गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में राप्ती और रोहिणी नदियों का जलस्तर अब धीरे-धीरे घट रहा है, लेकिन दोनों नदियां अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। राप्ती नदी का जलस्तर वर्तमान में 75.22 मीटर पर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान से 0.24 मीटर अधिक है। वहीं, रोहिणी नदी का जलस्तर 83.14 मीटर पर है, जो खतरे के निशान से 0.70 मीटर ऊपर है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि जलस्तर में कमी आई है, लेकिन इसके बावजूद निचले इलाकों में पानी भरा हुआ है और कुछ स्थानों पर बढ़त भी देखी जा रही है। यह स्थिति ग्रामीण जीवन और स्थानीय परिवहन को प्रभावित कर रही है।
निचले इलाकों में बाढ़ का प्रभाव
राप्ती और रोहिणी के किनारे बसे कई गांवों में बाढ़ का असर अभी भी जारी है। भटपुरवा, केवटान, कोइलीखास, पिडहनी, मरकड़ी, खोहियापट्टी, हिंगुहार, लखनौरी, लखनौरा, मोहन पौहरिया, मछरगांवा, सूबेदारनगर माझा, बिहुआ और मंझरियां जैसे इलाकों में पानी भरा हुआ है। खेतों में खड़ी फसलें जलमग्न हैं और कच्चे रास्तों पर घुटनों तक पानी भरा होने के कारण लोगों की आवाजाही सीमित हो गई है। ग्रामीणों को अपने घरों और खेतों से बाहर निकलने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन ने इन प्रभावित क्षेत्रों की नियमित निगरानी शुरू कर दी है।
राहत केंद्र और बचाव कार्य
गोरखपुर प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित लोगों की सुरक्षा के लिए सभी राहत केंद्र सक्रिय कर दिए हैं। जरूरत पड़ने पर प्रभावित ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए बसों, ट्रैक्टर-ट्रॉली और नावों की व्यवस्था की गई है। राष्ट्रीय आपदा राहत बल (NDRF) और राज्य आपदा राहत बल (SDRF) की टीमें चौबीसों घंटे अलर्ट मोड में हैं। प्रशासन लगातार प्रभावित इलाकों का जायजा ले रहा है और राहत कार्यों में तेजी लाई जा रही है। अधिकारी लोगों से अपील कर रहे हैं कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में बिना प्रशासन की अनुमति या मार्गदर्शन के प्रवेश न करें और सुरक्षित स्थानों पर रहें, ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति में बचाव कार्य तुरंत किया जा सके।