पूर्व विधायक और सैंथवार समाज के लोकप्रिय नेता स्व. केदार सिंह की जयंती पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। समाज के लोगों ने 7 सितंबर को उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण और हवन-पूजन की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने प्रतिमा स्थल तक किसी को पहुंचने नहीं दिया। पार्क रोड स्थित उस जमीन पर पुलिस ने चारों ओर बैरिकेडिंग कर भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया था। नतीजतन, समाज के नेता और कार्यकर्ता पूर्व विधायक स्व. अक्षयवर सिंह के आवास पर जुटे और वहीं जयंती मनाई। प्रशासन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत यह जमीन निजी संपत्ति घोषित हो चुकी है और इस पर किसी तरह की सभा या धार्मिक आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती। वहीं, समाज के नेताओं ने इसे जनभावनाओं का अपमान बताया और कहा कि यह कदम उनके मसीहा की स्मृति को आहत करता है।
राजनीतिक रंग ले रहा है प्रतिमा स्थल का विवाद
स्व. केदार सिंह की प्रतिमा को लेकर पहले भी राजनीति गरमा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पार्क रोड की 95 हजार वर्ग फीट जमीन खाली कराई गई थी, जिस पर वर्षों से उनका परिवार रह रहा था। जमीन 1999 और 2003 में फ्री होल्ड हो चुकी थी और उद्यमी ओमप्रकाश जालान के परिवार के पास इसका अधिकार है। प्रतिमा को हटाए जाने की आशंका पहले ही समाज में नाराजगी पैदा कर चुकी थी और उस दौरान भी विरोध-प्रदर्शन हुआ था। इस बार जयंती पर रोके जाने से सैंथवार समाज के नेता और अधिक मुखर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि स्व. केदार सिंह सिर्फ एक समाज नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के मसीहा थे और उनकी स्मृति से जुड़ी प्रतिमा को सुरक्षित और सम्मानजनक स्थान पर स्थापित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। नेताओं का कहना है कि उद्यमी परिवार को उदारता दिखानी चाहिए और थोड़ी जमीन समाज को प्रतिमा के लिए समर्पित करनी चाहिए। फिलहाल, प्रतिमा स्थल का विवाद राजनीतिक विमर्श का केंद्र बन गया है।
प्रशासन का रुख और समाज का ऐलान
डीएम दीपक मीणा ने स्पष्ट किया कि संबंधित जमीन निजी संपत्ति है और प्रशासन के पास वहां किसी आयोजन की अनुमति देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी को हाउस अरेस्ट नहीं किया गया और न ही प्रशासन ने किसी प्रकार की रोकथाम से अधिक कदम उठाए हैं। इसके बावजूद सैंथवार समाज के नेताओं का कहना है कि उन्हें वादा किया गया था कि जयंती के अवसर पर सीमित संख्या में लोग प्रतिमा तक जाकर श्रद्धांजलि दे सकेंगे, लेकिन मौके पर पुलिस ने रोक दिया। नाराज नेताओं ने पास ही 200 मीटर की दूरी पर हवन-पूजन किया और घोषणा की कि आने वाले समय में वे गांव-गांव स्व. केदार सिंह की जयंती मनाएंगे। समाज के संरक्षक राम सिंह सैंथवार ने कहा कि यह आंदोलन अब और तेज होगा तथा मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की जाएगी। डॉ. कृष्णभान सिंह और पवन सिंह सहित कई नेताओं ने प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताते हुए कहा कि जब तक प्रतिमा का स्थायी समाधान नहीं होगा, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। प्रशासन के निर्णय और समाज की भावनाओं के बीच टकराव ने गोरखपुर की सियासत को गर्मा दिया है।