Hindi News / State / Uttar Pradesh / Gorakhpur News Today (गोरखपुर समाचार) / Gorakhpur News : गोरखपुर में लगा राजस्थान का लोहे का बाजार, हैंडमेड किचन बर्तनों की धूम, दो महीने तक रहेगा कारोबार

Gorakhpur News : गोरखपुर में लगा राजस्थान का लोहे का बाजार, हैंडमेड किचन बर्तनों की धूम, दो महीने तक रहेगा कारोबार

Gorakhpur news in hindi : राजस्थान से आए कारीगरों ने गोरखपुर में सजाया अनोखा बाजार, सस्ते दामों पर बिक रहे लोहे के पारंपरिक बर्तन, छठ पर्व पर बढ़ी मांग

Rajasthan artisans selling handmade iron utensils in Gorakhpur | Gorakhpur News

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर का कौवा बाग रोड इन दिनों कुछ अलग ही रंग में दिख रहा है। असुरन चौक से बिछिया की ओर जाते रास्ते पर राजस्थान से आए कारीगरों ने अपने हाथों से बने लोहे के बर्तनों का अनोखा बाजार सजाया है। यह बाजार शहर के लोगों के लिए न केवल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है बल्कि यहां से गुजरने वाला हर व्यक्ति रुककर इन दुकानों को जरूर देखता है। चाकू, कढ़ाई, तवा, ओखली, झारा, करछुल जैसे किचन से जुड़े हर जरूरी सामान यहां बेहद सस्ते दामों में मिल रहे हैं। दशहरे के बाद शुरू हुआ यह बाजार करीब दो महीने तक चलेगा और हर दिन सैकड़ों ग्राहक यहां खरीदारी करने पहुंच रहे हैं। दुकानदारों ने बताया कि यह परंपरा वर्षों पुरानी है, जिसमें राजस्थान के अलग-अलग गांवों से परिवार अपने बनाए लोहे के बर्तनों को लेकर उत्तर प्रदेश के शहरों में आते हैं और त्योहारों के सीजन में अस्थायी बाजार लगाते हैं। इस बार करीब 20 परिवार अपने 10 से 12 स्टॉल्स के साथ यहां पहुंचे हैं। उनके पास रहने के लिए टेंट और खाने की व्यवस्था भी पास में ही की गई है। सुबह से लेकर देर रात तक यहां रौनक बनी रहती है और शहर के लोग पारंपरिक बर्तनों की खरीदारी में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

हैंडमेड बर्तनों की लोकप्रियता और आधुनिक उपयोगिता

इस बाजार की खासियत यह है कि यहां बिकने वाले सभी बर्तन पूरी तरह से हैंडमेड हैं। कारीगर इन्हें अपने हाथों से बनाते हैं और केवल फिनिशिंग के लिए मशीन का प्रयोग करते हैं। इन बर्तनों की गुणवत्ता इतनी बेहतर है कि यह इंडक्शन चूल्हे पर भी काम करते हैं, जिससे आधुनिक रसोई में भी इनका इस्तेमाल आसान हो गया है। राजस्थान से आए कारीगर दिलीप लोहार ने बताया कि वे हर साल अपने गांव में चार महीने तक बर्तन तैयार करते हैं और फिर आठ महीने तक देश के विभिन्न हिस्सों में घूमकर इन्हें बेचते हैं। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में उन्हें लगातार अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है और यही वजह है कि यह उनका तीसरा साल है जब वे यहां बाजार लगाने पहुंचे हैं। दिलीप ने मुस्कुराते हुए कहा कि “यहां के लोगों का स्नेह और बिक्री का फायदा दोनों ही हमें हर साल लौटकर आने के लिए प्रेरित करते हैं।” इस बार छठ पर्व के नजदीक होने के कारण लोहे की कढ़ाई, फ्राई पैन, और डोसा तवे की बिक्री सबसे ज्यादा हो रही है। कई ग्राहक यह मानते हैं कि लोहे के बर्तनों में खाना न केवल स्वादिष्ट बनता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है। देवरिया से आए हरि गोविंद यादव ने बताया कि उन्होंने घर के लिए एक बड़ी कढ़ाई खरीदी है क्योंकि लोहे में तलने वाले व्यंजन अधिक कुरकुरे बनते हैं। गोरखपुर निवासी अशोक ने कहा कि अब बाजार में असली लोहे के बर्तन मिलना मुश्किल है, इसलिए यह मेला उनके लिए खास अनुभव है।

परंपरा, परिश्रम और स्थानीय व्यापार का संगम

राजस्थान के इन परिवारों की जीविका पूरी तरह से इस पारंपरिक धंधे पर निर्भर है। दिलीप लोहार बताते हैं कि उनके पूर्वज भी यही काम करते आए हैं और अब यह पेशा उनकी पहचान बन गया है। समुदाय के लगभग सभी सदस्य बर्तनों को बनाना, पॉलिश करना और फिर घूम-घूमकर बेचना सीख चुके हैं। वे बताते हैं कि एक दिन में लगभग चार से पांच हजार रुपये की बिक्री हो जाती है और त्योहारों के समय यह रकम दोगुनी तक पहुंच जाती है। ग्राहकों की भीड़ देखकर अन्य व्यापारी भी उत्साहित हैं। बाजार में दाल तड़का पैन 150 रुपये से शुरू होकर, कढ़ाई 200 से 2000 रुपये तक, और तवे 150 से 1000 रुपये तक की रेंज में उपलब्ध हैं। छोटे घरेलू औजार जैसे चाकू, हसुआ, झारा और सरौता भी बेहद कम कीमत पर मिल रहे हैं। दिलीप ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के लगभग सभी बड़े जिलों जैसे लखनऊ, आगरा, बरेली, मथुरा, प्रयागराज और वाराणसी में अपने उत्पाद बेचते हैं। साथ ही जहां धार्मिक मेले या आयोजन होते हैं, वहां भी इनकी दुकानें सजती हैं। यह केवल व्यापार नहीं बल्कि परंपरा की निरंतरता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ रही है। गोरखपुर के लोगों के लिए यह बाजार न केवल उपयोगी वस्तुएं खरीदने का अवसर है, बल्कि भारतीय शिल्पकला और मेहनतकश समुदाय की जीवंत झलक भी प्रस्तुत करता है। इस बाजार की मौजूदगी यह दर्शाती है कि आज के डिजिटल युग में भी हस्तनिर्मित वस्तुओं का आकर्षण कम नहीं हुआ है। जब परंपरा, गुणवत्ता और सादगी एक साथ मिलती हैं, तो हर ग्राहक का अनुभव कुछ खास बन जाता है – और यही वजह है कि राजस्थान का यह लोहे का बाजार गोरखपुर की सड़कों पर इस बार भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

ये भी पढ़ें:  गोरखपुर में ‘रन फॉर यूनिटी’ से गूंजा एकता का संदेश, डीएम और डीआईजी ने दिखाई हरी झंडी, हजारों नागरिकों ने लगाई दौड़
Share to...