गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर के ऐतिहासिक कालीबाड़ी मंदिर परिसर में शुक्रवार को राणी सती दादी, जिन्हें लाडो नारायणी के नाम से भी जाना जाता है, का जन्मोत्सव श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी। भक्तों ने फूल, मिठाई और श्रृंगार सामग्री लेकर दादी के दरबार में हाजिरी दी। कार्यक्रम की शुरुआत मंदिर के पुजारियों द्वारा मंत्रोच्चारण और ज्योति प्रज्ज्वलन के साथ हुई। जैसे ही ज्योति प्रज्ज्वलित हुई, पूरा वातावरण ‘जय दादी की’ के जयघोष से गूंज उठा। मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर गर्भगृह तक भक्तों की लंबी कतारें लगी थीं, जहां सभी दादी का आशीर्वाद लेने को उत्सुक थे। इस अवसर पर दादी का भव्य श्रृंगार किया गया-उन्हें नए वस्त्र पहनाए गए, गहनों और फूलों से सजाया गया। श्रृंगार के बाद केक काटकर जन्मोत्सव मनाया गया और उपस्थित श्रद्धालुओं ने प्रसन्नता व्यक्त की। पूरा परिसर दादी के भजनों से गूंजता रहा, जिससे वातावरण में अद्भुत शांति और भक्ति का संचार हुआ।
भजन-कीर्तन से हुआ माहौल भक्तिमय, हर स्वर में झलकी आस्था
कार्यक्रम के दौरान आयोजित भजन संध्या ने आयोजन की गरिमा को और भी बढ़ा दिया। गणपति वंदना के साथ आरंभ हुए कीर्तन में स्थानीय भजन मंडलियों ने एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी। ‘नारायणी जन्म लियो आज’, ‘दादी नाम अनमोल बोलो’, और ‘पितरों की महिमा निराली’ जैसे भजनों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। भजन के हर स्वर के साथ भक्तों के चेहरे पर आस्था की झलक साफ दिखाई दे रही थी। महिलाएं और बुजुर्ग भक्त समूह में नृत्य करते हुए दादी के चरणों में भक्ति अर्पित कर रहे थे। कई भक्तों ने बताया कि हर वर्ष दादी का जन्मोत्सव उनके जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता लेकर आता है। कार्यक्रम स्थल पर सजावट भी आकर्षण का केंद्र रही-दीपों, फूलों और रंगोली से पूरा परिसर सुसज्जित किया गया था। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई इस उत्सव में सहभागी बना। मंदिर समिति की ओर से सभी श्रद्धालुओं के लिए जलपान और प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई थी।
प्रसाद वितरण और आशीर्वाद के साथ संपन्न हुआ कार्यक्रम, उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
श्रृंगार और भजन संध्या के बाद राणी सती दादी को भोग अर्पित किया गया। इसके पश्चात श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और दादी के दर्शन कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। कालीबाड़ी के महंत रविंद्र दास ने कहा कि राणी सती दादी त्याग, समर्पण और शक्ति का प्रतीक हैं, और उनका जन्मोत्सव हमें जीवन में भक्ति और सेवा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। इस अवसर पर पवन सिंघानिया, भरत जालान, नारायण खेमका, मनोज गोयल, सिंघानिया परिवार सहित कई प्रतिष्ठित समाजसेवी उपस्थित रहे। मंदिर के चारों ओर सुरक्षा और व्यवस्था के लिए स्वयंसेवकों की टीम सक्रिय रही, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। कार्यक्रम के अंत में सभी भक्तों ने एक स्वर में दादी का जयघोष किया-“जय दादी री नारायणी”-जिससे पूरा परिसर भक्तिमय हो उठा। कालीबाड़ी में आयोजित यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक रहा, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का भी सजीव उदाहरण प्रस्तुत कर गया। गोरखपुर जैसे आध्यात्मिक शहर में इस तरह के आयोजन जन-जन को भक्ति के साथ जोड़ते हैं और सामूहिक सद्भाव का संदेश देते हैं।




