पूर्वोत्तर रेलवे (NER) में वर्ष 2025-26 के दौरान 2182 पदों पर भर्ती की जाएगी। इसके लिए रेलवे बोर्ड से आधिकारिक मंजूरी मिल चुकी है। यह जानकारी महाप्रबंधक सौम्या माथुर ने ऑल इंडिया एससी-एसटी रेलवे इम्प्लॉइज एसोसिएशन की बैठक में दी। उन्होंने बताया कि लेवल-2 से लेवल-7 तक की विभिन्न श्रेणियों के लिए कुल 850 पदों की मांग रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) गोरखपुर को भेजी गई है। इनमें अनुसूचित जाति (SC) के लिए 130 और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 93 पद आरक्षित हैं। इसी तरह लेवल-1 के लिए 1332 पदों पर भर्ती का प्रस्ताव भेजा गया है, जिनमें SC वर्ग के लिए 206 और ST वर्ग के लिए 231 पद आरक्षित किए गए हैं।
आरक्षण और पदोन्नति की व्यवस्था
महाप्रबंधक ने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए न केवल सीधी भर्ती बल्कि पदोन्नति में भी आरक्षण सुनिश्चित है। इसके लिए अलग-अलग रोस्टर लागू किए गए हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025-26 की भर्ती के लिए आरआरबी से कुल 354 अभ्यर्थियों का पैनल प्राप्त हुआ है, जिनमें 47 अनुसूचित जाति और 26 अनुसूचित जनजाति वर्ग के उम्मीदवार शामिल हैं। इसके अलावा वर्तमान वित्तीय वर्ष में पूर्वोत्तर रेलवे में 2268 कर्मचारियों की पदोन्नति की गई है, जिनमें 398 अनुसूचित जाति और 96 अनुसूचित जनजाति के कर्मचारी सम्मिलित हैं। महाप्रबंधक ने यह भी स्पष्ट किया कि भर्ती और पदोन्नति की प्रक्रिया में आरक्षण नियमों और रोस्टर का पूर्ण पालन किया जाएगा।
मौजूदा स्थिति और एसोसिएशन की प्रतिक्रिया
महाप्रबंधक ने बैठक में यह भी जानकारी दी कि पूर्वोत्तर रेलवे में कुल 59,061 स्वीकृत पद हैं, जिनमें वर्तमान समय में 46,914 कर्मचारी कार्यरत हैं। बड़ी संख्या में पद रिक्त होने के कारण नई भर्ती की आवश्यकता महसूस की जा रही है। बैठक में एससी-एसटी एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भी कर्मचारियों की समस्याओं और समय पर पदोन्नति की आवश्यकता पर जोर दिया। एसोसिएशन के जोनल अध्यक्ष बच्चू लाल ने महाप्रबंधक के सकारात्मक रुख की सराहना की और कहा कि रेलवे प्रशासन यदि इसी तरह सक्रिय रहा तो कर्मचारियों को समय पर लाभ मिलता रहेगा। बैठक में जोनल महामंत्री रामप्रकाश, मुख्य कार्मिक अधिकारी आईआर अवधेश प्रसाद समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
पूर्वोत्तर रेलवे की यह भर्ती योजना न केवल हजारों युवाओं को रोजगार का अवसर देगी बल्कि संगठन में आरक्षण और पदोन्नति से जुड़े संवैधानिक अधिकारों को भी सुदृढ़ करेगी। रेलवे कर्मचारियों और अभ्यर्थियों के लिए यह घोषणा भविष्य की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।