गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर के बाबा राघव दास (BRD Medical College) मेडिकल कॉलेज गेट पर शनिवार सुबह नर्सिंग कॉलेज के छात्रों ने जमकर हंगामा किया। 2022 से 2025 बैच तक के छात्र-छात्राएं करीब एक घंटे तक नारेबाजी करते रहे और कॉलेज प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। छात्रों का कहना था कि बार-बार लिखित रूप में समस्याओं से अवगत कराने के बावजूद प्रशासन ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने हाथों में मांगपत्र लेकर अपनी समस्याओं को सार्वजनिक किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉलेज में पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है, शौचालयों की सफाई नहीं होती और जल आपूर्ति भी बाधित रहती है। सबसे गंभीर आरोप यह लगाया गया कि कैंपस में लगाए गए वॉटर कूलर से गंदगी और कीड़े निकलते हैं, लेकिन प्रशासन का रवैया उदासीन बना रहता है। छात्र प्रतिनिधियों ने कहा कि कॉलेज प्रबंधन फीस में परिवहन, पुस्तकालय और कंप्यूटर जैसी सुविधाओं के नाम पर ढाई-ढाई हजार रुपये वसूलता है, लेकिन जमीनी स्तर पर इनमें से कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराता।
चार साल से जारी समस्याओं पर छात्रों का गुस्सा फूटा
छात्रों ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि पिछले चार वर्षों से वे इन समस्याओं से जूझ रहे हैं लेकिन कोई समाधान नहीं किया गया। कॉलेज में हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध नहीं है, बावजूद इसके उनसे हॉस्टल फीस वसूली जाती है। जिन छात्रों ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई, उन्हें परीक्षाओं में फेल करने की धमकी दी जाती है। कई छात्रों के साथ ऐसा पहले भी किया जा चुका है, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान हैं। हाल ही में एक छात्रा ने इसी तरह की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या का प्रयास किया था, लेकिन इस घटना के बाद भी कॉलेज प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। छात्रों ने कहा कि लगातार हो रही उपेक्षा और लापरवाही ने उन्हें मजबूर कर दिया है कि वे सड़क पर उतरकर अपनी आवाज उठाएं। उनका कहना है कि यह प्रदर्शन किसी एक बैच या छात्र का नहीं, बल्कि पूरे कॉलेज के छात्रों की सामूहिक पीड़ा को सामने लाने का प्रयास है।
प्राचार्य ने तत्काल मान ली चार मांगें, बाकी पर दिया आश्वासन
नर्सिंग छात्रों के प्रदर्शन की सूचना पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजकुमार जायसवाल मौके पर पहुंचे और छात्रों से बातचीत की। उन्होंने छात्रों को शांत करने का प्रयास किया और उनकी छह सूत्रीय मांगपत्र को ध्यान से सुना। तत्काल कार्रवाई करते हुए प्राचार्य ने चार मांगों को तुरंत मान लिया और शेष दो पर शीघ्र ही निर्णय लेने का आश्वासन दिया। इससे छात्रों का आक्रोश कुछ हद तक शांत हुआ और प्रदर्शन समाप्त कर दिया गया। हालांकि छात्रों ने स्पष्ट किया कि अगर उनकी बाकी मांगों पर समय पर कदम नहीं उठाए गए तो वे पुनः आंदोलन करने को मजबूर होंगे। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर शैक्षणिक संस्थानों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और प्रबंधन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन वादों को कितनी गंभीरता से लागू करता है और छात्रों को उनके अधिकारों के अनुरूप सुविधाएं कब तक उपलब्ध हो पाती हैं।