गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में इस वर्ष का एडमिशन सत्र अब लगभग समाप्ति पर है और विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार बीए-एलएलबी, बीबीए और एमबीए जैसे पॉपुलर कोर्स में सभी सीटें पूरी तरह भर चुकी हैं। बीसीए, एमएससी बायोइन्फॉर्मेटिक्स, एमएससी माइक्रोबायोलॉजी और एमसीए (एमएलडीएस) जैसे तकनीकी और प्रोफेशनल कोर्स में भी छात्रों की अच्छी संख्या में भागीदारी रही, जिससे वहां भी सीटें फुल हो गईं। यूनिवर्सिटी का कहना है कि इन कोर्सों में इंडस्ट्री डिमांड और करियर संभावनाएं ज्यादा होने के कारण छात्रों की प्राथमिकता बढ़ी है। प्रशासन का मानना है कि यह ट्रेंड इस बात का संकेत है कि छात्र अब जॉब-ओरिएंटेड कोर्सेज को अधिक महत्व दे रहे हैं।
सेल्फ-फाइनेंस्ड और नए कोर्स में कम नामांकन
पॉपुलर कोर्स में अच्छी प्रतिक्रिया के बावजूद कई सेल्फ-फाइनेंस्ड और नए शुरू किए गए कोर्सों में सीटें खाली रह गईं। बीए-जेएमसी में 60 में से केवल 41 सीटें भरीं, बीकाम (बैंकिंग एंड एश्योरेंस) में 225 में से 194, डीफार्म में 66 में से 63 और बीफार्म में 110 में से 107 सीटें भरीं। तकनीकी कोर्स एमसीए में 66 में से 47 सीटें ही भर सकीं जबकि एमएससी (इन्फार्मेटिक्स) में 10 में से 7 छात्रों ने एडमिशन लिया। बीसीए (आईओटी) में 75 में से 69 सीटें भरीं, वहीं होटल मैनेजमेंट में 75 में से केवल 26 ही छात्र नामांकित हो पाए। बीएससी (होम साइंस) में 40 में से 24, एमटेक में 33 में से 8, डिप्लोमा (ज्योतिष) में 60 में से 17 और एमएससी एआई में 33 में से मात्र 5 सीटें भरी गईं। यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि नए कोर्स को लेकर छात्रों में जागरूकता और काउंसलिंग की कमी के कारण ये सीटें खाली रह गईं।
विशेष कोर्स और बीटेक एडमिशन की स्थिति
विश्वविद्यालय में इस साल शुरू किए गए एमएससी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बैचलर ऑफ होटल मैनेजमेंट और पीजी डिप्लोमा इन गाइडेंस एंड काउंसलिंग जैसे कोर्स में सबसे ज्यादा सीटें खाली हैं, हालांकि प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए यूनिवर्सिटी ने बिना एंट्रेंस एग्जाम के भी एडमिशन की सुविधा दी। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बीटेक की एडमिशन प्रक्रिया अभी भी जारी है क्योंकि एकेटीयू लखनऊ की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। कुल 301 सीटों में से 252 सीटों पर एडमिशन कंफर्म हो चुके हैं जबकि शेष सीटों को भरने की कोशिश की जा रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि सेल्फ-फाइनेंस्ड कोर्सेज के लिए अगले सत्र में बेहतर काउंसलिंग और इंडस्ट्री कोलैबोरेशन पर जोर दिया जाएगा ताकि छात्रों की रुचि बढ़े और सीटें पूरी तरह भर सकें।