गोरखपुर जिले के पाली क्षेत्र में जल जीवन मिशन की प्रगति उम्मीद के अनुरूप नहीं दिख रही है। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत हर घर तक पाइपलाइन से पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन भैंसला, तिवरान, भगवानपुर और इटार समेत कई ग्राम सभाओं में कार्य अधूरा पड़ा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि शुरुआत में काम तेजी से चला लेकिन अब महीनों से पूरी तरह ठप है। ग्रामीणों को नल से जल आपूर्ति का लाभ मिलने की जगह अभी भी पुराने हैंडपंप और कुओं पर निर्भर रहना पड़ रहा है। भैंसला गांव के निवासी प्रकाश अनिल कन्हैया कोईल ने बताया कि यहां पाइपलाइन डालने का कार्य बीच में ही रोक दिया गया और इसके बाद कोई अधिकारी स्थिति स्पष्ट करने नहीं आया।
प्रशासनिक स्तर पर समीक्षा और चुनौतियां
ग्रामीणों की शिकायतों के बीच जब इस विषय में एचआर एडमिन गोरखपुर अखंड प्रताप से बात की गई तो उन्होंने आश्वासन दिया कि संबंधित अधिकारियों से बातचीत कर जल्द स्थिति स्पष्ट की जाएगी। हालांकि, यह स्पष्ट है कि योजना की प्रगति सरकार के तय मानकों से काफी पीछे है। जल जीवन मिशन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना और महिलाओं को पानी भरने की परेशानी से मुक्ति दिलाना है, लेकिन गोरखपुर के कई गांवों में यह उद्देश्य अभी तक अधूरा है। अधूरे पड़े कार्य और ठेकेदारों की धीमी गति प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समयबद्ध तरीके से निगरानी और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई, तो यह लक्ष्य समय पर पूरा करना कठिन हो जाएगा।
2025 की समयसीमा और आगे का रास्ता
जल जीवन मिशन को पूरा करने के लिए सरकार ने 6 सितंबर 2025 की समयसीमा तय की है। यानी अब मात्र एक साल का समय बचा है जिसमें सभी अधूरे कार्य पूरे करने होंगे। इस दौरान न केवल पाइपलाइन बिछाने बल्कि पानी के स्रोत, शुद्धिकरण संयंत्र और वितरण व्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाना होगा। ग्रामीण इलाकों में बढ़ती आबादी और पेयजल की जरूरतों को देखते हुए प्रशासन पर दबाव और बढ़ गया है। विकास विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पाली क्षेत्र जैसे इलाकों में तेजी नहीं लाई गई तो गोरखपुर जिले की रैंकिंग राज्य में पिछड़ी रह जाएगी। फिलहाल, ग्रामीणों को उम्मीद है कि संबंधित विभाग सक्रियता दिखाएगा और जल्द ही पाइपलाइन का काम फिर से शुरू कर उन्हें नल से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा।