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Gorakhpur News : सहारा सिटी सील होने के बाद शुरू हुआ संपत्तियों का हिसाब, सुब्रत रॉय की लग्जरी कारें होंगी बाहर, लेकिन लंब्रेटा स्कूटर रहेगा लखनऊ में

Gorakhpur news in hindi : सहारा समूह के 170 एकड़ में फैले शहर में अब शुरू हुई संपत्तियों की निकासी; 30 लग्जरी कारों से लेकर फार्म की गाय-भैंसों तक का ब्योरा जुटा रही टीम, जबकि सुब्रत रॉय का प्रिय लंब्रेटा स्कूटर बना रहेगा उनकी यादों की निशानी।

Subrata Roy Sahara City Luxury Cars and Lambretta Scooter in Lucknow | Gorakhpur News

गोरखपुरउत्तर प्रदेश –  लखनऊ में फैले 170 एकड़ के सहारा सिटी को 6 अक्टूबर को सील कर दिए जाने के बाद अब प्रशासन और सहारा प्रबंधन की टीमों ने संपत्तियों की सूची तैयार करने और उन्हें बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पूरे परिसर में सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय से जुड़ी कई यादें और कीमती वस्तुएं मौजूद हैं। इनमें उनका निजी कार्यालय, म्यूजियम, लग्जरी कारों का बेड़ा, पशु फार्म और गैलरी शामिल हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, यहां खड़ी करीब 30 लग्जरी गाड़ियां – जिनमें मस्टैंग, लैंड क्रूजर, मर्सिडीज और BMW जैसी हाई-एंड कारें शामिल हैं – अब धीरे-धीरे परिसर से बाहर भेजी जाएंगी। यह सभी वाहन सुब्रत रॉय और उनके परिवार के नाम पर दर्ज हैं, लेकिन इन्हें बाहर निकालने से पहले स्वामित्व से जुड़े दस्तावेज दिखाना अनिवार्य होगा। नगर निगम ने स्पष्ट किया है कि सभी गाड़ियों की निकासी वीडियोग्राफी के साथ होगी ताकि कोई विवाद न खड़ा हो। इस बीच, सहारा शहर के कर्मचारियों और प्रबंधन से जुड़े लोगों ने नगर आयुक्त गौरव कुमार को पत्र लिखकर गाड़ियों को हटाने की अनुमति मांगी है। वहीं, सहारा परिसर में रखे गए अन्य सामानों की सूची भी तैयार की जा रही है ताकि कोई वस्तु बगैर अनुमति के बाहर न ले जाई जा सके। सीलिंग के बाद से सहारा परिसर में मौजूद कर्मचारियों के परिवारों को भी अपने निजी सामान को बाहर निकालने की अनुमति दी गई है, बशर्ते वे प्रमाण दे सकें कि वह सामान उन्हीं का है। नगर निगम के अधिकारी इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं और अब तक 200 से अधिक परिवार अपने सामान को लेकर अनुमति प्राप्त कर चुके हैं।

सहाराश्री की विरासत: लंब्रेटा स्कूटर बना पहचान

सुब्रत रॉय का लंब्रेटा स्कूटर सहारा समूह की पहचान बन चुका है, जिसे उन्होंने अपने कारोबारी जीवन की शुरुआत में इस्तेमाल किया था। यही स्कूटर उनके संघर्ष और सफलता का प्रतीक रहा है। 1978 में जब उन्होंने गोरखपुर से सहारा इंडिया परिवार की नींव रखी थी, तब वह इसी स्कूटर से घूमकर लोगों से मुलाकात करते और अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए मेहनत करते थे। गोरखपुर के दिनों में वह इसी स्कूटर पर बिस्किट और नमकीन बेचते थे, जो उनके जीवन की सादगी और मेहनत का प्रमाण है। सहारा समूह के शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी उन्होंने इस स्कूटर को अपनी यादों से मिटने नहीं दिया। उन्होंने इसे अपने कार्यालय परिसर में बने म्यूजियम में कांच के भीतर सहेजकर रखा, ताकि आने वाली पीढ़ियां जान सकें कि सफलता की नींव संघर्ष से रखी जाती है। सहाराश्री का यह लंब्रेटा स्कूटर आज भी सहारा सिटी की रिसेप्शन गैलरी में मौजूद है, जहां उसके आसपास मेज-कुर्सियां और उनकी निजी तस्वीरें रखी गई हैं। यहां पर धूल जरूर जम चुकी है, लेकिन यह स्कूटर आज भी सुब्रत रॉय की विनम्रता और दृढ़ता की कहानी बयां करता है। कंपनी से जुड़े पुराने अधिकारी बताते हैं कि जब कोई वीवीआईपी मेहमान सहारा सिटी आता था, तो सुब्रत रॉय खुद बड़े गर्व से उन्हें यह स्कूटर दिखाते थे और बताते थे कि उनकी सफलता की शुरुआत इसी वाहन से हुई थी। यही कारण है कि प्रशासन की सीलिंग कार्रवाई के बावजूद इस स्कूटर को नहीं छुआ गया है और यह लखनऊ में ही रहेगा, ताकि यह सहारा परिवार की विरासत के रूप में कायम रह सके।

सहारा सिटी में पसरा सन्नाटा, कर्मचारियों में अनिश्चितता

सीलिंग के बाद सहारा सिटी में अब सन्नाटा छा गया है। कभी जहां रोज़ाना हजारों लोगों की आवाजाही होती थी, वहां अब प्रशासनिक टीमें और गिने-चुने कर्मचारी ही दिखाई देते हैं। फार्म में पाली गई गायें, भैंसें और बत्तखें नगर निगम की टीम द्वारा कान्हा उपवन भेजी जा चुकी हैं, लेकिन कई पशुओं के वारिस सामने नहीं आए हैं। नगर निगम की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 40 गाय-भैंसों और बत्तखों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। वहीं, शहर में मौजूद झील में विदेशी नस्ल की मछलियां अभी भी हैं, लेकिन उन्हें पकड़ने का ठेका फिलहाल नहीं दिया गया है। बताया जा रहा है कि सहारा शहर के फार्म में जर्मन और अमेरिकी नस्ल के मुर्गे-मुर्गियां भी रखे गए थे, जो अब नदारद हैं। कर्मचारियों का कहना है कि सीलिंग के बाद से उनकी सैलरी भी रुकी हुई है और कई लोग प्रबंधन से बातचीत कर समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन कर यह मांग की है कि उन्हें बकाया वेतन दिया जाए और भविष्य को लेकर स्पष्टता हो। सहारा समूह कभी भारत के सबसे प्रभावशाली कारोबारी साम्राज्यों में से एक था, लेकिन अब उसके इस शहर में बीते वैभव की झलक मात्र बाकी रह गई है। जहां कभी क्रिकेटर, फिल्मी सितारे और विदेशी नेता आते थे, वहीं अब खाली गलियों में बस इतिहास की गूंज सुनाई देती है। सुब्रत रॉय का लंब्रेटा स्कूटर इस पूरे परिसर में आज भी उस दौर की याद दिलाता है जब एक साधारण स्कूटर से शुरू हुई कहानी ने अरबों के साम्राज्य का रूप लिया था। सहारा सिटी का यह दृश्य बताता है कि समय के साथ साम्राज्य बदल जाते हैं, लेकिन विरासतें कभी नहीं मिटतीं।

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