गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरक्षपीठ में प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथियों पर श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस परंपरा के तहत बुधवार, 10 सितंबर (आश्विन कृष्ण तृतीया) को महंत दिग्विजयनाथ की 56वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा होगी। गोरखनाथ मंदिर स्थित महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में होने वाले इस आयोजन की अध्यक्षता मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ करेंगे। कार्यक्रम में देशभर से प्रमुख संतगण, सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र की विभूतियां शामिल होंगी।
महंत दिग्विजयनाथ ने 1935 से 1969 तक 34 वर्षों तक गोरक्षपीठ की बागडोर संभाली। उन्होंने गोरखनाथ मंदिर को वर्तमान स्वरूप प्रदान किया और धर्म, शिक्षा, समाजसेवा तथा राष्ट्रहित को अपने जीवन का आधार बनाया। वे किशोरावस्था से ही स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए थे और असहयोग आंदोलन में स्कूल छोड़कर सक्रिय भागीदारी की थी।
1934 से 1949 तक महंत दिग्विजयनाथ ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व किया। 22-23 दिसंबर 1949 को जब रामलला की मूर्ति प्रकट हुई, उससे ठीक पहले उनके नेतृत्व में अखंड रामायण पाठ का आयोजन हुआ। इस ऐतिहासिक घटना में उनकी मौजूदगी ने उन्हें इस आंदोलन की नींव का पत्थर बना दिया।
महंत दिग्विजयनाथ ने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। उनके प्रयासों से गोरखपुर और पूर्वांचल में शिक्षा का व्यापक प्रसार हुआ। आज परिषद के अंतर्गत करीब पांच दर्जन शैक्षिक और चिकित्सकीय संस्थान संचालित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि उन्होंने महाराणा प्रताप डिग्री कॉलेज को गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु दान में दे दिया था।
महंत दिग्विजयनाथ ने हिन्दू महासभा के माध्यम से सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और 1961 में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। उन्होंने संत समाज को एकजुट करने के लिए अखिल भारतीय अवधूत भेष बारहपंथ योगी महासभा की स्थापना भी की। धर्म, राष्ट्र और सामाजिक एकता में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
श्रद्धांजलि सभा के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज सुबह गोरखनाथ मंदिर परिसर में पं. गोविंद वल्लभ पंत की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण करेंगे। यह कार्यक्रम सुबह 9 बजे होगा।