गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर का ऐतिहासिक रामगढ़ताल, जिसे 7 दिसंबर 2020 को वेटलैंड घोषित किया गया था, लंबे समय तक सरकारी प्रक्रियाओं में उलझा रहा और चिह्नांकन का काम अधर में अटका रहा। करीब पांच साल बीत जाने के बावजूद न तो ताल क्षेत्र में पिलर लगाए जा सके और न ही इसका सीमांकन हो पाया, जिसके चलते ताल के आसपास लगातार अतिक्रमण बढ़ता गया। अब जिलाधिकारी दीपक कुमार मीना ने मामले पर गंभीरता दिखाते हुए गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। इसके बाद जीडीए ने वेटलैंड क्षेत्र की सुरक्षा और सीमांकन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की ठोस पहल शुरू कर दी है। अधिकारियों के अनुसार, जल्द ही सर्वेक्षण और पिलर लगाने का काम एक चुनी हुई फर्म को सौंपा जाएगा ताकि वेटलैंड की जमीन पर किसी प्रकार का अवैध कब्जा या निर्माण न हो सके। चयनित फर्म की जिम्मेदारी होगी कि वह पूरे क्षेत्र में 50 मीटर दायरे के भीतर स्पष्ट सीमांकन कर पिलर लगाए और वेटलैंड को संरक्षित रखे।
जिलाधिकारी के निर्देश और समिति की कार्रवाई
रामगढ़ताल को लेकर बढ़ते अतिक्रमण की शिकायतें लगातार प्रशासन तक पहुंच रही थीं। इसी कड़ी में हाल ही में आयोजित गंगा समिति एवं जिला पर्यावरण समिति की बैठक में जिलाधिकारी दीपक कुमार मीना ने संबंधित विभागों को सख्त निर्देश दिए कि वेटलैंड के 50 मीटर दायरे में हुए सभी अतिक्रमणों को चिह्नित कर हटाया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चिह्नांकन की कार्रवाई को तुरंत शुरू किया जाए और इसकी पूरी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी जाए। निर्देशों के बाद जीडीए ने तेजी दिखाते हुए एक विशेष समिति का गठन कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, स्टेशन सर्वेक्षण पर लगभग 8 लाख रुपये का खर्च आएगा, जबकि सीमांकन हेतु पिलर लगाने पर करीब 10 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। उम्मीद जताई जा रही है कि चयनित फर्म को जिम्मेदारी सौंपने के बाद यह प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाएगी और आने वाले महीनों में वेटलैंड का स्वरूप और दायरा स्पष्ट रूप से दिखने लगेगा। प्रशासन का मानना है कि यदि चिह्नांकन सही तरीके से हो गया तो अतिक्रमण पर लगाम लगने के साथ ही क्षेत्र में अवैध निर्माण भी स्वतः रुक जाएगा।
रामगढ़ताल वेटलैंड का महत्व और क्षेत्रफल
रामगढ़ताल का महत्व केवल गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अत्यधिक है। 7 दिसंबर 2020 को प्रकाशित उत्तर प्रदेश असाधारण गजट में इसे औपचारिक रूप से वेटलैंड घोषित किया गया था। गजट के अनुसार, यह वेटलैंड उत्तर दिशा में पैडलेगंज चौकी से कुशीनगर-देवरिया मार्ग तक, पूर्व दिशा में महादेव झारखंडी ग्राम संख्या-2 तक, दक्षिण में देवरिया बाईपास मार्ग और ग्राम सिक्टौर तक तथा पश्चिम में पैडलेगंज चौकी से सर्किट हाउस रोड होते हुए प्राणी उद्यान और देवरिया बाईपास तक फैला हुआ है। इसका कुल क्षेत्रफल 742.245 हेक्टेयर है, जिसमें 529.169 हेक्टेयर ताल क्षेत्र, 177.325 हेक्टेयर राजकीय संपत्ति और 35.751 हेक्टेयर निजी काश्तकारों की भूमि शामिल है। इस पूरे क्षेत्र का स्टेशन सर्वेक्षण कराया जाएगा ताकि रिकॉर्ड के आधार पर सीमांकन और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वेटलैंड का संरक्षण समय रहते किया गया तो यह न केवल पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा बल्कि गोरखपुर शहर के लिए प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन की दृष्टि से भी एक बड़ी उपलब्धि साबित होगा। प्रशासन की इस पहल से उम्मीद बंधी है कि आने वाले समय में रामगढ़ताल वेटलैंड अपने प्राकृतिक स्वरूप में संरक्षित रह सकेगा और अतिक्रमण की समस्या से मुक्त हो जाएगा।