक्त ने अपने प्रभाव का उपयोग कर विभागीय प्रक्रिया को दरकिनार किया और वित्तीय नियमों की खुली अनदेखी की। जब यह मामला प्रकाश में आया, तो तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका की भी जांच शुरू की गई। प्रारंभिक विवेचना के बाद, प्रकरण को नगर कोतवाली से आर्थिक अपराध शाखा को ट्रांसफर किया गया ताकि वित्तीय अनियमितताओं की गहराई से जांच की जा सके। ईओडब्ल्यू की विस्तृत विवेचना में यह साबित हुआ कि मिश्रा ने योजनाबद्ध तरीके से फर्जी बिल, कोटेशन और भुगतान स्वीकृति पत्र बनवाकर सरकारी धन का गबन किया। यही नहीं, जांच में पाया गया कि इन फर्मों के मालिकों के हस्ताक्षर भी जाली थे, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह पूरा प्रकरण पूर्व नियोजित साजिश के तहत अंजाम दिया गया। ईओडब्ल्यू अधिकारियों का कहना है कि मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद अब यह जांच और आगे बढ़ाई जाएगी ताकि अन्य सहयोगियों और संबंधित अधिकारियों की भूमिका का भी खुलासा हो सके।

ईओडब्ल्यू की कार्रवाई और आगे की प्रक्रिया

लंबे समय से फरार चल रहे अभियुक्त हरिदत्त मिश्रा को पकड़ने के लिए ईओडब्ल्यू टीम ने कई महीनों तक निगरानी की। प्राप्त सूचना के बाद टीम ने सरोजनीनगर क्षेत्र में जाल बिछाया और आरोपी को बिना किसी प्रतिरोध के गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद मिश्रा से प्रारंभिक पूछताछ की गई, जिसमें उसने कुछ अहम जानकारियां दी हैं। ईओडब्ल्यू ने बताया कि अब आरोपी को न्यायालय में पेश कर रिमांड पर लेकर आगे की पूछताछ की जाएगी ताकि घोटाले में शामिल अन्य व्यक्तियों की भूमिका भी स्पष्ट हो सके। यह मामला राज्य के सिंचाई विभाग में हुए उन घोटालों में से एक है, जिनसे सरकारी कार्यप्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठे थे। वर्ष 2012 में जब यह मामला सामने आया था, तब आरोप लगा था कि विभाग के अधिकारियों ने पर्याप्त मात्रा में सीमेंट उपलब्ध होने के बावजूद अतिरिक्त खरीद दिखाकर फर्जी भुगतान कराया। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, यह घोटाला उस समय उजागर हुआ जब ऑडिट के दौरान आपूर्ति और भुगतान में भारी अंतर पाया गया। ईओडब्ल्यू अधिकारियों का कहना है कि इस केस में वित्तीय अपराध के सभी पहलुओं की जांच की जा रही है और संबंधित बैंक खातों तथा दस्तावेजों को भी जब्त किया गया है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस गिरफ्तारी के बाद अब घोटाले के अन्य कड़ियों पर भी कार्रवाई तेज की जाएगी। सरयू ड्रेनेज परियोजना उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण योजना थी, जिसका उद्देश्य निचले इलाकों से जल निकासी की समस्या को दूर करना था, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से यह योजना भ्रष्टाचार का शिकार बन गई। हरिदत्त मिश्रा की गिरफ्तारी इस बहुचर्चित मामले में जांच एजेंसी के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, जिससे अब उम्मीद की जा रही है कि घोटाले की पूरी सच्चाई सामने आएगी।

ये भी पढ़ें:  Gorakhpur News : गोरखपुर में बुलडोजर लेकर पहुंचे भू-माफिया, संपत्ति पर कब्जे की कोशिश में फायरिंग, पुलिस ने शुरू की जांच
Share to...