गोरखपुर में स्व. केदार सिंह की प्रतिमा को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद अब एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार भाजपा नेता और पूर्व विधायक देवनारायण उर्फ जीएम सिंह तथा कारोबारी ओमप्रकाश जालान के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप ने माहौल को और गरमा दिया है। कुछ दिन पहले जीएम सिंह ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर प्रतिमा को चर्चित जमीन पर बनाए रखने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने की बात कही थी। उन्होंने इस पोस्ट में ओपी जालान और अवधेश श्रीवास्तव पर भी आरोप लगाए कि उनके कारण पूरे मंडल में तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस बयानबाजी का जवाब देते हुए जालान ने पलटवार किया और आरोप लगाया कि जीएम सिंह उनसे पैसे की मांग कर रहे थे और दबाव बनाने के लिए लगातार धमकी दे रहे हैं। जालान ने कहा कि वह इस मामले में एसएसपी को लिखित शिकायत देंगे और किसी भी दबाव में आने वाले नहीं हैं। उनका कहना है कि विवाद को सुलझाने के बजाय जानबूझकर भड़काने की कोशिश की जा रही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमीन पहले ही खाली कराई जा चुकी है।
जीएम सिंह की सफाई और सोशल मीडिया बयान
भाजपा नेता जीएम सिंह ने जालान और उनके बेटे तनुज के आरोपों को नकारते हुए कहा कि उन पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं और वह एक-एक बिंदु का सबूतों के साथ जवाब देंगे। उन्होंने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता कर विस्तृत रूप से अपनी बात रखने की घोषणा की है। फेसबुक पर किए अपने पोस्ट में सिंह ने यह भी लिखा कि स्व. केदार सिंह सर्वसमाज के नेता थे और उनकी प्रतिमा का सम्मानजनक समाधान होना चाहिए। उन्होंने समाज के लोगों से अपील की कि टकराव की स्थिति से बचा जाए, क्योंकि यह समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगा। सिंह का कहना है कि प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि प्रतिमा मामले का समाधान सम्मानपूर्वक किया जाएगा, और वह कानूनी तरीके से लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने जालान परिवार और अवधेश श्रीवास्तव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनकी ओर से सहयोग की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने ‘दुर्योधन की नीति’ अपनाकर एक इंच जमीन भी देने से इंकार कर दिया।
सियासी महत्व और विवाद की पृष्ठभूमि
देवनारायण उर्फ जीएम सिंह लंबे समय से क्षेत्रीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं। वह सहजनवा और महराजगंज जिले की पनियरा सीट से विधायक रह चुके हैं और वर्तमान में भाजपा से जुड़े हैं। उनकी पत्नी सहजनवा नगर पंचायत की अध्यक्ष हैं। सहजनवा विधानसभा में उनकी पकड़ मानी जाती है, और इसी वजह से प्रतिमा प्रकरण में उनके मुखर होने को राजनीतिक महत्व के नजरिए से भी देखा जा रहा है। सिंह स्व. केदार सिंह की प्रतिमा को हटाने के विरोध में खुलकर सामने आए हैं और यही उन्हें इस विवाद का प्रमुख चेहरा बना रहा है। दूसरी ओर ओपी जालान का कहना है कि सिंह की मंशा केवल आर्थिक लाभ उठाने की है और इसी कारण वह लगातार दबाव बना रहे हैं। इस विवाद में मुख्यमंत्री के ओएसडी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में जेल भेजे गए भोलेंद्र पाल सिंह का नाम भी सामने आया, जो जीएम सिंह के करीबी रिश्तेदार बताए जाते हैं। ऐसे में पूरा मामला अब सिर्फ प्रतिमा विवाद तक सीमित नहीं रहा बल्कि सियासी रंग भी ले चुका है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में पुलिस जांच और अदालत में दायर होने वाली याचिकाओं के बाद इस विवाद का रुख किस ओर जाता है।